मन चचल जैसे
पानी की लहर
खाए हिंडोले नैय्या
जैसे उमंग
बल -खाए -झूम जाये
जैसे पगली बयार
प्रिय को मिलने चली
जैसे करके सिंगार
ये सिलसिला प्रेम का
अब थमने वाला नहीं प्रिय
तुमसे प्यार न करूँ
ये मेरे बस में नहीं
हाँ ये बात और है
कि उस प्यार को
छुपाना अब आदत बना ली है
No comments:
Post a Comment