Saturday, October 30, 2010

Sweet Angel ka Sweet World: congratulations

नमस्ते भारतवर्ष 
जब भी किसी को जीवन में ,अपने कार्य क्षेत्र में उत्साह की आवश्यकता हो ............उसे उत्साह-वर्धन नोट अवश्य भेजें ,ये न सोचें कि बेकार की बातें हैं..........ये तो पाने वाले की ख़ुशी आपको जाता देगी कि आपकी तारीफ व् हौसला-अफजाई से उसे कितनी मानसिक संतुष्टि मिली है .......अपने हाथ से लिखी कोई खूबसूरत पंक्ति या उपहार या कोई कार्ड आप दे सकतें हैं ..........सबसे अधिक स्पेशल आपके हाथ का लिखा हुआ कोई मेसेज हो सकता है ,,,,,,,,इसके लिए बस आपको शुरू के कुछ दिनों में अच्छी और उत्साह -वर्धक बातें लिखने की आदत बनानी होगी

अपने मित्रों को बाहर लंच या डिनर के लिए आमंत्रित करते रहें या अपने घर खाने का निमंत्रण देने की आदत बना लें इससे आप अपने मित्रों के साथ एक स्वस्थ रिश्ता कायम कर सकतें हैं,एक दूसरे को जानने का ये सबसे अच्छा उपाय है ,अगर आप जिंदगी में अधिक रोमांच व् मस्ती चाहतें हैं तो पार्टी का कार्यक्रम बुरा नहीं ,रोजाना के उबाऊ माहौल से अलग जब आप अपने मित्रों को आनंद दिलवाएँगे तो उनके चेहरों की प्रसन्नता आपको हजार गुनी ख़ुशी प्रदान करेगी


दूसरों को पढने के लिए प्रेरणा दायक किताबें भेंट करें ................ऐसा करके आपको संतोष मिलेगा कि उस अमुक किताब को पढ़कर हो-न हो वह व्यक्ति अवश्य अपने जीवन में खुशियाँ ले आएगा ,और जब उनका जीवन बदलेगा तो वो आपको किताब के साथ हमेशा याद रखेगा .


अगर आपका कोई मित्र या रिश्तेदार ज़रूरी काम से बाहर जाना चाहता है प़र बच्चो के कारण उसे परेशानी हो रही है तो आप बेहिचक उनसे कहिये कि आप शाम तक उनके बच्चे संभाल सकतें है इससे आपका मित्र या रिश्तेदार आपका आभारी हो जायेगा आपको उनकी मदद करके सुकून मिलेगा सो अलग


अगर कोई बीमार है या किसी और परेशानी में फंसा हुआ है तो आप उनके खाने का प्रबंध करदे ...........हम सभी कभी न कभी बीमार हुएँ हैं या कोई ऐसी परेशानी भी पड़ी है जब खाना नहीं बना सके ..........ऐसे में कोई आकर भोजन करवादे तो कितना धन्यवाद निकलता है मुख से सभी जानतें हैं.


मंदिर ,मस्जिद,गुरूद्वारे या किसी संस्था में ............कहीं भी आपकी ज़रुरत हो तत्काल हाज़िर रहें आपकी हर कोशिश हजारों दिलों को खुश कर सकती है प्रसन्न -मुख से सेवा आपको भी सुख दिलाती है

धन्यवाद कहने की आदत बना लीजिये उसमे बड़ा चैन है ,आप जिनके संपर्क में रहतें हैं उनके कार्यों का धन्यवाद दीजिये.................आरम्भ अपने चौकीदार ,चपरासी ,अपने नीचे काम करने वाले लड़के,ये अपने घर में आया इत्यादि से करें .........उनकी छोटी-छोटी सेवाओं का शुक्रिया अदा करें ,वो भी सम्मान के पात्र है ...............उनका आभार व्यक्त करके तो देखें उनकी आँखों में आपके लिए कितनी श्रद्धा उमड़ेगी .
अपने माता-पिता परिवार , अध्यापकों ,मित्रों , सहकर्मियों, बच्चों व् जीवन-साथी से भी .........................उनके उपकारों को कभी न भुलाएँ ...............क्योंकि वो तो आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं .......................उनकी एक मुस्कुराहट आपका दिन बना देगी

Tuesday, October 26, 2010

Sweet Angel ka Sweet World: congratulations

NAMASTE INDIA
THIS IS WONDERFUL
TRY PLEASE

Sunday, October 24, 2010

(कौन हूँ मैं!)Sweet Angel ka Sweet World: congratulations

(कौन हूँ मैं!)

कोकिल जितनी घायल होती है

उतनी मधुर कुहुक देती है

जितना धुंधवाता है चंदन

उतनी अधिक महक देता है

मैने खुद को ना जाना था,ना पहचाना था,

कौन हूँ ,क्या हूँ , कैसी हूँ ,कहाँ हूँ ………

प़र तेरे प्रेम ने बताया कौन हूँ मैं!

तूने ही तो तराशे अंग-प्रत्यंग

तूने ही सुनी मेरी मधुर धुन

जगाया मेरा सौन्दर्य अपार

साधारण नार से एक दैवीय अप्सरा

पांवों की थिरकन में भर दिया जादू

नैनो कि चितवन जो कर दे बेकाबू

मैं तो केवल तन ही तन थी

जब तक ना मन को जाना था

मैं तो केवल बांस ही रहती

जो होठो से तेरे बंसी बन ना लगती

मैं तो बस एक तरु ही होती ,

जो तू चन्दन सा ना महकाता

डॉ. स्वीट  एंजिल 

बस एक भावपूर्ण प्रयास ..............

Thursday, October 21, 2010

हाँ ! गर्व है मुझे भारतीय होने प़र Sweet Angel ka Sweet World


हाँ ! गर्व है मुझे भारतीय होने प़र
मुझे गर्व है अपनी हिंदी प़र,
अपने माथे की बिंदिया प़र,
हाथों की मेहँदी प़र,
खनखनाती चूड़ियों प़र,
अपने भारतीय आचार-विचार
और परम्परा प़र
धर्म-संस्कृति,भाषा-साहित्य
और सभ्यता प़र ,
जो बीज बोये मरी दादी -नानी
और माँ ने
मेरे भोले मन प़र ,
सम्मान और संस्कारों के
खुद भूखे रहकर
अतिथि का पेट भने के,
बड़ों को अपना- पन
और छोटों को प्यार देने के
अपनी जड़ों से बंधकर भी ,
ऊँची उड़ान भरने के,
शिक्षा का सही उपयोग करने के ,
जग में अपना हुनर दिखाने के,
तो क्यों ना कहूँ …?
कि हाँ ! गर्व है मुझे भारतीय होने प़र
डॉ.स्वीट एंजिल 

Sunday, October 10, 2010

shaliniagam (काश वो ऐसी सुबहा हो)

नींद की सरगोशी में

अंगड़ाई टूटे आलिंगन में तुम्हारे


काश वो ऐसी सुबहा हो

अलसाई मदहोशी में होंठ तेरे

कुछ बुदबुदाएं यूँ ..........

उनकी छुअन से शरमा जाऊं

आंखे खुलें और देखें तो

सामने तुम्हारा चेहरा हो ..

लेकर मुझको बाँहों में

बस हम यूँ ही सिमटें रहें
फ़िक्र ना हो कहीं दुनिया की
ना कोई और फ़साना हो

काश वो ऐसी सुबहा हो

अपनी कोमल चेहरे को

पाऊँ जब तेरी हथेलियों में

मुख मेरा चूमों तुम

बिखरी सूरज की किरणों में

भीगी लटें जब मेरी बिखरें

तुम्हारे कपोलों प़र और कुछ

बूंद गिरे अनजाने में
काश वो ऐसी सुबहा हो

तुम चुपके से आ जाओ

और झांक के मेरी सांसों में

विरह की पीर भुला जाओ

मन महके तुम्हारी खुशबू से

और महके मेरी सांसे भी …

जब तुम मुझको प्यार करो

एक हो जाएँ फूल में सुगंध से

काश वो ऐसी सुबहा हो

shaliniagam ( काश वो ऐसी सुबहा हो)



नींद की सरगोशी में

अंगड़ाई टूटे आलिंगन में तुम्हारे


काश वो ऐसी सुबहा हो

अलसाई मदहोशी में होंठ तेरे

कुछ बुदबुदाएं यूँ ..........

उनकी छुअन से शर्मा जाऊं

आंखे खुलें और देखें तो

सामने तुम्हारा चेहरा हो ..

लेकर मुझको बाँहों में

बस हम यूँ ही सिमटें रहें
फ़िक्र ना हो कहीं दुनिया की
ना कोई और फ़साना हो

काश वो ऐसी सुबहा हो

अपनी कोमल चेहरे को

पाऊँ जब तेरी हथेलियों में

मुख मेरा चूमों तुम

बिखरी सूरज की किरणों में

भीगी लटें जब मेरी बिखरें

तुम्हारे कपोलों प़र और कुछ

बूंद गिरे अनजाने में
काश वो ऐसी सुबहा हो

तुम चुपके से आ जाओ

और झांक के मेरी सांसों में

विरह की पीर भुला जाओ

मन महके तुम्हारी खुशबू से

और महके मेरी सांसे भी …

जब तुम मुझको प्यार करो

एक हो जाएँ फूल में सुगंध से

काश वो ऐसी सुबहा हो


Monday, October 4, 2010

shaliniagam (shubh aarogyam)

नमस्ते भारतवर्ष
करो वही जिसका संशय हो कि नहीं होगा तुमसे ,
हारोगे ................ कोई बात नहीं,
फिर से करो ........परिणाम पहले से बेहतर होंगे ,
फिर भी गर उम्मीद प़र खरे न उतर पाओ.........
प्रयत्न करो ,फिर उठो,फिर जुट जाओ..........
अच्छा और पहले से अच्छा होने लगेगा
याद रखो .......करत-करत अभ्यास के ,
जड़मति होए सुजान ..........और ........
जो व्यक्ति कभी जीवन में लुढका नहीं ,
वो कभी ऊंचाई प़र भी नहीं पहुँच पाया ,
अब यही क्षण तुम्हारा है ...........जीत लो दुनिया को .
क्योंकि अब जीत सिर्फ तुम्हारी है
वन्दे मातरम
शालिनिअगम

जनक-जननी को हार्दिक सप्रेम dr.shaliniagam

अपने भीतर खोजो .................... कौन है जो तुम्हे उकसाता है, प्रेरणा देता है नित नए संकल्पों की, संकल्पों को पूरा करने वाली शक्ति की ?
कौन है जो तुम्हे जगाता है,उठकर चलने का उत्साह देता है?
कौन है जो तुम्हे झिंझोड़ता है, सही -गलत का ज्ञान करता है?
कौन है जो रचता है मन में हर-पल कुछ नया, कुछ नवीन ,अनोखा ,सबसे अलग कुछ करने का हौसला?
और
कौन है जो तुम्हारे हारे हुए मन को देता है ,फिर से उठ खड़े होने का अदम्य साहस /
हाँ हम है ठीक तुम्हारे पीछे ,कूद पड़ो जीवन समर में ,और हांसिल कर लो अपने हिस्से की जीत .....................
हाँ वो ही हैं तुम्हारे जनक और जननी .......
जो खुद हार कर भी जिताएंगे तुम को
तब ........मुस्कुराएंगे विजय प़र अपनी
डॉ.शालिनिअगम जनक-जननी को हार्दिक सप्रेम

Saturday, October 2, 2010

SHALINI (SHUBH AAROGYAM)अपनी मनोकामना पूरी कैसे करें

नमस्ते भारतवर्ष
अपनी मनोकामना पूरी कैसे करें
चलिए में आपको बतातीं हूँ .
हमें अपने जीवन से क्या चाहिए .......?
शक्ति एवं बुद्धि ,शोर्य ,तेज,ओज,शांति,धन-संपत्ति , उत्तम स्वास्थ्य ,दाम्पत्य जीवन में मधुरता ,सभी दिलों में प्यार का प्रसार,कार्य-क्षमता में वृद्धि , मानसिक शांति की प्रचुरता,स्वम को
समझने की शक्ति इत्यादि-इत्यादि ....
ह्रदये की गेहाईयों में हमारी आकांशाएं क्या, हम कैसे लोग चाहतें हैं ,कैसी परिस्तिथियों को हम पसंद करतें हैं,क्या-क्या सुविधाएँ जीवन में चाहियें . इन सबका मूल्यांकन करके चयन
करें और प्राथमिकता दें उस बात को , उस मनोकामना को जो सबसे तीव्र है और तब उसको पूर्ण करने का संकल्प लें .
मनोकामना सिद्ध करने के लिए चर चरणों से निकलना पड़ता है ................
प्रथम चरण
सर्वप्रथम अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाइये .अपने अन्दर की नकारात्मकता को दूर निकाल फेंकिये
भरपूर आत्मविश्वास के साथ जीवन -समर में विजय की भावना के साथ खड़े हो जाइये .
दृढ निश्चय के साथ अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए मनोकामना -सिद्ध ध्यान के लिए तैयार हो जाइये .
द्धितीय चरण
प्राथमिकता सबसे आवश्यक मनोकामना को दें अपना लक्ष्य चुनें जो वस्तु या परिस्थिती आप चाहतें हैं उसे स्पष्ट रूप दें ,
उसकी मानसिक कल्पना करें ,ऐसे मनन करें या जागी आंखों से अपने लक्ष्य को इस प्रकार निहारें कि लगे कि सभी कुछ आपके अनुसार
घटित हो रहा है ........
उदाहरण के लिए ...अगर आप छरहरा व् आकर्षक व्यक्तित्व चाहतें है तो स्वंय को उसी स्तिथि में विचारें कि आप बेहद स्वस्थ , सुंदर व् आकर्षक बदन के स्वामी अथवा स्वामिनी हैं आप से अधिक आकर्षक कोई नहीं.
अगर आप मानसिक तनावों से मुक्त होना चाहतें हैं तो अनुभव करें कि "मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है ","में विश्रामावस्था में हूँ ",
"शांत व् प्रसन्न-चित्त हूँ ". इसी प्रकार घर चाहतें है तो सुंदर , आरामदायक घरकी कल्पना कीजिये ......"आप आराम कुर्सी प़र बैठें है ,सुंदर व् आकर्षक घर है चारों ओर शांति व् हरियाली है ...."
कष्ट दूर करना है तो उस रोग से मुक्त होने की कल्पना कीजिये और स्वंय को पूर्ण रूप से स्वस्थ अनुभव अनुभव करने की मनोकामना को बार-बार दोहराते हुए
कल्पना करें कि आपके शरीर में १६ साल जैसे बालक के समान उर्जा व् शक्ति का संचार हो रहा है , आप रोग मुक्त व् बेहद शक्तिवान हैं.अपनी कोई भी इच्छा जो आप पूरी होते देखना चाहतें हैं उसको मान कर चलिए कि वह पूरी हो रही है स्वंय को सकारात्मक सोच में ढालिए .
BY SHALINI
DIRECTER & FOUNDER
SHUBH AAROGYAM
The spiritual reiki healing & training center
www.aarogyamreiki.com