Monday, July 26, 2010

शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं)समृद्धि के सूत्र )


नमस्ते भारतवर्ष ,
समृद्धि हर व्यक्ति चाहता है ,प्रयास भी करता है ,कुछ लोग सफल हो जातें हैं प़र कुछ हाथ मलते रह जातें है। ऐसा क्यों ???????? सारे प्रयास करने प़र भी,हर संभव कोशिश करने प़र भी,पूरी लगन और ईमानदारी से कार्य करने प़र भी मैं सफल क्यों नहीं हुआ ?

चलिए इसका कारण खोजतें हैं.......और अमल करतें है इन उपायों प़र
- धन की चाहना करें उसका सम्मान करें,समृद्धि पाना हर व्यक्ति का हक है
-एक लक्ष्य ही साधें अर्जुन की आँख की तरह ,हर व्यवसाय या नौकरी पूरी शक्ति और समय चाहता है,एक स्थान प़र ही कुआँ खोदें हर जगह नहीं..वरना पानी नहीं मिलेगा।
-अपने भीतर के गुणों का सम्मान करें और उन्हें बाहर लायें ,देखा-देखी किसी की होड़ करें क्योंकि हर किसी के गुण और प्रतिभा दूसरे से भिन्न होती है। अपनी रूचि के ही कार्य करें तो सफलता आपके कदम चूमेगी।
-मन में सकारात्मक सोच रखे ,आत्मविश्वास ही आपको स्वम प़र भरोसा दिलाता है।
-प्रकृति से मांगो जो चाहिए ,जब दिल से कोई भी चीज मांगोगे तब पूरी प्रकृति उसे तुम्हे देने के लिए जुट जायगी। फिर चाहे वह व्यक्ति-विशेष के रूप में मिले या साधन -विशेष के रूप में।
-मन ही मन बार-बार दोहराएँ.........."मुझमे आत्मविश्वास है। मुझमे आत्मनिर्भरता है मुझमें दृढ -निश्चय है ,साहस है,मेरी सोच सकारात्मक है, मैं आशा विश्वास और उत्साह से पूर्ण हूँ मैं नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हूँ, मुझे अपनी विजय प़र दृढ विश्वास है। ...........मेरी इच्छा धनवान बनने की है, मै वही कार्य को अंजाम देता हूँ जिसकी कल्पना करता हूँ ,मुझमे सतत प्रयत्नशीलता , महत्वकांक्षा और प्रबल इच्छा है।"
-अपनी इच्छा को पूरा होते हुएँ सोचें की संशय की स्तिथि रखें ...............जैसे ........
"में सदैव सही स्थान और सही कार्य को चुन कर पूरा कर लेता हूँ ,मैं प्रतिदिन आर्थिक रूप से और अधिक समृद्ध होता जा रहा हूँ ,मेरे पास जितना अधिक धन रहा है उतना ही मैं दूसरों को भी देता जा रहा हूँ ,परमात्मा की कृपा से मैं दिन प्रतिदिन तरक्की करता जा रहा हूँ "
फिर देखें किस प्रकार पूरी प्राकृतिक शक्तियां आपको धनवान बनाने में जुट जातीं हैं ..............और आप मनचाही गाड़ी में सवार हो जातें हैं
इश्वर आपको सफल करे
शुभकामनाओं के साथ...
डॉ.शालिनिअगम
09212704757