Monday, October 4, 2010

shaliniagam (shubh aarogyam)

नमस्ते भारतवर्ष
करो वही जिसका संशय हो कि नहीं होगा तुमसे ,
हारोगे ................ कोई बात नहीं,
फिर से करो ........परिणाम पहले से बेहतर होंगे ,
फिर भी गर उम्मीद प़र खरे न उतर पाओ.........
प्रयत्न करो ,फिर उठो,फिर जुट जाओ..........
अच्छा और पहले से अच्छा होने लगेगा
याद रखो .......करत-करत अभ्यास के ,
जड़मति होए सुजान ..........और ........
जो व्यक्ति कभी जीवन में लुढका नहीं ,
वो कभी ऊंचाई प़र भी नहीं पहुँच पाया ,
अब यही क्षण तुम्हारा है ...........जीत लो दुनिया को .
क्योंकि अब जीत सिर्फ तुम्हारी है
वन्दे मातरम
शालिनिअगम

जनक-जननी को हार्दिक सप्रेम dr.shaliniagam

अपने भीतर खोजो .................... कौन है जो तुम्हे उकसाता है, प्रेरणा देता है नित नए संकल्पों की, संकल्पों को पूरा करने वाली शक्ति की ?
कौन है जो तुम्हे जगाता है,उठकर चलने का उत्साह देता है?
कौन है जो तुम्हे झिंझोड़ता है, सही -गलत का ज्ञान करता है?
कौन है जो रचता है मन में हर-पल कुछ नया, कुछ नवीन ,अनोखा ,सबसे अलग कुछ करने का हौसला?
और
कौन है जो तुम्हारे हारे हुए मन को देता है ,फिर से उठ खड़े होने का अदम्य साहस /
हाँ हम है ठीक तुम्हारे पीछे ,कूद पड़ो जीवन समर में ,और हांसिल कर लो अपने हिस्से की जीत .....................
हाँ वो ही हैं तुम्हारे जनक और जननी .......
जो खुद हार कर भी जिताएंगे तुम को
तब ........मुस्कुराएंगे विजय प़र अपनी
डॉ.शालिनिअगम जनक-जननी को हार्दिक सप्रेम