Dr.Sweet Angel
Monday, March 18, 2013
वो शाम
चाँद की सरगोशियाँ
लहरों की छुअन
और भीगे उनके पांव
सरसराती पवन
अलसाती निशा
जीवनसाथी - संग
झूमा वो समां
ठहरी ये धरा
झूमा वो गगन
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