भ्रूण -हत्या
1-भ्रूण -हत्या ,भ्रूण -हत्या ,भ्रूण हत्या
जिसे देखो वही चिल्ला रहा है ,
कहानी और कवितायेँ लिख रहा है,
भाषण व् प्रवचन दे रहा है ,
रोको -रोको भ्रूण-हत्या रोको
हर ओर बस इसी का शोर है
...............................तो क्या रूक गयी भ्रूण हत्या ?
चिल्लाओ और चिल्लाओ
बस बातें बनाओ ...................वही तो आती हैं हमें
रचनाएँ लिखो भ्रूण-हत्या को पाप बताओ
नारी जाती को महान बता कर ,
बेटियों की प्रशंसा में लम्बी चौड़ी बातें
कहो और सुनाओ या चिल्लाओ
भ्रूण -हत्या महापाप के नारे लगाओ
बेटी ये होती है -बेटी वो होती है
सुन-सुन कर कान पक है अब सबके
अब चुप करो सब,बंद करो सब ............................................................
पूछो उस औरत से जो औरत होने का रोना रोती है
सबसे पहले उसी को जानने की ललक होती है
कि कोख में पलने वाला बच्चा लड़का है या लड़की ?
पति के लाख समझाने पर भी भागती है कन्या भ्रूण-हत्या को
पूछो उस सास से जो बहुएँ तो बड़ी शान से लाती है,
पर पोती की दादी कहलाने से शर्म से मर जाती है ,
'अरी कुलछनी बेटे का मुह दिखाए बिना ही मार देगी मुझे '
कह कर हाय-हाय चिल्लाती है ....................
इतिहास गवाह है !
......................
....................लक्ष्मी आई है ............
.सुनकर देवी ,चंडी का रूप धर लेती हैं
हाँ-हाँ खुद तो बेटा जन के बैठी हैं
हमारी बेटी होने की ख़ुशी मना रही है।
जब इस दुनिया की आधी सत्ता (स्त्री )
खुद ही अपने को समाप्त करना चाहती है
तो आधी सत्ता (पुरुष) बेचारा क्या करे ............
बस नियति का नियम मान स्वीकार ले .............
डॉ .शालिनी अगम
1-भ्रूण -हत्या ,भ्रूण -हत्या ,भ्रूण हत्या
जिसे देखो वही चिल्ला रहा है ,
कहानी और कवितायेँ लिख रहा है,
भाषण व् प्रवचन दे रहा है ,
रोको -रोको भ्रूण-हत्या रोको
हर ओर बस इसी का शोर है
...............................तो क्या रूक गयी भ्रूण हत्या ?
चिल्लाओ और चिल्लाओ
बस बातें बनाओ ...................वही तो आती हैं हमें
रचनाएँ लिखो भ्रूण-हत्या को पाप बताओ
नारी जाती को महान बता कर ,
बेटियों की प्रशंसा में लम्बी चौड़ी बातें
कहो और सुनाओ या चिल्लाओ
भ्रूण -हत्या महापाप के नारे लगाओ
बेटी ये होती है -बेटी वो होती है
सुन-सुन कर कान पक है अब सबके
अब चुप करो सब,बंद करो सब ............................................................
पूछो उस औरत से जो औरत होने का रोना रोती है
सबसे पहले उसी को जानने की ललक होती है
कि कोख में पलने वाला बच्चा लड़का है या लड़की ?
पति के लाख समझाने पर भी भागती है कन्या भ्रूण-हत्या को
पूछो उस सास से जो बहुएँ तो बड़ी शान से लाती है,
पर पोती की दादी कहलाने से शर्म से मर जाती है ,
'अरी कुलछनी बेटे का मुह दिखाए बिना ही मार देगी मुझे '
कह कर हाय-हाय चिल्लाती है ....................
इतिहास गवाह है !
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....................लक्ष्मी आई है ............
.सुनकर देवी ,चंडी का रूप धर लेती हैं
हाँ-हाँ खुद तो बेटा जन के बैठी हैं
हमारी बेटी होने की ख़ुशी मना रही है।
जब इस दुनिया की आधी सत्ता (स्त्री )
खुद ही अपने को समाप्त करना चाहती है
तो आधी सत्ता (पुरुष) बेचारा क्या करे ............
बस नियति का नियम मान स्वीकार ले .............
डॉ .शालिनी अगम