Monday, April 19, 2010

निरंतर .........

तिल-तिल कर कसकती ,
इस जिंदगी का
खात्मा कर दूं अभी,
इन खोखले आदर्शों
की माला को ,
तोड़ दूं अभी,
इन गलती-सडती साँसों का
आवागमन रोक दूं अभी ,
इस भरी-पूरी दुनियां में
क्यों हूँ मैं अकेली ?
मेरे अपने मुझे स्वीकारते क्यों नहीं?
तो क्यों?...............................
इन संस्कारों की दुहाई देकर,
इस आशाहीन ध्येय रहित
जीवन को, जिए जा रहीं हूँ मैं ................................
निरंतर .............
2010

kuchshabdmereapne: Tip of the day

kuchshabdmereapne: Tip of the day

प्रथम मिलन कि उस बेला प़र



प्रथम मिलन कि उस बेला प़र

अश्रु-विगलित नेत्रों से जब,
देखा उन्होंने पहली बार,
मन मैं कुछ हुआ था तब,
आशाएं थीं जागी हजार,
समर्पण कि इच्छा उठी,
न्योछावर की चाह नयी ,
जीवन-साथी बना लें मुझको,
वारू तन-मन क्षण-क्षण,
मन के तारों की लय से,
उर तरंगित होने लगे,
मूक दृष्टि से में और वो,
प्रेम-गीत भी गाने लगे।
त्याग-जल के सिंचन से ,
प्रेम-बेल विकसित होगी,
एक-दूसरे के बनकर ही,
जीवन-समर में जय होगी।
डॉ। शालिनीअगम
1989
मैं आभारी हूँ उस परमात्मा की,मेरे जीवन का हर -पल
एक उत्सव के सम्मान है । सुबह आँखे खोलने से लेकर रात को सोने तक मैं और मेरा परिवार हर-पल आनंद का अनुभव
करता है , मेरी सभी इच्छाएँ स्वत : ही पूरी हो जाती हैं ।
मैं ख़ुशी हूँ और खुशियाँ बाँटती हूँ
शालिनीअगम

१९८९ .....................2010

TIP OF THE DAY

ये ज़िन्दगी बेहद खूबसूरत है,
अगर हम चाहें तो और भी ख़ूबसूरत हो सकती है ,
क्योंकि हमारी ख्वाहिश ये सृष्टि मानती है और उसे उसे पूरा करती है.
ये अलौकिक शक्तियां मेरे लियें अलादीन का चिराग़ हैं जो मांगती हूँ मिलता है.......
.......पैसा, प्यार, शौहरत , स्वास्थ्य .
हर पल जो चाहतो हो मांगो सृष्टि से ,
विश्वास करो कि जो माँगा है ,बस पा ही लिया है,
महसूस करो कि जो माँगा, उसे पाने के बाद कितनी ख़ुशी मिल रही है,
में जो चाहती हूँ ,उस पर विचार करती हूँ, कागज पर लिखती हूँ,
फिर अटूट विश्वास करती हूँ,आशावादी सोच रखती हूँ ,
फिर मैं उसे पा लेती हूँ .
हम सबको अपने और सृष्टि के बीच ताल-मेल बिठाना आना चाहिए
जब भी हालत बदलने हों ,पहले विचार बदलो .
क्योंकि मैं प्रकृति का , सृष्टि का, धन्यवाद करती हूँ , ज्यादा पाना चाहती हूँ तो शुक्रिया करती हूँ
इच्छा -शक्ति से क्या नहीं हो सकता ,आप अपनी इच्छा-शक्ति और यकीन से आप क्या नहीं पा सकते.
अपनी उम्मीद से बड़ी कोई तस्वीर , कोई इच्छा देखो,सोचो, आँखे बंद करके महसूस करें कि वह मजिल मैंने पा ली है .
डॉ.शालिनीअगम
2010