Monday, March 18, 2013

Dr.Shalini Agam अपनी खुशियाँ अपने हाथ


नमस्ते भारतवर्ष ,
चौखट के उस पार खड़ी ख़ुशी ने 

फुसफुसा के कहा --------

मैं तो कबसे खड़ी हूँ इंतजार में 


कि-कब द्वार खुले

और मैं अन्दर दाखिल हूँ

मगर ----!!!


तुमको न आना था ......और न आये .......द्वार खोलने 

तुमसे तो अच्छी वो मासूम बच्ची है ज़रा सा मुस्कुरा क्या दी दौड़  कर मेरे पीछे -पीछे भाग आती है ......

और जब वो  खुली बांहों से मेरा स्वागत करती है तो मैं ही कहाँ पीछे रहने वाली हूँ .........लिपट जाती  हूँ उससे .....और वो दु :ख है न .... चिढ़कर  कर भाग जाता है ... 

ही-ही-ही--

ही-ही- ..........जलनखोर 

कहीं का ........फिर मैं और वो  मासूम कली  खिल-खिलातें  हैं अपनी जीत पर ....

तुम सोचते हो की मैं आऊँ तो मुस्कुराओ तुम .........पर मैं कहती हूँ कि  मुकुराओं तो आऊं मैं पास तुम्हारे  .............क्योंकि ख़ुशी हूँ मैं ......भई   सी बात है ... मेरा तो 

जो स्वागत 

करता है,मेरा आदर करता है,मुझे अपने जीवन में  शामिल करता है  .....उसके पास तो मैं दौड़-दौड़ कर आती हूँ ..............पर जो मेरे पास होते हुए भी अपनी ख़ुशी न 

देख 


दूसरों की खुशियों से दुखी होता है .तो .....फिर तो मैं वहां अपने सौतेले भाई "आंसू" को भेज देती हूँ .........
     


खुशियों को जियो ,उनका स्वागत करो,  अपने से नीचे वाले को देख 

कर संतोष करो कि उसकी जगह होते तो क्या करते ..दुःख 

आतें  हैं .........दुःख चले जातें हैं .......दोनों द्वार खोल कर रखो 

........कि अगर कोई परेशानी ज़िन्दगी के भीतर दाखिल हो भी 

गयी तो 

शीघ्र ही पिछले रास्ते  से ज़िन्दगी से बाहर  खदेड़ देना ही असली 

जांबाजी है ..............


खुशियों की न कोई परिभाषा है न कोई तोल-मोल ...........बस 

महसूस करने की बात है ..........क्योंकि खुशियों के पास क्या ,

क्यों,किसके लिए,किसके पास,कौनसी,कहाँ ,जैसे पैमाने नहीं होते 

.............खुशियाँ नहीं हैं अभी ......तो क्या उसके सपने तो हैं 

...............अरे हम वो सपने इतने दिल से देखेंगे ............इतने 

करीब से महसूस करेंगे की पूरी सृष्टि उन सपनो को पूरा करने में 

जुट जाएगी ............. हमारी जिद के आगे उसे झुकना ही पड़ेगा 

..........क्योंकि वो अपरम्पार ,वो परम सृष्टि भी  मजबूर जो 

जाएगी हमारे हिस्से की खुशियाँ हमें  लौटाने  को  

.............और हमारी खुशियों की जिद के आगे उस असीम सत्ता 

को घुटने टेकने ही पड़ते हैं ........फिर जो ऊपर से रिम-झिम 

खुशियों  की बरसात होगी  ........कभी अजमा कर देखिये 

.......उसमे सराबोर होकर नाचने न लग जाएँ तो कहना ........

अब से हर पल ........हर घडी ..........हर स्वप्न (जागती  आँखों 

से ही सही) बस यही कि  मैं खुश हूँ .......दर्पण देखें तो मुस्कुराते 

हुए .......किसी से भी बात करें तो मुस्कुराते हुए ............अकेले 

हों तो भी खुद से बातें करें ......की अरे यार आज तो मैं बहुत ही 

खुश हूँ .........बार-बार बस एक ही रट  कि  "मैं इस दुनिया का 

सबसे खुश प्राणी हूँ ........फिर देखिये कमाल ............खुशियाँ 

झर् -झराती  हुई आपकी झोली में  गिरने लगेंगी ......... 

शुभकामना के  साथ ...........सदा  हँसने -मुस्कुराने का वादा  

आप  

सबसे 

लेते हुए .......

डॉ .शालिनी अगम 

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