Saturday, April 17, 2010

भरोसा

हाथों का स्पर्श हटा लेने से ,
मन का विश्वास कम नहीं हो जाता,
अपनों से दृष्टि घुमा लेने से,
रिश्तों का भान कम नहीं हो जाता,
रवि के बादलों में छिप जाने से ,
दिन का उजाला , कम नहीं हो जाता,
पूर्णमासी का चाँद निकलने प़र भी,
रात्रि का अन्धकार समाप्त नहीं हो जाता,
बांध को बांधने प़र भी ,
मचलती धारा का वेग कम नहीं हो जाता;
अपनों के लाख तिरस्कार के बाद भी ,
उनकी घोर घृणा के बाद भी,
उन प़र भरोसा कम नहीं हो जाता!
शालिनिअगम
१९९

Tip of the day

रिश्तों को खराब करने वाले कारण

* तनाव
* आपसी बातचीत का आभाव
* खीज
* तुच्छ विचारों का होना
* आपसी मेल-भाव का ना होना
* प्रशंसा का आभाव
* आत्मप्रशंसा का आभाव
* आपसी संदेह / शक
* आलस
* अपने-आप में ही रम जाना
* धैर्य हीनता
* आत्महीनता का बोध
* ख़राब स्वास्थ्य
* अविश्वास
* क्रोध
* आपसी सम्मान का आभाव
* नैतिकता का पतन
* एक दूसरे की सहायता ना करना
* आपसी मतभेद
* उबाऊ वातावरण
* अप्रसन्नता

डॉ.शालिनीअगम
2010