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"नारी"
जंहा नारी का सम्मान होता है ,वंहा देवता भी निवास करतें हैं.
नारी वो दर्पण है , जिसमे हर व्यक्ति अपनी हैसियत नहीं देख सकता .
नारी तब तक ही कमजोर है,जब तक वह किसी बंधन में नहीं होती
नारी या तो प्रेम करती है या नफरत ,इसके बीच का रास्ता वो नहीं जानती.
नारी देवी स्वरूप है,पर अपमानित व् शोषित होने पर काली बन जाती है.
नारी का अस्तित्व ही सौन्दर्यशाली है , उसका होना ही आनंददायक है
द्वारा
डॉ. शालिनिअगम