Tuesday, April 13, 2010

kuch shabd mere apne

उसकी छवि के आकर्षण में ,
मै मुग्ध हुई सुधि भूल गयी,
ह्रदय से प्रणय- गान आये होठों तक,
मन में हिलोरे जगाकर रह गए,
आवेश में लिया प्रियतम ने जब अपने;
मन पिघला प्रेम-रस बहने लगा ,
खिंच कर मधु भरे आलिंगन में,
तन झूमा, स्व दहकने लगा ;
डॉ.शालिनीअगम
1990