Saturday, August 21, 2010

shaliniagam (shubh aarogyam) rakhi par vishesh

बहना ने भाई की कलाई प़र प्यार बाँधा है,
प्यार के दो तार से संसार बाँधा है,
मेरे प्यारे राजा भैया ,
जुग-जुग जियो ,
फलो-फूलो ............
बहिन सजा कर थाल पूजा का
राखी लेकर आई ,
तिलक लगाकर राखी बांधी,
भैया की खिल उठी कलाई.........

...................तुम्हारी बहना शालू
डॉ.शालिनिअगम
मेरे राजा भैया जल्दी से अच्छे हो जाओ

Wednesday, August 18, 2010

dr.shaliniagam (shubh aarogyam)प्रसन्नता ही हमारी संजीवनी है .........

प्रसन्नता ही हमारी संजीवनी है .........

मेरी एक अन्तरंग सहेली जो अत्यंत दुखी ,निराश, अनिंद्रा और अपच का शिकार थी उसने निश्चय किया की वह अब मेरी तरह ही हँसेगी,हर हाल में खुश रहेगी . दिन में हर -पल बस वही बातें सोचेगी जिससे हसीं आये.
भले ही उसके पास हँसने का कोई उपयुक्त कारण हो न हो .
अपने आस-पास का माहौल खुशनुमा बनाये रखेगी. उसने मुझसे पूछा ,"डॉ.शालिनी अगर मैं मन से दुखी हूँ ,तो कोशिश करने प़र भी मुझे हंसी नहीं आती ,मैं क्या करूँ .." तब मैंने उसे निम्न बातें समझायीं ...........और परिणाम -स्वरुप वह धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी ,उसके परिवारजन उसमे आये बदलाव के कारण आश्चर्य में पड़ गए. पहले-पहल तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया पर धीरे -धीरे घर का माहौल बदलने लगा और सभी दिल खोलकर हँसने लगे .............. हर - पल दुखी दिखने वाला परिवार आज सबसे ज्यादा खुश दिखाई देता है .
अब आप पूछोगे की मैंने उसको क्या बताया........??????
१- हँसें .....रोग से मुक्ति मिलती है और रुग्ण व्यक्ति के शरीर में नई शक्ति का संचार होता है .
२- प्रसंन्न-चित्त व्यक्ति हमेशा तरोताजा रहता है.,हँसने से आयु बढती है. ,उत्साह में वृद्धि होती है ,कार्य-शक्ति बढती है .
३-प्रसन्नचित्त व्यक्ति को सभी लोग पसंद करतें है,क्योंकि उनके दिल में कपट,द्वेष, ईर्ष्या , और बैर-भाव समाप्त हो जाता है .क्योंकि जिसने अपने ह्रदय में बैर-भाव को स्थान दिया होता है, वह व्यक्ति ,खुलकर नहीं हँस सकता
४- मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी तार्किक प्रक्रिया की अपेक्षा खूब जोर से हँसना अधिक हितकारी होगा.
५-अत्यधिक शारीरिक श्रम,ठण्ड में रहना और पानी में भीगना,आलसी स्वाभाव और नशा यह सब मनुष्य के घोर शत्रु हैं किन्तु इससे भी बड़ा शत्रु है चिडचिडा स्वाभाव .वह व्यक्ति जिसे जरा -जरा सी बातों प़र क्रोध आया करता है, उसका जीवन दूभर हो जाता है वह अपने साथ अपने आस-पास वालों के लिए भी मुसीबत बन जाता है. वह न तो खुद सुख से रह पता है न किसी को रख पाता है.
६-रोते कुढ़ते व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता,हर नज़र को मुस्कराहट अच्छी लगती है.
७- हमेशा याद रखे की उन्मुक्त हँसीं हमारे और हमारे परिवार-जनों के लिए बेहद लाभ-कारी औषधि है.
८-प्रसन्नता संजीवनी है,हँसना परमात्मा प्रदत्त औषधि है,हँसने से दिल की धड़कन बढती है, फेफड़ों में स्वच्छ वायु जाती है,खूब जोर-जोर से हँसने से चेहरे और मस्तिष्क में रक्त-प्रवाह तेजी से होता है तथा चेहरे प़र लालिमा व् निखार आता है,बुद्धि तीव्र होती है .
९-उस दिन को बेकार समझो जिस दिन तुम खुलकर हँसें नहीं...........
शरीर-विज्ञानं का निष्कर्ष है की सभी संवेदन-शील नाड़ीयां आपस में जुडी रहतीं हैं और जब उनमें से कोई एक नाड़ी समूह मस्तिष्क की ओर कोई बुरा समाचार ले जाता है तो उससे आम नाड़ीयाँ भी प्रभावित होतीं है,विशेष कर उदर की ओर जाने वाला नाड़ी-समूह तो अत्यधिक प्रभावित होता है,परिणाम- स्वरुप इससे अपच हो जाता है. इसका प्रभाव मनुष्य के चेहरे प़र भी पड़ता है जिससे चेहरा निस्तेज हो जाता है,उत्साह मंद पद जाता है,और कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती.
१०-परफेक्ट लाइफ किसी की नहीं होती ,हर किसी के पास दुखी रहने की वज़ह हैं ....प़र उनसे निकलना ही बहादुरी है........
धन कमाने की हवास,दूसरों से होड़ करने की सोच , "हमेशा अपना काम और दूसरों का ज्यादा "देखने की प्रवत्ति ,दूसरों की उन्नति से जलना -कुढ़ना ,व्यर्थ की चिंताएं ,काल्पनिक दुर्घटनाओं से भयभीत रहना ,हमेशा अपने अंदर ही कमी निकलते रहना .........ये ऐसे विचार हैं जिससे मनुष्य हँसना -मुस्कुराना ही भूल गया है.
११- प्यारे मित्रों ! हँसीं जीवन का मुख्य अवयव है. जिसके जीवन में हँसीं नहीं ,वह मृत्यु-तुल्य है . हँसना जीवन का एक ऐसा संगीत है जिसके बिना जीवन एकदम नीरस है ,हँसना एक आनंद-दायी एहसास है .



Friday, August 13, 2010

dr.shaliniagam(shubh aarogyam)VANDE MATRAM



NAMASTE INDIA

प्यारे भारतवर्ष,
आज घर की छत पर रंग -बिरंगी पतंगों को देख ,दिल उमंग और उल्लास से भर गया. तभी किसी ने एक पतंग की डोर मेरे हाथ में भी थमा दी, मन में बचपन और जवानी की कई मिलीजुली शरारतें चुहल करने लगीं ,पतंग के डोलने से जैसे मन भी डोल रहा था .......चली चली रे पतंग मेरी चली रे ..........चली बादलों के पार.......होके डोर पे सवार .......जिसे देख-देख दुनिया जली रे.... अरे आज १४ अगस्त है और कल १५ मेरे देश की आज़ादी की वर्षगांठ ..कैसा मनभावन एहसास है,कितना स्वतंत्र अवसर......तभी काटे की आवाज़ सुनाई दी और वो भी मेरी छत से न की पडौसी की छत से क्योंकि डोर मेरे हाथ है स्वतंत्रता की डोर ,मेरी मर्जी की डोर,मेरे अपने स्वाभिमान की पहचान,मेरे मान की पहचान. तो क्यों न झूमूँ, क्यों न इतराऊँ ,क्यों न बल खाऊँ .............:)
पतंग प्रतीक है मेरी आज़ादी की.और डोर प्रतीक है उन संस्कारों की,उन आदर्शों की,जो बचपन से हमारे मनों में कूट-कूट कर भरे गएँ है कि बेटा खूब उड़ो.प़र संस्कारों और आदर्शों की डोर में बंध कर ...........तरक्की के आसमान को छू लो प़र अपनी जड़ों से बंधकर और कोई अगर पेंच लड़ा भी ले तो थोड़ी ढील दो,फिर काट दो .............
वन्दे मातरम .......
डॉ.शालिनिअगम
9212704757

SHALINIAGAM (SHUBHAAROGYAM) VANDE MATRAM


Monday, August 9, 2010

SHALINIAGAM {सूर्य ध्यान द्वारा रोग निवारण कैसे करें}


शालिनीअगम {सूर्य ध्यान द्वारा रोग निवारण कैसे करें}



सूर्य - किरण ध्यान


वेदों में कहा गया है कि "उदित होता हुआ सूर्य मृत्यु के सभी कारणों अथार्त सभी रोगों को नष्ट करता है." प्रात:-काल सूर्योदय के समय पूर्वाभिमुख होकर संध्योपासना और हवन करने का यही रहस्य है कि ऐसा करने से सूर्य कि अवरक्त {infrared} किरणे सीधे छाती प़र पड़तीं हैं उनके प्रभाव से व्यक्ति सदैव निरोगी रहतें हैंसूर्य -किरण- ध्यान-विधि प्रातः -काल में शांत-मन होकर आराम से बैठ जाइये.अपना सारा ध्यान सूर्य कि विशालता और व्यापकता प़र लगा दें।जीवन-शक्ति से भरपूर सूर्य से संबंद स्थापित करने का प्रयास करें। नीले आकाश के नीचे चमकती सूर्य-किरणों कि उर्जा को आत्मसात करने का सतत प्रयास करें और अपने आन्तरिक अस्तित्व को इस विशालता के साथ मिलकर उसका विस्तार करें..................प्रार्थना करें"हे सूर्य ! मैं तुम्हारी ओजस्विता,तुम्हारी इस विशाल उर्जा को प्रणाम करता हूँ .मेरे शारीर के त्रिदोष समाप्त कीजिए व् उन्हें संतुलित कीजिए,मुझे अपने समान तेजवान बनाईए .साहसी,निर्भय व् रोगमुक्त बनाईए .हे सूर्य देव!,जीवन शक्ति-देने वाले आपकी शक्ति को प्रणाम ,मुझे निरोगी होने का आशीर्वाद दीजिये ........................
और हर क्षण अनुभव करें कि सुबह की इस अपूर्व कांतिमय बेला में सोने के समान चमकती ,बरसती सूर्य-किरने आपके तन-मन को भिगोती चली जा रही हैं व् नव-जीवन प्रदान कर रहीं हैं।
draft
6:22:00 AM
by shaliniagamaggarwal
Delete
Edit


SHALINIAGAM

7 comments:

मनोज कुमार said...

कुछ नई बात सीखने को मिली!

Suhani Mishra said...

U R AMAZING SHALINIJI

Mrs.&Mr. Khanna said...

Dr. Shalini,
we are taking wonderful knowladge from u.
God bless u

dr. husain said...

शालिनीजी,
ब्लॉग कि इस दुनिया का गौरव हो तुम,
ब्लॉग के असमान का सितारा हो तुम,
ब्लॉग के तख्तो-ताज की मल्लिका हो तुम,
डॉ. हुसैन

hansika said...

wwwwowwww shalini
bravo

DHEERAJ said...

OOOOOOOOOO WHAT A PERSONALTY
WHAT A STYLE..........
WHAT A ATTITUDE ...........
I LIKE U

S.KUMAR said...

आह !
कितने सुंदर और सुशील विचार है
आप प्रशंसा की पात्र हैं .
सुशील कुमार