नमस्ते भारतवर्ष,
जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर वो नहीं होता,
जब कोई
आपको समझता नहीं है ,
बल्कि जीवनकष्ट-कर तब होता है,
जब हम खुद को नहीं समझते ...........
हमें क्या चाहिए ,
हमें क्या पाना है,
हमें क्या अच्छा लगता है,
किसके साथ हमें परेशानी होती है या
किसकेसाथ पल दो पल में भी
हम मुस्करा पड़ते है
और सारा -सारा दिन
ललक रहती है उससे मिलने की
उसका मिलना जीवन में नई चेतना का संचार कर देता है
हर ओर बस खूबसूरती दिखाई पड़ती है
तब मन गुनगुनाने को करता है
चेहरे प़र दबी सी मुस्कुराहट रहती है
जो बार-बार खिलखिला कर
बाहर आने को तैयार रहती है
जब हम खुद अनुभव करतेहैं
प़र यकीन नहीं करते कि
यही प्यार है..................
चहेरे प़र लाली आने लगती है
आकर्षण बढ़ रहा है
मन सुंदर ,तन जवां हो रहा है
कितनी उमंग है जीवन में
एक नयी ख़ुशी व् उत्साह से
भर जाता है सर्वस्व
कितना ज्यादा किर्या शील हो जाते है
कल तक जो काम बोझ सा था
कल तक जहाँ मन रमता न था
उसकी छवि की आस में
उसे पाने की चाह में
वही दैनिक किर्या -कलाप
मजे-मजे में कब पूरे होने
लगते हैं पता ही नहीं चलता ..............
तब समझ लेना चाहिए कि
कोई "सम वन स्पेशल ",
"कोई विशेष प्रिय '
आपके जीवन में प्रवेश पा चुका है ..........
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