Tuesday, May 17, 2011

Sweet Angel ka Sweet World: congratulations

  

Sweet Angel ka Sweet World: congratulations
  नमस्ते भारतवर्ष ,
 अच्छा ये बात तो पक्की है की हम और आप ये सभी बातें बचपन से पढ़ते और सुनतें आयें हैं .....प़र हमारा अनुभव बताता है कि जब-जब हमने इन सब बातों का अनुसरण किया लाभ भी हमें ही मिला है . हैं ना? फिर भी हम   वक़्त  आने प़र भूल जातें हैं और परेशानियाँ मोल ले   लेतें हैं . इसलिए जब भी हम मन को संयत कर और थोड़ी सी प्रसन्नता के साथ ,स्थिर होकर भविष्य की कल्पना करें फिर उस प़र अमल करना प्रारंभ करें या वर्तमान की पेचीदा स्तिथियों से निबटने की सही योजना कार्यान्वित करें तो परिणाम और भी बेहतर आयेंगे  
   When you have a happy and positive frame of mind , you set in motion opportunities that wil ebanle you to achieve the things you want most of Always find an abundance of things to love about your life, yourself, and all those all.....................................
सफलता का द्वार  खोलने के लिए बस कुछ बातों प़र अमल करना होगा ............हम सभी जानतें हैं मगर भूल जातें हैं
 मधुर व्यवहार .............हम सभी का है और उस हर हाल में बरकरार रखना हमारी ज़िम्मेदारी है .
सहानुभूति ........ किसको पसंद नहीं ,इसके द्वारा तो हम दुश्मन को भी अपना बना लेतें हैं .प्रसन्न -मुखारविंद .......देखो ना मुस्कुराते चेहरे प़र कौन ना फ़िदा होगा .अपनी हर बात मनवाने का एक अचूक नुस्खा है ये.
आलोचना का त्याग...........निंदा करके हम अपना और दूसरे दोनों का मूड खराब करतें हैं .जब किसी से कोई परेशानी हुई तब तो हुई अब बार-बार उस दोहरा कर क्यों अपना कीमती वक़्त बर्बाद करतें हैं ,और क्यों दिल में जलन पैदा करतें हैं ,जो पसंद नहीं ,जिसकी आदतें पसंद नहीं उन्हें अपने जीवन में कम से कम जगह दीजिये ,हर-पल कुढ़े से अच्छा है उस situation  में पड़ा ही ना जाये 
-व्यक्तित्व को निखारने का प्रयत्न ...........वाह ! अपने को निखरने के लिए इससे बढ़िया कुछ हो नहीं सकता
-दूर-दृष्टि ..........हमारा आज और कल सवारने के लिए दूर-दृष्टि से देखिये ...क्या सही है क्या गलत ........सोच -समझ कर ही किसी बात का निर्णय लीजिये 
- धर्म -निरपेक्षता........बहुत शांति पैदा करती है समाज में  
-अभिमान का त्याग............किस बात का अभिमान करना है ,.....अगर हमसे तुच्छ है कोई  { हमारी नज़र में , वैसे इस जगत में कोई प्राणी तुच्छ नहीं हर एक में कोई ना कोई विशेषता है } तो दृष्टि घुमाइए आपसे श्रेष्ठ भी बहुत हैं ...जो आपको अपने से छोटा मान सकतें हैं .
- सिद्धांतों का पालन मानव का धर्म है .....और सिद्धांतों का पालन ना करने से हम अपना आज और आने वाली पीढ़ी का कल खराब कर सकतें हैं .......
- प्रसिद्द मनोविज्ञानी (अज्ञात) के अनुसार ...............
'जो व्यक्ति दूसरों में दिलचस्पी नहीं रखता उसे अपने जीवन में उदासीनता और कठिनाई का सामना 
करना पड़ता है 
-झुक कर चलने वाले को रत्न मिलतें हैं ..........रत्न मिलने का मतलब यह नहीं की आप रास्ते प़र सिर झुका कर चल दिए तो आपको  diamonds  मिल   जायेंगे ....झुकना मतलब  'विनम्रता ' ..स्वभाव -गत  विनम्रता हर प्रकार से फल दायी है .
-नम्रता से देवता भी तुम्हारे वश में हो जातें हैं .

Sunday, May 15, 2011

tip of the day Dr.Sweet Angel

अनिद्रा भौतिकवाद की देन है। लाखों लोग हैं जो किसी न किसी कारण से रात में ठीक से सो नहीं पाते। यदि किसी एक रात व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता, तो वह अस्वाभाविक नहीं है लेकिन यदि यह क्रम लगातार चलता रहे और आपकी दिनचर्या को प्रभावित करने लगे। तो
आपको सचेत हो जाना चाहिए। इसकी उपेक्षा करने की कोशिश भूलकर भी न करें। शुरुआती दौर में ही यदि इस पर नियंत्रण पा लिया जाय तो बहुत अच्छा, नहीं तो समस्या बहुत विकट रूप धारण कर लेती है और तब उस पर नियंत्रण पाना बहुत कठिन हो जाता है। इसको अगर और स्पष्ट करके कहें तो अनिद्रा के रोगी की स्थिति बहुत त्रासद हो जाती है। इतनी कि जो इस रोग का मरीज नहीं है वह इसकी कल्पना भी न कर सकता। उस समय उसको कुछ सुझाई नहीं देता। धर्म, आध्यात्म, आशा-दिलाशा योग जैसे सभी शब्द बेमानी लगते हैं। पूरी दुनिया नींद के आगोश में डूबी होती और वह.......

नींद न आने का कोई निश्चित कारण बता पाना संभव नहीं है। हर व्यक्ति के लिए इसका अलग कारण हो सकता है। इसके ऊपर किए गए शोध तथा सर्वेक्षण के आधार पर चिकित्सकों का मानना है कि नींद न आने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है आपकी जीवन पद्धति। अगर जीवन पद्धति में परिवर्तन किया जाय तो संभवतः नींद लाने के लिए नींद की गोलियों की जरूरत ही न पड़े।
  1. अपने स्लीपिंग पैटर्न को सकारात्मक ढंग से बदलने की कोशिश करिए। कोशिश करिए कि आपके बेडरूम में कहीं से भी रोशनी न आए। रोशनी आने वाली हर उस जगह को बंद कर दीजिए।
  2. जो लोग रात की शिफ्ट में काम करते हैं और दिन में सोते हैं उनकी भी नींद पूरी नहीं हो पाती तथा वे लोग भी जो प्रायः दिन में सोने के आदी होते हैं उन्हें अक्सर रात में सोने में परेशानी होती हैं।
  3. सोने के कमरे में हल्की सी ठंडक होने चाहिए। गर्मी भी कई बार नींद में बाधक होती है।
ऐसा भी माना जाता है कि कई बीमारियों में दी जाने वाली दवाईयां भी आपके नींद के पैटर्न को प्रभावित करती हैं। मानसिक स्वास्थ्य का भी नींद से सीधा संबंध है। कई बार मानसिक रोग, हृदय रोग या उच्च रक्तचाप एवं एलर्जी के लिए दी जाने दवाईयों के कारण भी नींद में व्यवधान पड़ता है। अगर आपको ऐसा लगता है कि उन दवाईयों के कारण आपको नींद नहीं आ रही तो आपको अवश्य ही चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। तथा स्वयं आपको भी इसकी जानकारी होनी चाहिए कि जो दवाईयां आप खा रहे हैं उसके साइड इफैक्ट्स क्या हैं। कभी भी चिकित्सक की सलाह के बिना नींद लाने वाली कोई दवा न लें। क्योंकि अगर दवा का कॉम्बिनेशन सही नहीं है तो भी समस्याएं खड़ी हो सकती है।

एक बात पर तो दुनिया के सभी चिकित्सक एकमत हैं कि तनाव नींद न आने का सबसे बड़ा कारण है। और उससे भी महत्वपूर्ण है तनाव से निपटने का तरीका। पुराना पर कामयाब तरीका है सोने से पहले एक गिलास गरम दूध पीना, दिल को सुकून देना वाला संगीत सुनना इससे आपको शांति महसूस होती है। तनाव घटता है और नींद अच्छी आती है। इसके अलावा सोने से पहले नहाना तथा सिर में गुनगुने तेल की मालिश भी नींद लाने में सहायक सिद्ध होती है।

दोस्तों, हकीकत तो यही है कि नींद लाने के ये जो उपाय है इनके परिणाम बहुत जल्दी नहीं आते। वक्त लगता है और इससे कई बार मन में निराशा उत्पन्न होती हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सोच को सकारात्मक रखने की कोशिश करिए। हमारे और आपके स्वास्थ्य के लिए यही उचित होगा। क्योंकि नकारात्मकता से निराशा पनपती है निराशा से तनाव से अनिद्रा, अनिद्रा से उच्च रक्तचाप। यानी ये सभी चीजें एक चक्र में जुड़ी हुई हैं और हमें उसी चक्र को तोड़ना है। अपने मनोबल से।
-प्रतिभा वाजपेयी.