(कौन हूँ मैं!)
कोकिल जितनी घायल होती है
उतनी मधुर कुहुक देती है
जितना धुंधवाता है चंदन
उतनी अधिक महक देता है
मैने खुद को ना जाना था,ना पहचाना था,
कौन हूँ ,क्या हूँ , कैसी हूँ ,कहाँ हूँ ………
प़र तेरे प्रेम ने बताया कौन हूँ मैं!
तूने ही तो तराशे अंग-प्रत्यंग
तूने ही सुनी मेरी मधुर धुन
जगाया मेरा सौन्दर्य अपार
साधारण नार से एक दैवीय अप्सरा
पांवों की थिरकन में भर दिया जादू
नैनो कि चितवन जो कर दे बेकाबू
मैं तो केवल तन ही तन थी
जब तक ना मन को जाना था
मैं तो केवल बांस ही रहती
जो होठो से तेरे बंसी बन ना लगती
मैं तो बस एक तरु ही होती ,
जो तू चन्दन सा ना महकाता
डॉ. स्वीट एंजिल
बस एक भावपूर्ण प्रयास ..............
कोकिल जितनी घायल होती है
उतनी मधुर कुहुक देती है
जितना धुंधवाता है चंदन
उतनी अधिक महक देता है
मैने खुद को ना जाना था,ना पहचाना था,
कौन हूँ ,क्या हूँ , कैसी हूँ ,कहाँ हूँ ………
प़र तेरे प्रेम ने बताया कौन हूँ मैं!
तूने ही तो तराशे अंग-प्रत्यंग
तूने ही सुनी मेरी मधुर धुन
जगाया मेरा सौन्दर्य अपार
साधारण नार से एक दैवीय अप्सरा
पांवों की थिरकन में भर दिया जादू
नैनो कि चितवन जो कर दे बेकाबू
मैं तो केवल तन ही तन थी
जब तक ना मन को जाना था
मैं तो केवल बांस ही रहती
जो होठो से तेरे बंसी बन ना लगती
मैं तो बस एक तरु ही होती ,
जो तू चन्दन सा ना महकाता
डॉ. स्वीट एंजिल
बस एक भावपूर्ण प्रयास ..............