कुछ शब्द मेरे अपने
ना मायूस होने प़र सांत्वना दी ,
ना उदास होने प़र कभी गले से लगाया ,
ना कभी मेरी तरक्की में शाबाशी दी,
ना कभी मेरे रोने प़र आंसू पोंछे,
ना हंसना चाहा तो हंसने दिया,
ना कोई गीत कभी गुनगनाने दिया,
जब भी कभी अकेले जीने कि हिम्मत जुटाई,
तो अंदर कि आत्मा को भी कुचल कर......
साथ छोड़ने प़र मजबूर कर दिया,
ऐसा ही था
मेरा और उसका रिश्ता
ना प्रेम का ना दर्द का!
डॉ.शालिनिअगम
ना उदास होने प़र कभी गले से लगाया ,
ना कभी मेरी तरक्की में शाबाशी दी,
ना कभी मेरे रोने प़र आंसू पोंछे,
ना हंसना चाहा तो हंसने दिया,
ना कोई गीत कभी गुनगनाने दिया,
जब भी कभी अकेले जीने कि हिम्मत जुटाई,
तो अंदर कि आत्मा को भी कुचल कर......
साथ छोड़ने प़र मजबूर कर दिया,
ऐसा ही था
मेरा और उसका रिश्ता
ना प्रेम का ना दर्द का!
डॉ.शालिनिअगम
कभी सम्मानित कभी अपमानित होती हूँ मैं
घर की लक्षमी बन मान पाती हूँ
छोटो के अपनत्व से भीगते हुए
बडो से आदर मान पाती हूँ मै
घर को सजाती-खुशिओं को बरसाती
पाती की बांहों में सिमट जाती ह ूँ मैं
बच्चो की किलकती हँसी मैं हूँ म ै
सास-ससुर के आशीर्वादों मै हूँ मैं
पर अचानक एक दिन उस तीसरी
के जुड़ने पर सिलसिला शुरू हुआ ,
अपमानों का दिल का चैन बोझ बन ग ई,
घर की लक्षमी बन मान पाती हूँ
छोटो के अपनत्व से भीगते हुए
बडो से आदर मान पाती हूँ मै
घर को सजाती-खुशिओं को बरसाती
पाती की बांहों में सिमट जाती ह
बच्चो की किलकती हँसी मैं हूँ म
सास-ससुर के आशीर्वादों मै हूँ
पर अचानक एक दिन उस तीसरी
के जुड़ने पर सिलसिला शुरू हुआ
अपमानों का दिल का चैन बोझ बन ग
सम्मानित-अपमानित होती रही॥
मखमली स्पर्श? कांटे लगने लगा ,
कुछ तो कमी थी जो दूसरी के पास गया
मेरा बेटा तो बस निभा रहा था कि सी तरह
माँ मै ही कमी थी पापा तो बहुत अच्छे है............
टूटती- बिखरती -समेटती रही
चुप-चुप आंसू बहती रही, क्योकि
सम्मानित-अपमानित होती हूँ मै
सम्मानित-अपमानित होती हूँ मै
फिर एक दिन बहार वाली ने दे दि या धोका
मन की नही,तन की नही पैसे की नि कली पुजारिन
बेहोशी टूटी याद आई बीबी
पछतावा दो दिलो को फिर से जोड़ गया
सारे रिश्ते अचानक बदल गए
हमसफ़र के अपनाते ही
सम्मानित होने लगी हूँ
क्योकि........................ ..
सम्मनित -अपमानित होती हूँ मैं ।
.......................डॉ .शालिनी अगम
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