” अब तक
मैं अपनी सबसे बड़ी आलोचक रही हूँ ..........
.......किसी और के कुछ भी कहने से पहले मैं अपनी
निंदा स्वम् प्रारम्भ करने वालों में से हूँ .....पर अब से
अपनी इस ज़िन्दगी में ............ .मैं अपनी सबसे बड़ा
शुभचिंतक बनने जा रही हूँ ........मैं अपनी ज़िन्दगी
उस शख्स के साथ (स्वम् )के साथ बिलकुल नहीं
बिताना चाहती जो मेरा सबसे बड़ा आलोचक है ...
.............अब वो सही वक़्त आ गया है जब मैं वो हर
अच्छी बात स्वम् के विषय में स्वीकार कर चुकी हूँ जो
मेरे अन्दर हैं ....मेरे गुण,मेरी प्रतिभा, मेरा प्रेम,मेरे
अपने ,मेरा मान,मेरा आकर्षक व्यक्तित्व ,मेरा सुंदर -
स्वस्थ जीवन ....हाँ मैं यही हूँ .........................औ
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