Monday, March 18, 2013

जियो जी भर के




जियो जी भर के ............क्योंकि 

...दमित इच्छाओं से ग्रसित मन कभी भी अपने 

कर्तव्यों

की इतिश्री सुखपूर्वक नहीं कर सकता क्योंकि एक 

प्रसन्न व् संतुष्ट मन व् तन ही खुशियाँ बिखेर 

सकता है हंसने के लिए पैसा खर्च नहीं होता , ये तो 

इश्वर प्रदत्त अनमोल उपहार है ,

हँसी गरीबी-अमीरी या शिक्षित- अशिक्षित की मोहताज़ 

नहीं होती 

हँसी तो निर्मल ह्रदय की उन्मुक्त भाषा है ,भोले मन 


की परिभाषा है ....
...........
अब तो ज़िन्दगी से बस यही शिक्षा ली है .....

Dr.ShaliniAgam

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