Tuesday, January 5, 2016

Dr.Shalini Agam






"न कटाक्ष ,न व्यंग्य ,न औपचारिकता ,न सम्मोहन . बस एक अदद ,अटूट सत्य. आप बधाई की पात्रा हैं डा शालिनी अगम जी तत्कालीन साहित्यिक जगत की पारदर्शिता का बखूबी आंकलन 

सुन्दरतम रचना-सकलन सदैव की भाँति आदरणीया"

समृद्ध साहित्यकारों के इस प्रतिष्ठापूर्ण मंच "साहित्यकार मन्दिर " से प्राप्त यह सम्मान मेरे लिये एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है ।
माँ वाणी की कृपा और गुणीजनों के मार्गदर्शन का सुफल स्वीकारते हुए आदरणीय वरिशठ जनों और सभी प्रमुख भूमिका निभाने वाले और सहेलियों की हृदय से आभारी हूँ ।।........... प्रेरक-पूरक-उत्प्रेरक है सुखद एक परिवेश बनी--कोमल है दुर्गा भी है वो सरल बहुत है बहुत तनी.----------हर पल मंगलमय हो .













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हम तो चिराग हैं उनके आशियाने के ,कभी ना कभी तो बुझ जायेंगे ,आज शिकायत हैं उन्हें मेरे उजालों से ,कल उन्हें अंधेरे में बहुत याद आयेंगे . . . . 

hum to chir ag hain unke ashiyane ke ,kabhi na kabhi to bujh jayenge , aaj shikayat hai unhe mere ujalon se ,kal andhere mein bahut yaad aayenge .. 

Dr.Shalini Agam save girl child

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 वाह शालिनी जी। साधूवाद।
आभार व्यक्त करता हूँ आपका नारी होने का फर्ज अदा कर दिया आपने।जरूरत है आप जैसी और महिलाऐ आगे आये और इस लिंगभेद वाली मानसिकता का पुरजोर विरोध कर इस पुरूष रूपी समाज की इस कुत्सित मानसिकता की निंदा कर कोई भी उस खानदान मे बेटी न ब्याहे और ऐसे लोगो का सामाजिक बहिष्कारकरे तो सार्थक परिणाम मिल सकते है। पुनः आभार धन्यवाद।......Zafar Pathaan 

Monday, January 4, 2016

Dr.Shalini Agam ...

तुम जो थाम लो मेरा हाथ ,पूरी कायनात से लड़ जाऊंगा मैं। . 
मेरा चैन मेरा मुकद्दर हो तुम , न मिलीं तो टूट के बिखर जाऊंगा मैं 
सबसे बड़ी ताकत हो तुम कमजोरी न बनो मेरी ,समेट लो ,अपना लो 
लड़ते-झगड़ते ,रूठते -मनाते ही सही ,संग -संग तेरे बूढा हो जाऊंगा मैं 

~~~~~Tum jo tham lo mera hath. ..poori kaynaat se lad jaunga main. .. mera chain mera mukkaddar ho tum. .. na mili to toot ke bikhar jaunga main. ......