Saturday, September 25, 2010

SWEET ANGEL (shub aarogyam) समय की लीला



समय की लीला
वो बाग़,वो आँगन में किलकती हँसी,
चांदनी से नहाई ,छत प़र बिखरती ख़ुशी,
कभी कैरम,कभी बैड-मिन्टन कभी ताश के पत्ते ,
सजती शतरंज की बिसातें और घूमते मोहरें ,
ताने छेड़ती हारमोनियम प़र अंगुलियाँ ,
मचलती स्वर लहरियां ,साथ होती सखियाँ ,
कभी सावन की रिमझिम में झूला झूलती ,
कभी घर-भर में भैया के साथ फुदकती ,
साइकिल का कम्पटीशन जीतती ,इतराती
लौटती जीतकर नृत्य व् गान प्रतियोगिता ,
छम-छम करते पाँव छनकते घर -भर में
कभी माँ ,कभी अम्मा से बतियाती
दो चोटियाँ ,रेशमी आँचल लहराती,
हर बार कक्षा में प्रथम आती,
बुआ ,छोटी बहिन, टीचर ,सहेलियों की जान,
बुआ दादा-दादी चाचा-चाची की मुस्कान ,
माँ की दुलारी और पापा की 'लाले -जान'

२० वर्ष बाद ........................................

प्रौढ़ा होती,रोगिणी ,एकाकी जीवन जीती वो ,
ताने -उलाहने -प्रतारणा सहती वो 
जीवन -साथी के होते हुए भी ,
कितनी अकेली,कितनी लाचार वो,
एक दु:स्वप्न देख रही है
हाँ कटु सत्य बीस वर्षीय लम्बा स्वप्न ,
यौवन के मधुमास जिए ही नहीं ,
चंदा -चकोर समान प्यास बुझी ही नहीं,
मन के हर ओर अकेलापन कितना
जैसे एक अरण्यानी में साँझ का उदास झरना ,
बचपन की अल्हड -सौम्यता बदलकर ,
बनती जा रही है उदासी का सरोवर ,
आश्चर्य! कैसे हो जाती है ?
एक शोख चंचल नदिया एक शांत सागर
विचलन,अस्थिरता ,विलाप और अश्रु
क्या यही है उस "ख़ुशी" का जीवन ?

२०१०

SWEETANGEL (shubh aarogyam ) TIP OF THE DAY

(अपने निर्णय शांत होकर लें )
नमस्ते भारतवर्ष ,
सफलता जीवन में सभी चाहतें हैं ,कोशिश भी करतें हैं ,प़र कुछ बातों को व्यवहार में ढाल लिया जाये तो काम आसान हो जाता है जैसे-
१- जब आपका मन पूरी तरह स्थिर हो तभी कोई अहम् फैसला लें .जल्दबाजी या गुस्से में लिया कोई भी फैसला कभी ठीक नहीं होता .जब आपका मस्तिष्क -रुपी घोडा आपके काबू में हो तभी कोई महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम द्दें .इस बात का सदा ध्यान रखें कि दुखी अथवा उलझन पूर्ण -स्तिथि में किसी भी समस्या का निर्णय नहीं लिया जा सकता
२-यदि आपका मानसिक संतुलन सही है ,तो आप किसी भी शत्रु को स्वं प़र आक्रमण नहीं करने देंगें ,जब भी कभी निराशा में हों ,अवसाद से घिरें हों ,उदासीन हों तब कभी भी कोई निर्णय न लें बल्कि प्रयास करें कि मन में अवसाद और निराशा जैसे विकारों को आने ही न दिया जाये .और अगर कभी मन विचलित हो भी तो उसे अपने मन-मस्तिष्क प़र हावी न होने दें क्योंकि -सांसारिक सफलताओं में मानसिक संतुलन का बहुत महत्त्व है सदैव शांत मन से हर कार्य के सकारात्मक व् नकारात्मक दोनों पहलुओं प़र सोच विचार करके ही निर्णय लें .
३-जीवन में उत्साह होना बहुत ज़रूरी है और वो अपने मन से ही पैदा होता है,उत्साह हीनता से आपकी निर्णय शक्ति हीन और क्षीण हो जाती है, भय के दबाब में आकर व्यक्ति प्राय: अपनी कार्यक्षमता प़र अविश्वास करके
मूर्खतापूर्ण कार्य करने लगता है .इसलिए जब भी आप यह जानने में असमर्थ हो जाएँ कि आपको क्या करना है,किस रास्ते जाना है,तो शांत होकर विचार करें
४- अस्थिर न हों ,परमशक्ति प़र विश्वास रखें, स्वं प़र विश्वास रखें , शांत और स्थिर होकर बैठें ,मनन करें -आपको रास्ता मिल जायेगा .
५-जब मन में भय अथवा चिंता घिरी रहती है तो सारी मानसिक व् शारीरिक शक्तियों का ह्रास होने लगता है . उस समय आप एकाग्र चित्त होकर किसी भी बात का सही निर्णय नहीं कर पाते.इसलिए पहले निर्णय लेने के लिए मन को शांत करें .
६- सारी चिंताओं व् उलझनों को एक बार कोशिश कर झटक कर मन से बाहर फेंके ,शांत भाव से अपने कक्ष में बैठें ,अपने मन से आँखे बंद कर बात करना आरम्भ करें , तत्पश्चात अपने मस्तिष्क प़र ऐसा अधिकार जमाये,उसे आदेश दे कि ,"ओ मेरे मन केवल कुछ समय के लिए ही सही तू चिंता मुक्त हो जा,भविष्य में क्या लिखा है तू नहीं जनता ,परेशानी छोड़ ,मेरा सच्चा मार्गदर्शक बन , तू अकेला नहीं है ,मैं और मेरी सकारात्मक सोच तेरे साथ है ,तुझे वही मार्ग चुनना है जो मेरे हित में है, बस थोड़ी देर के लिए शांत होकर हर चिंता व् दुविधा को त्याग दे फिर देख तू और मैं मिलकर कितनी सफलता अर्जित करेंगे .रे मेरे मन तू मेरी कमजोरी नहीं मेरी ताक़त बन ,अगर मन प्यार से न माने फिर भी चिंता व् उलझन कि ही स्तिथि में रहे तो उसे फटकार लगा कर कहें " आज तुझे मेरा कहना मानना ही होगा जो परेशानी आई है उसको धैर्य के साथ टालना ही होगा और निर्णय मेरे ही पक्ष में देना होगा "..................................
७- अस्थिर मन को डाँट लगाकर उसे अपने हिसाब से चलने का आदेश दें ,जिस प्रकार घोड़े की लगाम को कसकर और चाबुक लगाकार घोड़े को सही दिशा में चलने प़र विवश किया जाता है .
द्वारा
SWEET ANGEL
शुभ आरोग्यं
दिल्ली -११००५१