Wednesday, June 30, 2010

DR.SHALINIAGAM(M.A.PH.D.)SHUBH AAROGYAM





Our passions, expectations, life experiences, and even our personalities all contribute to the level of happiness we experience in our lives. Some find happiness in their careers while others find ways to be happy in their marriages or other relationships

No matter how you define happiness for yourself, there are certain universal and time-proven strategies to bring, and sustain, more happiness into your life. The following one dozen timeless ways to be happy can be adapted and even customized to fit your needs. Over time, these strategies will become positive and life-changing habits that will begin to bring more happiness, joy and peace into your life.
Notice What's Right

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Some of us see the glass as being half-full and others see the glass as half-empty. The next time you are caught in traffic, begin thinking how nice it is to have a few moments to reflect on the day, focus on a problem you have been trying to solve, or brainstorm on your next big idea. The next time you get in the slow line at the grocery store, take the opportunity to pick up a tabloid magazine and do some œguilty pleasure� reading. Take all that life throws out you and reframe it with what's right about the situation. At the end of the day, you will more content, at peace and happy. Take the time to begin to notice what's right and see the world change in front of your eyes.

Be Grateful

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How many times do you say the words œthank you,� in a day? How many times do you hear these same words? If you are doing the first thing, saying the œthank yous,� the latter will naturally happen. Learn to be grateful and you will be open to receive an abundance of joy and happiness.

Remember the Kid You Were

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Do you remember how to play? I'm not referring to playing a round of golf or a set of tennis. I'm talking about playing like you did when you were a child a game of tag; leap frog, or street baseball when the bat is a broken broom handle and the bases are the parked cars. One way to find or maintain your happiness is to remember the kid you were and play!








Tuesday, June 29, 2010

डॉ.शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं) धन्यवाद


नमस्ते भारतवर्ष
और
धन्यवाद मेरे उन सभी शुभचिंतकों का जिनका प्यार और सहयोग पाकर मुझे अतीव हर्ष का अनुभव हो रहा है गुरु राजीवजी ,अजय कुमारजी,निर्मला कपिलाजी, उड़न तश्तरी, आशा जोग्लकर जी ,मनोजजी , sbisbani ji,विक्रांत जी,डॉ। श्याम गुप्ता जी,नन्हेजी , शाशिवेंद्र कुमार सैनीजी, .................और उन सभी आदरणीय ब्लॉग लेखकों और मेरे प्रशंसकों को मेरा हार्दिक धन्यवाद
डॉ स्वीट एंजिल शुभ आरोग्यं

Monday, June 28, 2010

SHALINIAGAM (SHUBH AAROGYAM)अपनी मनोकामना पूरी कैसे करें

नमस्ते भारतवर्ष
अपनी मनोकामना पूरी कैसे करें
चलिए में आपको बतातीं हूँ .
हमें अपने जीवन से क्या चाहिए .......?
शक्ति एवं बुद्धि ,शोर्य ,तेज,ओज,शांति,धन-संपत्ति , उत्तम स्वास्थ्य ,दाम्पत्य जीवन में मधुरता ,सभी दिलों में प्यार का प्रसार,कार्य-क्षमता में वृद्धि , मानसिक शांति की प्रचुरता,स्वम को
समझने की शक्ति इत्यादि-इत्यादि ....
ह्रदये की गेहाईयों में हमारी आकांशाएं क्या, हम कैसे लोग चाहतें हैं ,कैसी परिस्तिथियों को हम पसंद करतें हैं,क्या-क्या सुविधाएँ जीवन में चाहियें . इन सबका मूल्यांकन करके चयन
करें और प्राथमिकता दें उस बात को , उस मनोकामना को जो सबसे तीव्र है और तब उसको पूर्ण करने का संकल्प लें .
मनोकामना सिद्ध करने के लिए चर चरणों से निकलना पड़ता है ................
प्रथम चरण
सर्वप्रथम अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाइये .अपने अन्दर की नकारात्मकता को दूर निकाल फेंकिये
भरपूर आत्मविश्वास के साथ जीवन -समर में विजय की भावना के साथ खड़े हो जाइये .
दृढ निश्चय के साथ अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए मनोकामना -सिद्ध ध्यान के लिए तैयार हो जाइये .
द्धितीय चरण
प्राथमिकता सबसे आवश्यक मनोकामना को दें अपना लक्ष्य चुनें जो वस्तु या परिस्थिती आप चाहतें हैं उसे स्पष्ट रूप दें ,
उसकी मानसिक कल्पना करें ,ऐसे मनन करें या जागी आंखों से अपने लक्ष्य को इस प्रकार निहारें कि लगे कि सभी कुछ आपके अनुसार
घटित हो रहा है ........
उदाहरण के लिए ...अगर आप छरहरा व् आकर्षक व्यक्तित्व चाहतें है तो स्वंय को उसी स्तिथि में विचारें कि आप बेहद स्वस्थ , सुंदर व् आकर्षक बदन के स्वामी अथवा स्वामिनी हैं आप से अधिक आकर्षक कोई नहीं.
अगर आप मानसिक तनावों से मुक्त होना चाहतें हैं तो अनुभव करें कि "मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है ","में विश्रामावस्था में हूँ ",
"शांत व् प्रसन्न-चित्त हूँ ". इसी प्रकार घर चाहतें है तो सुंदर , आरामदायक घरकी कल्पना कीजिये ......"आप आराम कुर्सी प़र बैठें है ,सुंदर व् आकर्षक घर है चारों ओर शांति व् हरियाली है ...."
कष्ट दूर करना है तो उस रोग से मुक्त होने की कल्पना कीजिये और स्वंय को पूर्ण रूप से स्वस्थ अनुभव अनुभव करने की मनोकामना को बार-बार दोहराते हुए
कल्पना करें कि आपके शरीर में १६ साल जैसे बालक के समान उर्जा व् शक्ति का संचार हो रहा है , आप रोग मुक्त व् बेहद शक्तिवान हैं.अपनी कोई भी इच्छा जो आप पूरी होते देखना चाहतें हैं उसको मान कर चलिए कि वह पूरी हो रही है स्वंय को सकारात्मक सोच में ढालिए .
डॉ. शालिनिअगम
DIRECTER & FOUNDER
SHUBH AAROGYAM
The spiritual reiki healing & training center
www.aarogyamreiki.com
e-4/30 Krishna Nagar Delhi 110051

Sunday, June 27, 2010

DR.SHALINIAGAM (शुभ आरोग्यं )काश उत्सव आ जाए


काश! उत्सव आ जाए ,
दीये ही दीये जल जाएँ ,
फूल ही फूल खिल जाएँ,
जो मैने जाना, मैंने जिया ,
मैंने पहचाना .........
कुछ न मिला...................
काश!
भीतर मेरी आत्मा का स्नान हो जाये ,
भीतर में स्वच्छ हो जाऊं ,
भीतर में आनंदमग्न हो जाऊं........
डॉ.शालिनिअगम
www.aarogyamreiki.com

Saturday, June 26, 2010

DR. SHALINIAGAM (SHUBH AAROGYAM)

DEAR FRIENDS

Boundaries and walls are very different things. As you decide what to accept and what to reject, you learn to live feeling protected and yet free of walls.
Rather than collapse yourself into thoughts of the future, stay in the present, for considerable hard work is involved in a time for healing and transformation.
The one who wanders independent in the world, free from opinions and viewpoints, does not grasp them and enter into disputations and arguments. As the lotus rises on its stalk unsoiled by the mud and the water, so the wise one speaks of peace and is unstained by the opinions of the world."

The lotus flower grows in muddy water
and rises above the surface to bloom with
remarkable beauty.
Untouched by the impurity, lotus symbolizes
the purity of heart and and mind.

The lotus flower represents long life,
health, honor and good luck.

Those are my wishes to you precious friend,

A day filled with goodness and peace to you!

dr. shailiniagam

डॉ.शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं)स्वेम प़र विश्वास ही आपकी जीत है


यह जो हमारी लाइफ है न ,हर बार दो रास्ते नज़र आयेंगे ....... हर पल मन में अनेक आवाजें सुनाई देंगीं .........उलझन का समय आएगा...........
ये काम करूँ या ना करूँ , इस रास्ते जाऊं या उस रास्ते जाऊं .इस उलझन और संशय कि स्तिथि में स्वयम की ही सोच काम करेगी.
भटकना छोड़ कर मनन करें , केवल अपने मन की बात प़र ध्यान दें .केवल अपने मन कि बात को जानने प़र ही सच्चाई को जान पाओगे.
उलझन से बचने का एक ही रास्ता है, केवल अपने मन कि बात सुनो ,self-centered होकर ही जीत पा सकते हो . अगर तुमने अपने अंदर
की आवाज को पहचान लिया है तो बाहर कुछ भी पाने की , ढूढने की आवश्यकता नहीं है ,
अपनी आँखे खुली रखो , तभी सच जान पाओगे, जब अपनी आँखें बंद रखोगे तो सच भी भीतर ही बंद हो जाएगा .
अपने अंदर की आवाज जो तुमने खुद ही मनन करके सुनी है,उसी में से ,तुम्हारे भीतर से एक नया ,चमकता हुआ ,आत्मनिर्भर,
केवल तुम्हारा ही विजय-गान सामने आएगा ,और देखो ........... जीवन मस्त और कितना खुशहाल बन रहा है
तुम्हारा जीवन निराशा के अँधेरे से निकल कर आशा के उजाले से भर रहा है.
by
dr.shaliniagam

Shubh Aarogyam
The spiritual Reiki healing & training center

e-4/30 krishna nagar Delhi-1100051
www.aarogyamreiki.com

Friday, June 25, 2010

Dr.Shaliniagam (sammanit-apmanit hoti hoon main)


कभी सम्मानित कभी अपमानित होती हूँ मैं
घर की लक्षमी बन मान पाती हूँ
छोटो के अपनत्व से भीगते हुए
बडो से आदर मान पाती हूँ मै
घर को सजाती-खुशिओं को बरसाती
पाती की बांहों में सिमट जाती हूँ मैं
बच्चो की किलकती हँसी में हूँ मै
सास-ससुर के आशीर्वादों मे हूँ मैं
पर अचानक एक दिन उस तीसरी
के जुड़ने पर सिलसिला शुरू हुआ ,
अपमानों का दिल का चैन बोझ बन गई,

सम्मानित-अपमानित होती रही॥

मखमली स्पर्श? कांटे लगने लगा ,

कुछ तो कमी थी जो दूसरी के पास गया

मेरा बेटा तो बस निभा रहा था किसी तरह

माँ मे ही कमी थी पापा तो बहुत अच्छे है............

टूटती- बिखरती -समेटती रही

चुप-चुप आंसू बहाती रही, क्योकि
सम्मानित-अपमानित होती हूँ मै

फिर एक दिन बाहर वाली ने दे दिया धोखा

मन की नही,तन की नही, पैसे की निकली पुजारिन

बेहोशी टूटी याद आई बीबी

पछतावा दो दिलो को फिर से जोड़ गया

सारे रिश्ते अचानक बदल गए

हमसफ़र के अपनाते ही

सम्मानित होने लगी हूँ

क्योकि..........................

सम्मनित -अपमानित होती हूँ मैं ।

......................dr.shaliniagam
www.aarogyamreiki.com

Wednesday, June 23, 2010

डॉ.शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं) एक मुस्कान


एक मुस्कान
अगर आज मेरी मुस्कराहट से,
एक दिल भी खुश होता है,
अगर आज मेरे खिलखिलाने से ,
एक कली भी मुस्कुराती है,
अगर आज मेरे किसी एक ,
कार्य से कोई मन गुनगुनाता है....................
तो लीजिए हम मुस्कुरा दिए
प़र..............................
मेरी ये मुस्कराहट केवल होठों प़र ही नहीं,
मेरे सत्कर्मों में भी होगी ,
जिसमे किसी जरूरतमंद की ,
कोई इच्छा पूरी होगी,
तभी मेरी ये मुस्कराहट सार्थक होगी
डॉ.स्वीट एंजिल 


Tuesday, June 22, 2010

शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं)


Watch your thoughts; they become words.
Watch your words; they become actions.
Watch your actions; they become habits.
Watch your habits; they become character.
Watch your character; it becomes your destiny. "Enthusiasm is one of the most powerful engines of success. When you do a thing, do it with all your mind. Put your whole soul to it. Stamp it with your own personality. Be active, be energetic, be enthusiastic and faithful, and you will accomplish your object. Nothing great was ever achieved without enthusiasm."
Dr.Sweet Angel

Tuesday, June 15, 2010

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शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं)

Namaste India



Experience has taught me that the greatest inner tranquility comes from developing love and compassion. The more we care for the happiness of others, the greater our own sense of well-being. Cultivating a close, warm-hearted feeling for others automatically puts our mind at ease. It helps remove our own fears and insec...urities and g...ives us strength to face obstacles - it is the ultimate source of success in life.

May the many Angels of love pour peace,joy,happiness,opportunity,growth and abundance in and around you today.
May you know they are your guiding lights when you need them
May you never know loneliness- for they are never far away,
and may your week be blessed with contentment beyond measure.
by
Dr. Sweet Angel
shubh aarogyam reiki center
www.aarogyamreiki.com

शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं)


HELLO FRIENDS
~ wish all of you and family :
faith so that believe ♥
smiles while sadness ♥
comfort on difficult days ♥
laughter to feel your lips ♥
patience to accept the truth ♥
and love to complete your life ♥
confidence for when you doubt ♥See More
By: Dr. Shaliniagam
Shubh Aarogyam Reiki center
www.aarogyamreiki.com

शालिनिअगम (शुभम आरोग्यं)


n

Monday, June 14, 2010

SHALINIAGAM (SHUBH AAROGYAM)The Wave of Love


HELLO FRIENDS,NAMASTE
Life is a Miracle, a constant miracle happening in front of our eyes but we can not see it because we are stucked in our minds, locked, controlled, manipulated by our thoughts.... ..... Drop down in your heart and the whole life will be one constant Miracle, miracles upon miracles... ... . Love U my sibling.... take my hand, my spirit is part of the One, dancing gran of sand in the Divine desert of Love... .... THANKS
for being around,
YOUR Dr. Shaliniagam
SHUBH AAROGYAM REIKI CENTER
www.aarogyamreiki.com

AWAKENING INTO INFINITE LOVE AND LIGHT


HELLO FRIENDS,
LITSEN & FOLLOW IT CAREFULLY

AWAKENING INTO INFINITE LOVE AND LIGHT

Sunday, June 13, 2010

शालिनिअगम ( कुछ शब्द मेरे अपने) क्षण -बोध


क्षण -बोध
प्रत्येक प्रेम भरे क्षण को ,
भोगने की ललक ,
हर क्षण को अविस्मरणीय ,
बनाने की चाह,
एक-एक-क्षण को
आलिंगन में भरने की जिद,
उन पलों की अनुभूति,
वो अद्भुत क्षण,
तन प़र ढेरों गुलाब से खिलाता ,
वह मदमस्त क्षण ,
उन क्षणों की स्मर्तियाँ ,
जब वाणी मूक हो जातीं,
रोम--रोम महक जाता.
वह स्पर्श,वह सुख,वह क्षण
बस वही एक सत्य
बाकी सब मिथ्या ,
केवल वह एक क्षण................
डॉ. स्वीट एंजिल 

Thursday, June 10, 2010

SHALINIAGAM


उसने कहा था .........
तुम्हारी आँखें उन आँखों का ज़िक्र करतीं हैं,
फकीर हो गए जिनकी तलब में शहजादे !
आज फिर कुछ इसी तरह फिर से कोई,
बोला मुझसे..........
क्या बात कहूं उन आँखों की,
जिन आँखों प़र मै मरता हूँ,
वो आँखें झील सी आँखें है,
जिनमे डूब के रोज उभरता हूँ,
कोई आंसूं न आये इन नैनों से,
बस इतनी दुआ मै करता हूँ.
.......................................
पल पंख लगा कर उड़ गए ,
एक जन्म में दो-दो बार मिला,
प्यार से भी ज्यादा प्यार,
फिर भी कितना ख़ाली-ख़ाली सा,
लगता है ये मोरा जिया.
डॉ.शालिनिअगम
१० जून २०१०
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Tuesday, June 8, 2010

शालिनीअगम (शुभ आरोग्यं) ध्यान की सरलतम विधियाँ

नमस्ते भारतवर्ष


अपनी श्वांसों के आवागमन को केवल साक्षी भव से देंखें ............साँसे रहीं हें ...............साँसे जा

रहीं हेंइस क्रिया को आनंद के साथ सिर्फ अनुभव करेंधीरे-धीरे साँसों की गति कोधीमा करतें जाएँ

मन इधर-उधार भटकता है ,भटकने दो,.............. इधर -उधार भागता है , भागने दो...........

जब साँसों की गति धीमी होने लगेगी ,तो मन का भटकना भी कम होता जाएगा

से १० तक की गिनती तक सांसों को भरें और फिर छोड़ें

अब आत्म-स्थिर होने का प्रयत्न करेंअकर्ता भाव से शरीर से अलग होकर ,शरीर में होने वाली हर क्रिया को बस अवलोकन करतें रहें.जैसे आप चित्र-पट प़र कोई चल-चित्र देख रहें हों.अब आप अलग है और शरीर अलगशरीर में अनेको घटनाएँ घट रहीं हें,मन उछल -कूद कर रहा हैकहीं दर्द हो रहा है तो कहीं खुजली हो रही है,कहीं आराम रहा है कहीं बेचैनी है ,कहीं हल्का है तो कहीं भारी है

आप बस केवल उसे चुप-चाप महसूस करतें रहें, निहारतें रहें ................ कोई क्रिया - प्रतिक्रिया

२४ घंटे बस साक्षी-भाव से अपने आपको साधतें रहें तो मन से भय,क्रोध,घृणा,चिंता,निराशा सभी कुछ निकलता चला जायेगा और फिर धीरे-धीरे आप पाएंगे कि आप ध्यान-पूर्ण होते जा रहें हैं ......



शालिनिअगम

Blogger: shalini aggarwal (Shubh Aarogyam) - Create Post
नमस्ते भारतवर्ष
अपनी श्वांसों के आवागमन को केवल साक्षी भव से देंखें ............साँसे रहीं हें ...............साँसे जा
रहीं हें। इस क्रिया को आनंद के साथ सिर्फ अनुभव करें। धीरे-धीरे साँसों की गति कोधीमा करतें जाएँ।
मन इधर-उधार भटकता है ,भटकने दो,.............. इधर -उधार भागता है , भागने दो...........
जब साँसों की गति धीमी होने लगेगी ,तो मन का भटकना भी कम होता जाएगा
से १० तक की गिनती तक सांसों को भरें और फिर छोड़ें
अब आत्म-स्थिर होने का प्रयत्न करें। अकर्ता भाव से शरीर से अलग होकर ,शरीर में होने वाली हर क्रिया को बस अवलोकन करतें रहें.जैसे आप चित्र-पट प़र कोई चल-चित्र देख रहें हों.अब आप अलग है और शरीर अलग। शरीर में अनेको घटनाएँ घट रहीं हें,मन उछल -कूद कर रहा है। कहीं दर्द हो रहा है तो कहीं खुजली हो रही है,कहीं आराम रहा है कहीं बेचैनी है ,कहीं हल्का है तो कहीं भारी है
आप बस केवल उसे चुप-चाप महसूस करतें रहें, निहारतें रहें ................ कोई क्रिया - प्रतिक्रिया
२४ घंटे बस साक्षी-भाव से अपने आपको साधतें रहें तो मन से भय,क्रोध,घृणा,चिंता,निराशा सभी कुछ निकलता चला जायेगा और फिर धीरे-धीरे आप पाएंगे कि आप ध्यान-पूर्ण होते जा रहें है
Dr shaliniagam


शालिनीअगम (शुभ आरोग्यं) ध्यान की सरलतम विधियाँ-2




Friday, June 4, 2010

शालिनिअगम कहाँ हो प्रिय ???????

कहाँ हो प्रिय ???????

अनेकों बार
मन को समझातीं हूँ ,
किंचित! अब प्रभात है,
मेरे जीवन का ,
कितने मन-मयूर ,कोकिला
मेरे अंगना
नाचने को आशान्वित हैं!
रचूँगी दिवास्वप्न ,
गढ़ूंगी आकृतियाँ
बावरा मन नित
नए स्वप्न बुनता है
मेरे मीत
निहारते मेरा रूप,
चंदा-चांदनी का खेल
हौले से मूंदें नेत्र
आराध्य मेरे खोये रहें ,
प्रिय वक्ष प़र धर शीश ;
स्वप्न मेरे
मिलन अधरों का,
लहर उठे तन-मन में ,
मेरे सुर-सगीत निछावर
प्रिय के अनुराग में,
प्राण मन के मीत मेरे
स्वप्न के आधार.....
कंहा हो???????
ढूढंती हर क्षण प्रिय ......
डॉ। शालिनीअगम
३१/०७/89
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SHALINIAGAM Tip of the day (ध्यान की सरलतम विधियाँ )

नमस्ते भारतवर्ष
आज मैं आपको ध्यान यानि meditation की बहुत आसन विधि बताने जा रहीं हूँ ।
ध्यान की सरलतम विधियाँ
१- आराम की मुद्रा में बैठ जाएँ. सर्वप्रथम श्वांसों को गहराई से छोड़ने का प्रयास करें । केवल सांसों को गहरा-गहरा लें और छोड़ें। इस प्रक्रिया में शरीर की दूषित वायु निष्कासित होती है और तन-मन प्रफुल्लित रहतें हैं । साथ ही अनेक गन्दी आदतों से छुटकारा भी मिलता है।
२-आंखे बंद करके शांत मन से आरामदायक आसन में बैठ जाएँ और अपने तन व् मन को ढीला छोड़तें जाएँ और कल्पना करें कि हमारा अंग-प्रत्यंग पूरी तरह शांत हो रहा है। नख से शिख तक सभी अंग शिथिल व् मूर्तिवत हो गएँ हैं। इस तरह १० मिनिट से लेकर आधा-एक घंटे तक प्रयास करें । वातावरण को संगीत -मय बनाने के लिए ॐ ध्वनि लगा सकतें हैं।
३-मौन-भाव से शांत व् स्थिर होकर बैठें । आरम्भ में केवल ॐ का उच्चारण करतें जाएं और बारी-बारी से अपने शरीर को बंद आँखों से पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक अवलोकन करतें जाएँ ।महसूस करें कि जिस जिस अंग को आप मन की आँखों से देखते जा रहें हैं वह अंग स्वस्थ व् सुंदर होता जा रहा है।
४- वातावरण में ॐ व् परम-शक्ति की उपस्थिति का भान होने से आपका ध्यान स्वासों के आवागमन के साथ जो सकारात्मक ऊर्जा से परिचय करेगा तब आपका तन-मन स्वस्थ व् प्रसन्न होने का अहसास करेगा।

डॉ.शालिनीअगम
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SHALINIAGAM Tip of the day (ध्यान की सरलतम विधियाँ )

नमस्ते भारतवर्ष
आज मैं आपको ध्यान यानि meditation की बहुत आसन विधि बताने जा रहीं हूँ
ध्यान की सरलतम विधियाँ
- आराम की मुद्रा में बैठ जाएँ. सर्वप्रथम श्वांसों को गहराई से छोड़ने का प्रयास करेंकेवल सांसों को गहरा-गहरा लें और छोड़ेंइस प्रक्रिया में शरीर की दूषित वायु निष्कासित होती है और तन-मन प्रफुल्लित रहतें हैंसाथ ही अनेक गन्दी आदतों से छुटकारा भी मिलता है
-आंखे बंद करके शांत मन से आरामदायक आसन में बैठ जाएँ और अपने तन व् मन को ढीला छोड़तें जाएँ और कल्पना करें कि हमारा अंग-प्रत्यंग पूरी तरह शांत हो रहा हैनख से शिख तक सभी अंग शिथिल व् मूर्तिवत हो गएँ हैंइस तरह १० मिनिट से लेकर आधा-एक घंटे तक प्रयास करेंवातावरण को संगीत -मय बनाने के लिए ध्वनि लगा सकतें हैं
-मौन-भाव से शांत व् स्थिर होकर बैठेंआरम्भ में केवल का उच्चारण करतें जाएं और बारी-बारी से अपने शरीर को बंद आँखों से पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक अवलोकन करतें जाएँमहसूस करें कि जिस जिस अंग को आप मन की आँखों से देखते जा रहें हैं वह अंग स्वस्थ व् सुंदर होता जा रहा है
- वातावरण में व् परम-शक्ति की उपस्थिति का भान होने से आपका ध्यान स्वासों के आवागमन के साथ जो सकारात्मक ऊर्जा से परिचय करेगा तब आपका तन-मन स्वस्थ व् प्रसन्न होने का अहसास करेगा

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