नमस्ते भारतवर्ष
पंचतत्वों से बना ये शरीर उन्ही की प्रार्थना से कैसे ठीक हो सकता है आइये जाने
वात-पित्त- कफ के असंतुलन से ही अनेक बीमारियाँ पनपतीं हैं .वायु से सम्बंधित रोग होने प़र खुले स्थान प़र बैठकर ध्यान लगाइए और प्रार्थना करें :"हे आकाश!हे वायु!मैं तुम्हारी विशालता को प्रणाम करता हूँ .कृपया मुझ
प़र दया कीजिये मेरे शरीर में वात को संतुलित रखिये तुम दोनों से उत्पन्न वात मेरे शरीर में ठीक से कार्य करे .तुम दोनों सर्व-व्यापी हो तथा सबको पौष्टिकता प्रदान करने वाले हो ,कृपया मेरे शरीर के वात से मेरे सभी अंगों को पोषण दें .में तुम्हारी शक्ति को नमन करती हूँ ।"
पित्त कि चिकित्सा के लिए सूर्य अथवा अग्नि को संबोधित करें :"हे जीवन देने वाले,हे इस धरती के प्राण !तुम्ही मेरे शरीर को शक्ति और उर्जा देते हो। मैं प्रार्थना करती हूँ कि मुझे दूषित कफ से जनित रोगों से बचाओ.मेरे अंदर की अग्नि को नियंत्रित करें मुझे आशीर्वाद दें ,मेरी बुद्धि तीव्र हो । मुझे समरसता,संतुलन व् स्वास्थ्य प्रदान करें॥"
कफ सम्बन्धी रोगों से मुक्ति पाने के लिए पृथ्वी व् जल का आभार व्यक्त करें :"हे पृथ्वी माता!तुम हमें अन्न-जल प्रदान करती हो ,तुम्हारी मिटटी में ही बीज पोषित होतें है , मुझे सहनशीलता प्रदान करें ,मुझे शक्ति प्रदान करें।"
प्रार्थना से ही हम अपना तथा दूसरों का भी स्वास्थ्य अच्छा कर सकतें हैं ।
डॉ.शालिनिअगम