Wednesday, June 2, 2010

शालिनीअगम ( कुछ शब्द मेरे अपने)

namaste India

सौंदर्य का सार
सौंदर्य ........................................
भला लगता है नेत्रों को,
सुखद लगता है स्पर्श से,
सम्पूर्ण विश्व एक अथाह सागर ,
जिसमें भरा है सौंदर्य अप्पर,
हर चर-अचर हर प्राणी ,
सौंदर्य को पूजता है बारम्बार !
सौंदर्य का कोष है पृथ्वी-लोक ,
सौंदर्य का भण्डार है देव- लोक,
प्रत्येक पूजित-अपूजित व्यक्ति,
कल्पना करता है तो केवल ,
सौंदर्य को पाने की ,
परन्तु......................
ऐसे कितने मिलते हैं यंहा ,
जो रूपता-कुरूपता को,
समान पलड़े प़र तोलते हैं ,
जो चाहतें हैं मानव-मात्र को
मानते हैं दोनों को समान

शालिनिअगम ( कुछ शब्द मेरे अपने )


मेरा नृत्य कोई और नहीं कर सकता,
मेरा गीत कोई और नहीं गा सकता,
मेरे उत्सव कोई और नहीं मना सकता,
मैं अपनी रचियता स्वम हूँ,
शालिनीअगम
२०१०
comment:
hi sweety,
you deserve to love and respect yourself and to honour your creative yearnings...........
yours

सौन्दर्यमयी सुश्री शालिनी ,
अहो भाग्य ! जो आपकी सुंदर रचना पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .
भविष्य में भी इसी प्रकार क्रियाशील रहिएगा.
आपका प्रशंसक

SHALINIAGAM (कुछ शब्द मेरे अपने)


कुछ शब्द मेरे अपने (स्व:)
कौशार्य की विस्मृत कोमलता लौट आने को है,
बचपन के उमंग , उल्लास ,स्वच्छंदता ,गीत-नाद ,
उत्सव------ सब कुछ लुप्त हुए थे कभी ,
प़र साजन के प्रेम में भीगी ,
चपल खंजन-सी ,फुदकती,चहकती ,
नवयुवती अलसाने को है!
डॉ.शालिनीअगम
2002

SHALINIAGAM (TIP OF THE DAY)SHUBH AAROGYAM


ये ज़िन्दगी बेहद खूबसूरत है,
अगर हम चाहें तो और भी ख़ूबसूरत हो सकती है ,
क्योंकि हमारी ख्वाहिश ये सृष्टि मानती है और उसे उसे पूरा करती है.
ये अलौकिक शक्तियां मेरे लियें अलादीन का चिराग़ हैं जो मांगती हूँ मिलता है.......
.......पैसा, प्यार, शौहरत , स्वास्थ्य .
हर पल जो चाहतो हो मांगो सृष्टि से ,
विश्वास करो कि जो माँगा है ,बस पा ही लिया है,
महसूस करो कि जो माँगा, उसे पाने के बाद कितनी ख़ुशी मिल रही है,
में जो चाहती हूँ ,उस पर विचार करती हूँ, कागज पर लिखती हूँ,
फिर अटूट विश्वास करती हूँ,आशावादी सोच रखती हूँ ,
फिर मैं उसे पा लेती हूँ .
हम सबको अपने और सृष्टि के बीच ताल-मेल बिठाना आना चाहिए
जब भी हालत बदलने हों ,पहले विचार बदलो .
क्योंकि मैं प्रकृति का , सृष्टि का, धन्यवाद करती हूँ , ज्यादा पाना चाहती हूँ तो शुक्रिया करती हूँ
इच्छा -शक्ति से क्या नहीं हो सकता ,आप अपनी इच्छा-शक्ति और यकीन से आप क्या नहीं पा सकते.
अपनी उम्मीद से बड़ी कोई तस्वीर , कोई इच्छा देखो,सोचो, आँखे बंद करके महसूस करें कि वह मजिल मैंने पा ली है .
डॉ.शालिनीअगम
2010