Sunday, March 17, 2013

पर हृदय में एकांत कितना................the poetess Dr.Shalini Agam


पर हृदय में एकांत कितना

अभी तक जी रही थी
सिर्फ एक एकांत
घर में बहुत भीड़ है
पर मन में है एकांत
इस एकांत को तोड़ने
अभी तक न कोई आया था
खलबली तो मचा गए सभी
अपने .........???????
कभी तानो की
कभी अपमान की
कभी तिरस्कार की
कभी प्रताड़ना की
कभी मेरे कर्तव्यों की
ये करो, ये न करो
ऐसे करो ,वैसे करो
मुह मत खोलो
किसी से मत बोलो
अधिकारों की बात ही मत करो
बस कर्तव्य ही निभाते जाओ
चारों ओर शोर इतना
पर हृदय में एकांत कितना
................................
पर ऐसे में आपका आना
आप में देखा
एक सरल भाव
एक अपनापन
आपने बताया तो जाना
हाय ......................
मैं भी एक इन्सान हूँ
इच्छाएं मेरी भी हैं ....
हाँ ...........
ये सलोनी खिलखिलाहट
ये आशा-उमंग मेरे मन में भी हैं
रे पागल मन
तू भी गाता है….

पैर तेरे भी हैं
जो थिरकना चाहते हैं
तन तेरा भी चाहता है झूमना
शायद किसी के आलिंगन में
या शायद किसी के मद भरे गीतों में ....
बिखरे हुए मोतियों की
माला को गूंथने का एक साहस
एक हौंसला ,एक सहारा
एक एहसास ,एक साथी
एक सरल व्यक्तित्व
आश्चर्य-जनक ,प्रतिभाशाली
स्वंत्र-विचारों का सहायक
कोई अपनों से अधिक अपना ........
............पर पराया ...
 —

dr.shalini agam the poetess


एक प्यारा सा रिश्ता है प्यार का

कहीं लिखा भी है कहीं पढ़ा भी है

कहीं देखा भी है ,कहीं सुना भी है ,

कभी जाना सा कभी अनजाना

फिर भी क्यों इतना अपना सा है

कुछ मासूम सा,कुछ अलबेला सा ,

कुछ अपना सा ,कुछ बेगाना सा ,

कुछ चंचल सा,कुछ शर्मीला सा
कुछ शोख सा,कुछ संजीदा सा
कुछ उलझा हुआ,कुछ सुलझा हुआ
कुछ मस्ती भरा ,कुछ खफा-खफा
कभी मान दिया .ऐतबार किया
सब कुछ एक-दूजे प़र वार दिया
कुछ तेरा है ,कुछ मेरा है,
ये प्यारा सा रिश्ता है प्यार का ..

डॉ. स्वीट एंजिल
 —
Open your heart and forgive all the damages that you heart has been accumulating, it is time to let them flow out of your body. Forgive yourself from letting yourself down and forgive others, when we forgive and forget, our happiness comes back to Us and let Us shine one more time. 
Forgive, Forget, live in peace and happiness •°*”˜˜”*°•✫
Lots of Love, and warm hugs •°*”˜˜”*°•✫

MY INDIA MY PRIDE.
..................DR.SHALINIAGAM

Dr.Shalini Agam

नमस्ते भारतवर्ष
अच्छा ये बात तो पक्की है की हम और आप ये सभी बातें बचपन से पढ़ते और सुनतें आयें हैं .....प़र हमारा अनुभव बताता है कि जब-जब हमने इन सब बातों का अनुसरण किया लाभ भी हमें ही मिला है . हैं ना? फिर भी हम वक़्त आने प़र भूल जातें हैं और परेशानियाँ मोल ले लेतें हैं . इसलिए जब भी हम मन को संयत कर और थोड़ी सी प्रसन्नता के साथ ,स्थिर होकर भविष्य की कल्पना करें फिर उस प़र अमल करना प्रारंभ करें या वर्तमान की पेचीदा स्तिथियों से निबटने की सही योजना कार्यान्वित करें तो परिणाम और भी बेहतर आयेंगे
When you have a happy and positive frame of mind , you set in motion opportunities that wil ebanle you to achieve the things you want most of Always find an abundance of things to love about your life, yourself, and all those all.....................................
सफलता का द्वार खोलने के लिए बस कुछ बातों प़र अमल करना होगा ............हम सभी जानतें हैं मगर भूल जातें हैं
मधुर व्यवहार .............हम सभी का है और उस हर हाल में बरकरार रखना हमारी ज़िम्मेदारी है .
सहानुभूति ........ किसको पसंद नहीं ,इसके द्वारा तो हम दुश्मन को भी अपना बना लेतें हैं .
प्रसन्न -मुखारविंद .......देखो ना मुस्कुराते चेहरे प़र कौन ना फ़िदा होगा .अपनी हर बात मनवाने का एक अचूक नुस्खा है ये.
आलोचना का त्याग...........निंदा करके हम अपना और दूसरे दोनों का मूड खराब करतें हैं .जब किसी से कोई परेशानी हुई तब तो हुई अब बार-बार उस दोहरा कर क्यों अपना कीमती वक़्त बर्बाद करतें हैं ,और क्यों दिल में जलन पैदा करतें हैं ,जो पसंद नहीं ,जिसकी आदतें पसंद नहीं उन्हें अपने जीवन में कम से कम जगह दीजिये ,हर-पल कुढ़े से अच्छा है उस situation में पड़ा ही ना जाये
-व्यक्तित्व को निखारने का प्रयत्न ...........वाह ! अपने को निखरने के लिए इससे बढ़िया कुछ हो नहीं सकता
-दूर-दृष्टि ..........हमारा आज और कल सवारने के लिए दूर-दृष्टि से देखिये ...क्या सही है क्या गलत ........सोच -समझ कर ही किसी बात का निर्णय लीजिये
- धर्म -निरपेक्षता........बहुत शांति पैदा करती है समाज में
-अभिमान का त्याग............किस बात का अभिमान करना है ,.....अगर हमसे तुच्छ है कोई { हमारी नज़र में , वैसे इस जगत में कोई प्राणी तुच्छ नहीं हर एक में कोई ना कोई विशेषता है } तो दृष्टि घुमाइए आपसे श्रेष्ठ भी बहुत हैं ...जो आपको अपने से छोटा मान सकतें हैं .
- सिद्धांतों का पालन मानव का धर्म है .....और सिद्धांतों का पालन ना करने से हम अपना आज और आने वाली पीढ़ी का कल खराब कर सकतें हैं .......
- प्रसिद्द मनोविज्ञानी (अज्ञात) के अनुसार ...............
'जो व्यक्ति दूसरों में दिलचस्पी नहीं रखता उसे अपने जीवन में उदासीनता और कठिनाई का सामना
करना पड़ता है
-झुक कर चलने वाले को रत्न मिलतें हैं ..........रत्न मिलने का मतलब यह नहीं की आप रास्ते प़र सिर झुका कर चल दिए तो आपको diamonds मिल जायेंगे ....झुकना मतलब 'विनम्रता ' ..स्वभाव -गत विनम्रता हर प्रकार से फल दायी है .
-नम्रता से देवता भी तुम्हारे वश में हो जातें हैं .
Dr.Sweet Angel.
 —

Dr.Shalini Agam


कुछ चीजें कभी नहीं बदलती
कुछ बातें सदा हैं चलती
केवल कुछ वचनों के बदले
 सम्पूर्ण जीवन बिता देते हैं
केवल कुछ भांवरों के बदले
तन-मन लुटा देते हैं
 क्यों अपना क्यों छोड़ दिया ?
हवन-कुंद की वेदी पर
अर्धांगिनी मान कर भी न माना
 पण्डितों के श्लोकों की गुंजन में
मेरे कोरे पवित्र मन को
 सिदूर की लाली से रंगने वाले
 छूकर भी मुझको कभी न छुआ
मैं हतप्रभ,
आश्चर्य से भरी हुई
ये क्या हुआ?
ये क्यों हुआ ?
हाथ देकर भी कभी हाथ न थामा
 साथी होकर भी कभी साथ न पाया
जो मेरा होकर भी मेरा कभी न हुआ
न चूड़ियों की खनक रोक पाई उन्हें
 न पायल की रुन -झुन खिंच पाई उन्हें
 न जिस्म की महक पास लायी उन्हें
न सांसों की गर्माहट पिघला पाई उन्हें
आँखें दूर तलक पीछा करती रहीं उनका
मौन -मन साथ पाने को तरसता रहा
 अपना सर्वस्व न्योछावर करके भी
किंचित!
अपना न बना पाई उन्हें