Friday, March 8, 2013

Dr.Shalini Agam Reiki Sparsh Tarang



पर हृदय में  एकांत कितना 

अभी तक जी रही थी 
सिर्फ एक एकांत 
घर में  बहुत भीड़ है 
पर मन में है एकांत 
इस एकांत को तोड़ने 
अभी तक न कोई आया था 
खलबली तो मचा  गए सभी
 अपने .........???????
कभी तानो की 
कभी अपमान की 
कभी तिरस्कार की 
कभी प्रताड़ना  की 
कभी मेरे कर्तव्यों की 
ये करो, ये न करो 
ऐसे  करो ,वैसे करो 
मुह मत खोलो 
किसी से मत बोलो 
अधिकारों की बात ही मत करो 
बस कर्तव्य  ही निभाते जाओ 
चारों  ओर  शोर इतना 
पर हृदय में  एकांत कितना 
................................
पर ऐसे  में आपका आना 
आप में देखा 
एक सरल भाव 
एक अपनापन 
आपने बताया तो जाना 
हाय ......................
मैं भी एक इन्सान हूँ 
इच्छाएं मेरी भी हैं ....
हाँ ...........
ये सलोनी खिलखिलाहट 
ये आशा-उमंग मेरे मन में  भी हैं 
रे पागल मन 
तू भी गाता  है…. 

पैर तेरे भी हैं 
जो थिरकना चाहते हैं 
तन तेरा भी चाहता है झूमना 
शायद किसी के आलिंगन में 
या शायद किसी के मद भरे  गीतों में ....
बिखरे  हुए मोतियों की 
माला को गूंथने का एक साहस 
एक हौंसला ,एक सहारा 
एक एहसास ,एक साथी 
एक सरल व्यक्तित्व 
आश्चर्य-जनक ,प्रतिभाशाली 
स्वंत्र-विचारों का सहायक 
कोई  अपनों से अधिक  अपना ........
............पर पराया .....

1 comment:

prash72 said...

wowwwwwww u r great dr shalini ji lovely feelings from deep of heart