ऋतु पावस बन जाओ छा जाओ जीवन में मेरे प्रिय मादक-मधुर पराग सी बनकर घूँट-घूँट पी जाओ प्रिय मेरे मेघ आड़ में चन्द्र-घटा सी अर्ध-छिपा अल्हड मुखड़ा ज्यूँ अपलक,अविचल निहारूँ तुमको जीवन रस का पान हो जैसे बरसा दो सुधारस मुझपर अवगुंठन की आड़ लिए प्रिय ऋतु पावस बन आ जाओ छा जाओ जीवन में मेरे प्रिय
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