प्रथम -मिलन की इस बेला पर अश्रु -विगलित नेत्रों से जब देखा उन्होंने पहली बार मन में कुछ हुआ था तब आशायें थी जागी हज़ार समर्पण की चाह उठी न्योछावर की इच्छा जगी जीवन-साथी बना लो मुझको वरुण तन-मन क्षण-क्षण मन के तारों की लय से उर तरंगित होने लगे मूक -दृष्टि से मैं और वो प्रेम -गीत भी गाने लगे त्याग-जल के सिंचन से प्रेम -बेल विकसित होगी एक -दुसरे के बनकर ही जीवन -समर में जय होगी
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