काश!
काश तुम यादें होते ....तो भुला देतीकाश तुम लिखावट होते
तो मिटा डालती
काश तुम सुगंध होते
तो कब के बिखर जाते
काश के तुम तकदीर होते
तो बदल भी जाते
सागर होते तो नदिया बन
तुम्ही में समां जाती
बदल होते तो हवा बन
उड़ा ले जाती
पर तुम तो प्रणय-चिन्ह बन
समाये हो मन-प्राण में कितने
मैं नहीं मेरा अस्तित्व नही
पर तुम हो कि
समाये हो कण-कण में
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