Friday, November 19, 2010
Wednesday, November 3, 2010
tip of the day
Wake up the whole world is waiting just for you! It is a new day, full of possibilities, a day
like none before or none that will come after.
Each day the world paints its portrait just for you, the birds sing new
songs, the spider creates new patterns in her web just hoping you will
notice. The sun shines on your sleepy
...face, gently coaxing you, wake up! Come enjoy my light, dance in my rays and
feel my heat upon your upturned face!
The world is waiting, come on, let’s go join it in celebration of the
glorious day that is today!!!
robin
like none before or none that will come after.
Each day the world paints its portrait just for you, the birds sing new
songs, the spider creates new patterns in her web just hoping you will
notice. The sun shines on your sleepy
...face, gently coaxing you, wake up! Come enjoy my light, dance in my rays and
feel my heat upon your upturned face!
The world is waiting, come on, let’s go join it in celebration of the
glorious day that is today!!!
robin
Saturday, October 30, 2010
Sweet Angel ka Sweet World: congratulations
नमस्ते भारतवर्ष
जब भी किसी को जीवन में ,अपने कार्य क्षेत्र में उत्साह की आवश्यकता हो ............उसे उत्साह-वर्धन नोट अवश्य भेजें ,ये न सोचें कि बेकार की बातें हैं..........ये तो पाने वाले की ख़ुशी आपको जाता देगी कि आपकी तारीफ व् हौसला-अफजाई से उसे कितनी मानसिक संतुष्टि मिली है .......अपने हाथ से लिखी कोई खूबसूरत पंक्ति या उपहार या कोई कार्ड आप दे सकतें हैं ..........सबसे अधिक स्पेशल आपके हाथ का लिखा हुआ कोई मेसेज हो सकता है ,,,,,,,,इसके लिए बस आपको शुरू के कुछ दिनों में अच्छी और उत्साह -वर्धक बातें लिखने की आदत बनानी होगी
अपने मित्रों को बाहर लंच या डिनर के लिए आमंत्रित करते रहें या अपने घर खाने का निमंत्रण देने की आदत बना लें इससे आप अपने मित्रों के साथ एक स्वस्थ रिश्ता कायम कर सकतें हैं,एक दूसरे को जानने का ये सबसे अच्छा उपाय है ,अगर आप जिंदगी में अधिक रोमांच व् मस्ती चाहतें हैं तो पार्टी का कार्यक्रम बुरा नहीं ,रोजाना के उबाऊ माहौल से अलग जब आप अपने मित्रों को आनंद दिलवाएँगे तो उनके चेहरों की प्रसन्नता आपको हजार गुनी ख़ुशी प्रदान करेगी
दूसरों को पढने के लिए प्रेरणा दायक किताबें भेंट करें ................ऐसा करके आपको संतोष मिलेगा कि उस अमुक किताब को पढ़कर हो-न हो वह व्यक्ति अवश्य अपने जीवन में खुशियाँ ले आएगा ,और जब उनका जीवन बदलेगा तो वो आपको किताब के साथ हमेशा याद रखेगा .
अगर आपका कोई मित्र या रिश्तेदार ज़रूरी काम से बाहर जाना चाहता है प़र बच्चो के कारण उसे परेशानी हो रही है तो आप बेहिचक उनसे कहिये कि आप शाम तक उनके बच्चे संभाल सकतें है इससे आपका मित्र या रिश्तेदार आपका आभारी हो जायेगा आपको उनकी मदद करके सुकून मिलेगा सो अलग
अगर कोई बीमार है या किसी और परेशानी में फंसा हुआ है तो आप उनके खाने का प्रबंध करदे ...........हम सभी कभी न कभी बीमार हुएँ हैं या कोई ऐसी परेशानी भी पड़ी है जब खाना नहीं बना सके ..........ऐसे में कोई आकर भोजन करवादे तो कितना धन्यवाद निकलता है मुख से सभी जानतें हैं.
मंदिर ,मस्जिद,गुरूद्वारे या किसी संस्था में ............कहीं भी आपकी ज़रुरत हो तत्काल हाज़िर रहें आपकी हर कोशिश हजारों दिलों को खुश कर सकती है प्रसन्न -मुख से सेवा आपको भी सुख दिलाती है
धन्यवाद कहने की आदत बना लीजिये उसमे बड़ा चैन है ,आप जिनके संपर्क में रहतें हैं उनके कार्यों का धन्यवाद दीजिये.................आरम्भ अपने चौकीदार ,चपरासी ,अपने नीचे काम करने वाले लड़के,ये अपने घर में आया इत्यादि से करें .........उनकी छोटी-छोटी सेवाओं का शुक्रिया अदा करें ,वो भी सम्मान के पात्र है ...............उनका आभार व्यक्त करके तो देखें उनकी आँखों में आपके लिए कितनी श्रद्धा उमड़ेगी .
अपने माता-पिता परिवार , अध्यापकों ,मित्रों , सहकर्मियों, बच्चों व् जीवन-साथी से भी .........................उनके उपकारों को कभी न भुलाएँ ...............क्योंकि वो तो आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं .......................उनकी एक मुस्कुराहट आपका दिन बना देगी
जब भी किसी को जीवन में ,अपने कार्य क्षेत्र में उत्साह की आवश्यकता हो ............उसे उत्साह-वर्धन नोट अवश्य भेजें ,ये न सोचें कि बेकार की बातें हैं..........ये तो पाने वाले की ख़ुशी आपको जाता देगी कि आपकी तारीफ व् हौसला-अफजाई से उसे कितनी मानसिक संतुष्टि मिली है .......अपने हाथ से लिखी कोई खूबसूरत पंक्ति या उपहार या कोई कार्ड आप दे सकतें हैं ..........सबसे अधिक स्पेशल आपके हाथ का लिखा हुआ कोई मेसेज हो सकता है ,,,,,,,,इसके लिए बस आपको शुरू के कुछ दिनों में अच्छी और उत्साह -वर्धक बातें लिखने की आदत बनानी होगी
अपने मित्रों को बाहर लंच या डिनर के लिए आमंत्रित करते रहें या अपने घर खाने का निमंत्रण देने की आदत बना लें इससे आप अपने मित्रों के साथ एक स्वस्थ रिश्ता कायम कर सकतें हैं,एक दूसरे को जानने का ये सबसे अच्छा उपाय है ,अगर आप जिंदगी में अधिक रोमांच व् मस्ती चाहतें हैं तो पार्टी का कार्यक्रम बुरा नहीं ,रोजाना के उबाऊ माहौल से अलग जब आप अपने मित्रों को आनंद दिलवाएँगे तो उनके चेहरों की प्रसन्नता आपको हजार गुनी ख़ुशी प्रदान करेगी
दूसरों को पढने के लिए प्रेरणा दायक किताबें भेंट करें ................ऐसा करके आपको संतोष मिलेगा कि उस अमुक किताब को पढ़कर हो-न हो वह व्यक्ति अवश्य अपने जीवन में खुशियाँ ले आएगा ,और जब उनका जीवन बदलेगा तो वो आपको किताब के साथ हमेशा याद रखेगा .
अगर आपका कोई मित्र या रिश्तेदार ज़रूरी काम से बाहर जाना चाहता है प़र बच्चो के कारण उसे परेशानी हो रही है तो आप बेहिचक उनसे कहिये कि आप शाम तक उनके बच्चे संभाल सकतें है इससे आपका मित्र या रिश्तेदार आपका आभारी हो जायेगा आपको उनकी मदद करके सुकून मिलेगा सो अलग
अगर कोई बीमार है या किसी और परेशानी में फंसा हुआ है तो आप उनके खाने का प्रबंध करदे ...........हम सभी कभी न कभी बीमार हुएँ हैं या कोई ऐसी परेशानी भी पड़ी है जब खाना नहीं बना सके ..........ऐसे में कोई आकर भोजन करवादे तो कितना धन्यवाद निकलता है मुख से सभी जानतें हैं.
मंदिर ,मस्जिद,गुरूद्वारे या किसी संस्था में ............कहीं भी आपकी ज़रुरत हो तत्काल हाज़िर रहें आपकी हर कोशिश हजारों दिलों को खुश कर सकती है प्रसन्न -मुख से सेवा आपको भी सुख दिलाती है
धन्यवाद कहने की आदत बना लीजिये उसमे बड़ा चैन है ,आप जिनके संपर्क में रहतें हैं उनके कार्यों का धन्यवाद दीजिये.................आरम्भ अपने चौकीदार ,चपरासी ,अपने नीचे काम करने वाले लड़के,ये अपने घर में आया इत्यादि से करें .........उनकी छोटी-छोटी सेवाओं का शुक्रिया अदा करें ,वो भी सम्मान के पात्र है ...............उनका आभार व्यक्त करके तो देखें उनकी आँखों में आपके लिए कितनी श्रद्धा उमड़ेगी .
अपने माता-पिता परिवार , अध्यापकों ,मित्रों , सहकर्मियों, बच्चों व् जीवन-साथी से भी .........................उनके उपकारों को कभी न भुलाएँ ...............क्योंकि वो तो आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं .......................उनकी एक मुस्कुराहट आपका दिन बना देगी
Tuesday, October 26, 2010
Sunday, October 24, 2010
(कौन हूँ मैं!)Sweet Angel ka Sweet World: congratulations
(कौन हूँ मैं!)
कोकिल जितनी घायल होती है
उतनी मधुर कुहुक देती है
जितना धुंधवाता है चंदन
उतनी अधिक महक देता है
मैने खुद को ना जाना था,ना पहचाना था,
कौन हूँ ,क्या हूँ , कैसी हूँ ,कहाँ हूँ ………
प़र तेरे प्रेम ने बताया कौन हूँ मैं!
तूने ही तो तराशे अंग-प्रत्यंग
तूने ही सुनी मेरी मधुर धुन
जगाया मेरा सौन्दर्य अपार
साधारण नार से एक दैवीय अप्सरा
पांवों की थिरकन में भर दिया जादू
नैनो कि चितवन जो कर दे बेकाबू
मैं तो केवल तन ही तन थी
जब तक ना मन को जाना था
मैं तो केवल बांस ही रहती
जो होठो से तेरे बंसी बन ना लगती
मैं तो बस एक तरु ही होती ,
जो तू चन्दन सा ना महकाता
डॉ. स्वीट एंजिल
बस एक भावपूर्ण प्रयास ..............
कोकिल जितनी घायल होती है
उतनी मधुर कुहुक देती है
जितना धुंधवाता है चंदन
उतनी अधिक महक देता है
मैने खुद को ना जाना था,ना पहचाना था,
कौन हूँ ,क्या हूँ , कैसी हूँ ,कहाँ हूँ ………
प़र तेरे प्रेम ने बताया कौन हूँ मैं!
तूने ही तो तराशे अंग-प्रत्यंग
तूने ही सुनी मेरी मधुर धुन
जगाया मेरा सौन्दर्य अपार
साधारण नार से एक दैवीय अप्सरा
पांवों की थिरकन में भर दिया जादू
नैनो कि चितवन जो कर दे बेकाबू
मैं तो केवल तन ही तन थी
जब तक ना मन को जाना था
मैं तो केवल बांस ही रहती
जो होठो से तेरे बंसी बन ना लगती
मैं तो बस एक तरु ही होती ,
जो तू चन्दन सा ना महकाता
डॉ. स्वीट एंजिल
बस एक भावपूर्ण प्रयास ..............
Thursday, October 21, 2010
हाँ ! गर्व है मुझे भारतीय होने प़र Sweet Angel ka Sweet World
हाँ ! गर्व है मुझे भारतीय होने प़र
मुझे गर्व है अपनी हिंदी प़र,
अपने माथे की बिंदिया प़र,
हाथों की मेहँदी प़र,
खनखनाती चूड़ियों प़र,
अपने भारतीय आचार-विचार
और परम्परा प़र
धर्म-संस्कृति,भाषा-साहित्य
और सभ्यता प़र ,
जो बीज बोये मरी दादी -नानी
और माँ ने
मेरे भोले मन प़र ,
सम्मान और संस्कारों के
खुद भूखे रहकर
अतिथि का पेट भने के,
बड़ों को अपना- पन
और छोटों को प्यार देने के
अपनी जड़ों से बंधकर भी ,
ऊँची उड़ान भरने के,
शिक्षा का सही उपयोग करने के ,
जग में अपना हुनर दिखाने के,
तो क्यों ना कहूँ …?
कि हाँ ! गर्व है मुझे भारतीय होने प़र
डॉ.स्वीट एंजिल
Sunday, October 10, 2010
shaliniagam (काश वो ऐसी सुबहा हो)
नींद की सरगोशी में
अंगड़ाई टूटे आलिंगन में तुम्हारे
काश वो ऐसी सुबहा हो
अलसाई मदहोशी में होंठ तेरे
कुछ बुदबुदाएं यूँ ..........
उनकी छुअन से शरमा जाऊं
आंखे खुलें और देखें तो
सामने तुम्हारा चेहरा हो ..
लेकर मुझको बाँहों में
बस हम यूँ ही सिमटें रहें
फ़िक्र ना हो कहीं दुनिया की
ना कोई और फ़साना हो
काश वो ऐसी सुबहा हो
अपनी कोमल चेहरे को
पाऊँ जब तेरी हथेलियों में
मुख मेरा चूमों तुम
बिखरी सूरज की किरणों में
भीगी लटें जब मेरी बिखरें
तुम्हारे कपोलों प़र और कुछ
बूंद गिरे अनजाने में
काश वो ऐसी सुबहा हो
तुम चुपके से आ जाओ
और झांक के मेरी सांसों में
विरह की पीर भुला जाओ
मन महके तुम्हारी खुशबू से
और महके मेरी सांसे भी …
जब तुम मुझको प्यार करो
एक हो जाएँ फूल में सुगंध से
काश वो ऐसी सुबहा हो
अंगड़ाई टूटे आलिंगन में तुम्हारे
काश वो ऐसी सुबहा हो
अलसाई मदहोशी में होंठ तेरे
कुछ बुदबुदाएं यूँ ..........
उनकी छुअन से शरमा जाऊं
आंखे खुलें और देखें तो
सामने तुम्हारा चेहरा हो ..
लेकर मुझको बाँहों में
बस हम यूँ ही सिमटें रहें
फ़िक्र ना हो कहीं दुनिया की
ना कोई और फ़साना हो
काश वो ऐसी सुबहा हो
अपनी कोमल चेहरे को
पाऊँ जब तेरी हथेलियों में
मुख मेरा चूमों तुम
बिखरी सूरज की किरणों में
भीगी लटें जब मेरी बिखरें
तुम्हारे कपोलों प़र और कुछ
बूंद गिरे अनजाने में
काश वो ऐसी सुबहा हो
तुम चुपके से आ जाओ
और झांक के मेरी सांसों में
विरह की पीर भुला जाओ
मन महके तुम्हारी खुशबू से
और महके मेरी सांसे भी …
जब तुम मुझको प्यार करो
एक हो जाएँ फूल में सुगंध से
काश वो ऐसी सुबहा हो
shaliniagam ( काश वो ऐसी सुबहा हो)
नींद की सरगोशी में
अंगड़ाई टूटे आलिंगन में तुम्हारे
काश वो ऐसी सुबहा हो
अलसाई मदहोशी में होंठ तेरे
कुछ बुदबुदाएं यूँ ..........
उनकी छुअन से शर्मा जाऊं
आंखे खुलें और देखें तो
सामने तुम्हारा चेहरा हो ..
लेकर मुझको बाँहों में
बस हम यूँ ही सिमटें रहें
फ़िक्र ना हो कहीं दुनिया की
ना कोई और फ़साना हो
काश वो ऐसी सुबहा हो
अपनी कोमल चेहरे को
पाऊँ जब तेरी हथेलियों में
मुख मेरा चूमों तुम
बिखरी सूरज की किरणों में
भीगी लटें जब मेरी बिखरें
तुम्हारे कपोलों प़र और कुछ
बूंद गिरे अनजाने में
काश वो ऐसी सुबहा हो
तुम चुपके से आ जाओ
और झांक के मेरी सांसों में
विरह की पीर भुला जाओ
मन महके तुम्हारी खुशबू से
और महके मेरी सांसे भी …
जब तुम मुझको प्यार करो
एक हो जाएँ फूल में सुगंध से
काश वो ऐसी सुबहा हो
Monday, October 4, 2010
shaliniagam (shubh aarogyam)
नमस्ते भारतवर्ष
करो वही जिसका संशय हो कि नहीं होगा तुमसे ,
हारोगे ................ कोई बात नहीं,
फिर से करो ........परिणाम पहले से बेहतर होंगे ,
फिर भी गर उम्मीद प़र खरे न उतर पाओ.........
प्रयत्न करो ,फिर उठो,फिर जुट जाओ..........
अच्छा और पहले से अच्छा होने लगेगा
याद रखो .......करत-करत अभ्यास के ,
जड़मति होए सुजान ..........और ........
जो व्यक्ति कभी जीवन में लुढका नहीं ,
वो कभी ऊंचाई प़र भी नहीं पहुँच पाया ,
अब यही क्षण तुम्हारा है ...........जीत लो दुनिया को .
क्योंकि अब जीत सिर्फ तुम्हारी है
वन्दे मातरम
शालिनिअगम
करो वही जिसका संशय हो कि नहीं होगा तुमसे ,
हारोगे ................ कोई बात नहीं,
फिर से करो ........परिणाम पहले से बेहतर होंगे ,
फिर भी गर उम्मीद प़र खरे न उतर पाओ.........
प्रयत्न करो ,फिर उठो,फिर जुट जाओ..........
अच्छा और पहले से अच्छा होने लगेगा
याद रखो .......करत-करत अभ्यास के ,
जड़मति होए सुजान ..........और ........
जो व्यक्ति कभी जीवन में लुढका नहीं ,
वो कभी ऊंचाई प़र भी नहीं पहुँच पाया ,
अब यही क्षण तुम्हारा है ...........जीत लो दुनिया को .
क्योंकि अब जीत सिर्फ तुम्हारी है
वन्दे मातरम
शालिनिअगम
जनक-जननी को हार्दिक सप्रेम dr.shaliniagam
अपने भीतर खोजो .................... कौन है जो तुम्हे उकसाता है, प्रेरणा देता है नित नए संकल्पों की, संकल्पों को पूरा करने वाली शक्ति की ?
कौन है जो तुम्हे जगाता है,उठकर चलने का उत्साह देता है?
कौन है जो तुम्हे झिंझोड़ता है, सही -गलत का ज्ञान करता है?
कौन है जो रचता है मन में हर-पल कुछ नया, कुछ नवीन ,अनोखा ,सबसे अलग कुछ करने का हौसला?
और
कौन है जो तुम्हारे हारे हुए मन को देता है ,फिर से उठ खड़े होने का अदम्य साहस /
हाँ हम है ठीक तुम्हारे पीछे ,कूद पड़ो जीवन समर में ,और हांसिल कर लो अपने हिस्से की जीत .....................
हाँ वो ही हैं तुम्हारे जनक और जननी .......
जो खुद हार कर भी जिताएंगे तुम को
तब ........मुस्कुराएंगे विजय प़र अपनी
डॉ.शालिनिअगम जनक-जननी को हार्दिक सप्रेम
कौन है जो तुम्हे जगाता है,उठकर चलने का उत्साह देता है?
कौन है जो तुम्हे झिंझोड़ता है, सही -गलत का ज्ञान करता है?
कौन है जो रचता है मन में हर-पल कुछ नया, कुछ नवीन ,अनोखा ,सबसे अलग कुछ करने का हौसला?
और
कौन है जो तुम्हारे हारे हुए मन को देता है ,फिर से उठ खड़े होने का अदम्य साहस /
हाँ हम है ठीक तुम्हारे पीछे ,कूद पड़ो जीवन समर में ,और हांसिल कर लो अपने हिस्से की जीत .....................
हाँ वो ही हैं तुम्हारे जनक और जननी .......
जो खुद हार कर भी जिताएंगे तुम को
तब ........मुस्कुराएंगे विजय प़र अपनी
डॉ.शालिनिअगम जनक-जननी को हार्दिक सप्रेम
Saturday, October 2, 2010
SHALINI (SHUBH AAROGYAM)अपनी मनोकामना पूरी कैसे करें
नमस्ते भारतवर्ष
अपनी मनोकामना पूरी कैसे करें
चलिए में आपको बतातीं हूँ .
हमें अपने जीवन से क्या चाहिए .......?
शक्ति एवं बुद्धि ,शोर्य ,तेज,ओज,शांति,धन-संपत्ति , उत्तम स्वास्थ्य ,दाम्पत्य जीवन में मधुरता ,सभी दिलों में प्यार का प्रसार,कार्य-क्षमता में वृद्धि , मानसिक शांति की प्रचुरता,स्वम को
समझने की शक्ति इत्यादि-इत्यादि ....
ह्रदये की गेहाईयों में हमारी आकांशाएं क्या, हम कैसे लोग चाहतें हैं ,कैसी परिस्तिथियों को हम पसंद करतें हैं,क्या-क्या सुविधाएँ जीवन में चाहियें . इन सबका मूल्यांकन करके चयन
करें और प्राथमिकता दें उस बात को , उस मनोकामना को जो सबसे तीव्र है और तब उसको पूर्ण करने का संकल्प लें .
मनोकामना सिद्ध करने के लिए चर चरणों से निकलना पड़ता है ................
प्रथम चरण
सर्वप्रथम अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाइये .अपने अन्दर की नकारात्मकता को दूर निकाल फेंकिये
भरपूर आत्मविश्वास के साथ जीवन -समर में विजय की भावना के साथ खड़े हो जाइये .
दृढ निश्चय के साथ अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए मनोकामना -सिद्ध ध्यान के लिए तैयार हो जाइये .
द्धितीय चरण
प्राथमिकता सबसे आवश्यक मनोकामना को दें अपना लक्ष्य चुनें जो वस्तु या परिस्थिती आप चाहतें हैं उसे स्पष्ट रूप दें ,
उसकी मानसिक कल्पना करें ,ऐसे मनन करें या जागी आंखों से अपने लक्ष्य को इस प्रकार निहारें कि लगे कि सभी कुछ आपके अनुसार
घटित हो रहा है ........
उदाहरण के लिए ...अगर आप छरहरा व् आकर्षक व्यक्तित्व चाहतें है तो स्वंय को उसी स्तिथि में विचारें कि आप बेहद स्वस्थ , सुंदर व् आकर्षक बदन के स्वामी अथवा स्वामिनी हैं आप से अधिक आकर्षक कोई नहीं.
अगर आप मानसिक तनावों से मुक्त होना चाहतें हैं तो अनुभव करें कि "मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है ","में विश्रामावस्था में हूँ ",
"शांत व् प्रसन्न-चित्त हूँ ". इसी प्रकार घर चाहतें है तो सुंदर , आरामदायक घरकी कल्पना कीजिये ......"आप आराम कुर्सी प़र बैठें है ,सुंदर व् आकर्षक घर है चारों ओर शांति व् हरियाली है ...."
कष्ट दूर करना है तो उस रोग से मुक्त होने की कल्पना कीजिये और स्वंय को पूर्ण रूप से स्वस्थ अनुभव अनुभव करने की मनोकामना को बार-बार दोहराते हुए
कल्पना करें कि आपके शरीर में १६ साल जैसे बालक के समान उर्जा व् शक्ति का संचार हो रहा है , आप रोग मुक्त व् बेहद शक्तिवान हैं.अपनी कोई भी इच्छा जो आप पूरी होते देखना चाहतें हैं उसको मान कर चलिए कि वह पूरी हो रही है स्वंय को सकारात्मक सोच में ढालिए .
BY SHALINI
DIRECTER & FOUNDER
SHUBH AAROGYAM
The spiritual reiki healing & training center
www.aarogyamreiki.com
नमस्ते भारतवर्ष
अपनी मनोकामना पूरी कैसे करें
चलिए में आपको बतातीं हूँ .
हमें अपने जीवन से क्या चाहिए .......?
शक्ति एवं बुद्धि ,शोर्य ,तेज,ओज,शांति,धन-संपत्ति , उत्तम स्वास्थ्य ,दाम्पत्य जीवन में मधुरता ,सभी दिलों में प्यार का प्रसार,कार्य-क्षमता में वृद्धि , मानसिक शांति की प्रचुरता,स्वम को
समझने की शक्ति इत्यादि-इत्यादि ....
ह्रदये की गेहाईयों में हमारी आकांशाएं क्या, हम कैसे लोग चाहतें हैं ,कैसी परिस्तिथियों को हम पसंद करतें हैं,क्या-क्या सुविधाएँ जीवन में चाहियें . इन सबका मूल्यांकन करके चयन
करें और प्राथमिकता दें उस बात को , उस मनोकामना को जो सबसे तीव्र है और तब उसको पूर्ण करने का संकल्प लें .
मनोकामना सिद्ध करने के लिए चर चरणों से निकलना पड़ता है ................
प्रथम चरण
सर्वप्रथम अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाइये .अपने अन्दर की नकारात्मकता को दूर निकाल फेंकिये
भरपूर आत्मविश्वास के साथ जीवन -समर में विजय की भावना के साथ खड़े हो जाइये .
दृढ निश्चय के साथ अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए मनोकामना -सिद्ध ध्यान के लिए तैयार हो जाइये .
द्धितीय चरण
प्राथमिकता सबसे आवश्यक मनोकामना को दें अपना लक्ष्य चुनें जो वस्तु या परिस्थिती आप चाहतें हैं उसे स्पष्ट रूप दें ,
उसकी मानसिक कल्पना करें ,ऐसे मनन करें या जागी आंखों से अपने लक्ष्य को इस प्रकार निहारें कि लगे कि सभी कुछ आपके अनुसार
घटित हो रहा है ........
उदाहरण के लिए ...अगर आप छरहरा व् आकर्षक व्यक्तित्व चाहतें है तो स्वंय को उसी स्तिथि में विचारें कि आप बेहद स्वस्थ , सुंदर व् आकर्षक बदन के स्वामी अथवा स्वामिनी हैं आप से अधिक आकर्षक कोई नहीं.
अगर आप मानसिक तनावों से मुक्त होना चाहतें हैं तो अनुभव करें कि "मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है ","में विश्रामावस्था में हूँ ",
"शांत व् प्रसन्न-चित्त हूँ ". इसी प्रकार घर चाहतें है तो सुंदर , आरामदायक घरकी कल्पना कीजिये ......"आप आराम कुर्सी प़र बैठें है ,सुंदर व् आकर्षक घर है चारों ओर शांति व् हरियाली है ...."
कष्ट दूर करना है तो उस रोग से मुक्त होने की कल्पना कीजिये और स्वंय को पूर्ण रूप से स्वस्थ अनुभव अनुभव करने की मनोकामना को बार-बार दोहराते हुए
कल्पना करें कि आपके शरीर में १६ साल जैसे बालक के समान उर्जा व् शक्ति का संचार हो रहा है , आप रोग मुक्त व् बेहद शक्तिवान हैं.अपनी कोई भी इच्छा जो आप पूरी होते देखना चाहतें हैं उसको मान कर चलिए कि वह पूरी हो रही है स्वंय को सकारात्मक सोच में ढालिए .
BY SHALINI
DIRECTER & FOUNDER
SHUBH AAROGYAM
The spiritual reiki healing & training center
www.aarogyamreiki.com
Saturday, September 25, 2010
SWEET ANGEL (shub aarogyam) समय की लीला
समय की लीला
वो बाग़,वो आँगन में किलकती हँसी,
चांदनी से नहाई ,छत प़र बिखरती ख़ुशी,
कभी कैरम,कभी बैड-मिन्टन कभी ताश के पत्ते ,
सजती शतरंज की बिसातें और घूमते मोहरें ,
ताने छेड़ती हारमोनियम प़र अंगुलियाँ ,
मचलती स्वर लहरियां ,साथ होती सखियाँ ,
कभी सावन की रिमझिम में झूला झूलती ,
कभी घर-भर में भैया के साथ फुदकती ,
साइकिल का कम्पटीशन जीतती ,इतराती
लौटती जीतकर नृत्य व् गान प्रतियोगिता ,
छम-छम करते पाँव छनकते घर -भर में
कभी माँ ,कभी अम्मा से बतियाती
दो चोटियाँ ,रेशमी आँचल लहराती,
हर बार कक्षा में प्रथम आती,
बुआ ,छोटी बहिन, टीचर ,सहेलियों की जान,
बुआ दादा-दादी चाचा-चाची की मुस्कान ,
माँ की दुलारी और पापा की 'लाले -जान'
२० वर्ष बाद ........................................
प्रौढ़ा होती,रोगिणी ,एकाकी जीवन जीती वो ,
ताने -उलाहने -प्रतारणा सहती वो
जीवन -साथी के होते हुए भी ,
कितनी अकेली,कितनी लाचार वो,
एक दु:स्वप्न देख रही है
हाँ कटु सत्य बीस वर्षीय लम्बा स्वप्न ,
यौवन के मधुमास जिए ही नहीं ,
चंदा -चकोर समान प्यास बुझी ही नहीं,
मन के हर ओर अकेलापन कितना
जैसे एक अरण्यानी में साँझ का उदास झरना ,
बचपन की अल्हड -सौम्यता बदलकर ,
बनती जा रही है उदासी का सरोवर ,
आश्चर्य! कैसे हो जाती है ?
एक शोख चंचल नदिया एक शांत सागर
विचलन,अस्थिरता ,विलाप और अश्रु
क्या यही है उस "ख़ुशी" का जीवन ?
२०१०
SWEETANGEL (shubh aarogyam ) TIP OF THE DAY
(अपने निर्णय शांत होकर लें )
नमस्ते भारतवर्ष ,
सफलता जीवन में सभी चाहतें हैं ,कोशिश भी करतें हैं ,प़र कुछ बातों को व्यवहार में ढाल लिया जाये तो काम आसान हो जाता है जैसे-
१- जब आपका मन पूरी तरह स्थिर हो तभी कोई अहम् फैसला लें .जल्दबाजी या गुस्से में लिया कोई भी फैसला कभी ठीक नहीं होता .जब आपका मस्तिष्क -रुपी घोडा आपके काबू में हो तभी कोई महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम द्दें .इस बात का सदा ध्यान रखें कि दुखी अथवा उलझन पूर्ण -स्तिथि में किसी भी समस्या का निर्णय नहीं लिया जा सकता
२-यदि आपका मानसिक संतुलन सही है ,तो आप किसी भी शत्रु को स्वं प़र आक्रमण नहीं करने देंगें ,जब भी कभी निराशा में हों ,अवसाद से घिरें हों ,उदासीन हों तब कभी भी कोई निर्णय न लें बल्कि प्रयास करें कि मन में अवसाद और निराशा जैसे विकारों को आने ही न दिया जाये .और अगर कभी मन विचलित हो भी तो उसे अपने मन-मस्तिष्क प़र हावी न होने दें क्योंकि -सांसारिक सफलताओं में मानसिक संतुलन का बहुत महत्त्व है सदैव शांत मन से हर कार्य के सकारात्मक व् नकारात्मक दोनों पहलुओं प़र सोच विचार करके ही निर्णय लें .
३-जीवन में उत्साह होना बहुत ज़रूरी है और वो अपने मन से ही पैदा होता है,उत्साह हीनता से आपकी निर्णय शक्ति हीन और क्षीण हो जाती है, भय के दबाब में आकर व्यक्ति प्राय: अपनी कार्यक्षमता प़र अविश्वास करके
मूर्खतापूर्ण कार्य करने लगता है .इसलिए जब भी आप यह जानने में असमर्थ हो जाएँ कि आपको क्या करना है,किस रास्ते जाना है,तो शांत होकर विचार करें
४- अस्थिर न हों ,परमशक्ति प़र विश्वास रखें, स्वं प़र विश्वास रखें , शांत और स्थिर होकर बैठें ,मनन करें -आपको रास्ता मिल जायेगा .
५-जब मन में भय अथवा चिंता घिरी रहती है तो सारी मानसिक व् शारीरिक शक्तियों का ह्रास होने लगता है . उस समय आप एकाग्र चित्त होकर किसी भी बात का सही निर्णय नहीं कर पाते.इसलिए पहले निर्णय लेने के लिए मन को शांत करें .
६- सारी चिंताओं व् उलझनों को एक बार कोशिश कर झटक कर मन से बाहर फेंके ,शांत भाव से अपने कक्ष में बैठें ,अपने मन से आँखे बंद कर बात करना आरम्भ करें , तत्पश्चात अपने मस्तिष्क प़र ऐसा अधिकार जमाये,उसे आदेश दे कि ,"ओ मेरे मन केवल कुछ समय के लिए ही सही तू चिंता मुक्त हो जा,भविष्य में क्या लिखा है तू नहीं जनता ,परेशानी छोड़ ,मेरा सच्चा मार्गदर्शक बन , तू अकेला नहीं है ,मैं और मेरी सकारात्मक सोच तेरे साथ है ,तुझे वही मार्ग चुनना है जो मेरे हित में है, बस थोड़ी देर के लिए शांत होकर हर चिंता व् दुविधा को त्याग दे फिर देख तू और मैं मिलकर कितनी सफलता अर्जित करेंगे .रे मेरे मन तू मेरी कमजोरी नहीं मेरी ताक़त बन ,अगर मन प्यार से न माने फिर भी चिंता व् उलझन कि ही स्तिथि में रहे तो उसे फटकार लगा कर कहें " आज तुझे मेरा कहना मानना ही होगा जो परेशानी आई है उसको धैर्य के साथ टालना ही होगा और निर्णय मेरे ही पक्ष में देना होगा "..................................
७- अस्थिर मन को डाँट लगाकर उसे अपने हिसाब से चलने का आदेश दें ,जिस प्रकार घोड़े की लगाम को कसकर और चाबुक लगाकार घोड़े को सही दिशा में चलने प़र विवश किया जाता है .
द्वारा
SWEET ANGEL
शुभ आरोग्यं
दिल्ली -११००५१
नमस्ते भारतवर्ष ,
सफलता जीवन में सभी चाहतें हैं ,कोशिश भी करतें हैं ,प़र कुछ बातों को व्यवहार में ढाल लिया जाये तो काम आसान हो जाता है जैसे-
१- जब आपका मन पूरी तरह स्थिर हो तभी कोई अहम् फैसला लें .जल्दबाजी या गुस्से में लिया कोई भी फैसला कभी ठीक नहीं होता .जब आपका मस्तिष्क -रुपी घोडा आपके काबू में हो तभी कोई महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम द्दें .इस बात का सदा ध्यान रखें कि दुखी अथवा उलझन पूर्ण -स्तिथि में किसी भी समस्या का निर्णय नहीं लिया जा सकता
२-यदि आपका मानसिक संतुलन सही है ,तो आप किसी भी शत्रु को स्वं प़र आक्रमण नहीं करने देंगें ,जब भी कभी निराशा में हों ,अवसाद से घिरें हों ,उदासीन हों तब कभी भी कोई निर्णय न लें बल्कि प्रयास करें कि मन में अवसाद और निराशा जैसे विकारों को आने ही न दिया जाये .और अगर कभी मन विचलित हो भी तो उसे अपने मन-मस्तिष्क प़र हावी न होने दें क्योंकि -सांसारिक सफलताओं में मानसिक संतुलन का बहुत महत्त्व है सदैव शांत मन से हर कार्य के सकारात्मक व् नकारात्मक दोनों पहलुओं प़र सोच विचार करके ही निर्णय लें .
३-जीवन में उत्साह होना बहुत ज़रूरी है और वो अपने मन से ही पैदा होता है,उत्साह हीनता से आपकी निर्णय शक्ति हीन और क्षीण हो जाती है, भय के दबाब में आकर व्यक्ति प्राय: अपनी कार्यक्षमता प़र अविश्वास करके
मूर्खतापूर्ण कार्य करने लगता है .इसलिए जब भी आप यह जानने में असमर्थ हो जाएँ कि आपको क्या करना है,किस रास्ते जाना है,तो शांत होकर विचार करें
४- अस्थिर न हों ,परमशक्ति प़र विश्वास रखें, स्वं प़र विश्वास रखें , शांत और स्थिर होकर बैठें ,मनन करें -आपको रास्ता मिल जायेगा .
५-जब मन में भय अथवा चिंता घिरी रहती है तो सारी मानसिक व् शारीरिक शक्तियों का ह्रास होने लगता है . उस समय आप एकाग्र चित्त होकर किसी भी बात का सही निर्णय नहीं कर पाते.इसलिए पहले निर्णय लेने के लिए मन को शांत करें .
६- सारी चिंताओं व् उलझनों को एक बार कोशिश कर झटक कर मन से बाहर फेंके ,शांत भाव से अपने कक्ष में बैठें ,अपने मन से आँखे बंद कर बात करना आरम्भ करें , तत्पश्चात अपने मस्तिष्क प़र ऐसा अधिकार जमाये,उसे आदेश दे कि ,"ओ मेरे मन केवल कुछ समय के लिए ही सही तू चिंता मुक्त हो जा,भविष्य में क्या लिखा है तू नहीं जनता ,परेशानी छोड़ ,मेरा सच्चा मार्गदर्शक बन , तू अकेला नहीं है ,मैं और मेरी सकारात्मक सोच तेरे साथ है ,तुझे वही मार्ग चुनना है जो मेरे हित में है, बस थोड़ी देर के लिए शांत होकर हर चिंता व् दुविधा को त्याग दे फिर देख तू और मैं मिलकर कितनी सफलता अर्जित करेंगे .रे मेरे मन तू मेरी कमजोरी नहीं मेरी ताक़त बन ,अगर मन प्यार से न माने फिर भी चिंता व् उलझन कि ही स्तिथि में रहे तो उसे फटकार लगा कर कहें " आज तुझे मेरा कहना मानना ही होगा जो परेशानी आई है उसको धैर्य के साथ टालना ही होगा और निर्णय मेरे ही पक्ष में देना होगा "..................................
७- अस्थिर मन को डाँट लगाकर उसे अपने हिसाब से चलने का आदेश दें ,जिस प्रकार घोड़े की लगाम को कसकर और चाबुक लगाकार घोड़े को सही दिशा में चलने प़र विवश किया जाता है .
द्वारा
SWEET ANGEL
शुभ आरोग्यं
दिल्ली -११००५१
Sunday, September 19, 2010
shaliniagam (shubh aarogyam)
Friendship Is The Rainbow Between Two Hearts.Sharing Seven Colors Of Feelings.Love, Sadness,Happiness s,Truth,Faith, Secret & Respect....
दोस्ती .................
अद्वितीय ,मनोहारी छटा बिखेरने वाले इन्द्रधनुष के समान ,
ख़ूबसूरत सात रंगों से सजी है.............जो दो दिलों के हर एहसास को एक
दूसरे के साथ बाँटती है !.........प्यार , दुःख ,ख़ुशी, सच्चाई, विश्वास ,भरोसा,आदर जैसे सात अटूट रंगों से रंगी है.
http://shaliniaggarwalshubhaarogyam.blogspot.in
दोस्ती .................
अद्वितीय ,मनोहारी छटा बिखेरने वाले इन्द्रधनुष के समान ,
ख़ूबसूरत सात रंगों से सजी है.............जो दो दिलों के हर एहसास को एक
दूसरे के साथ बाँटती है !.........प्यार , दुःख ,ख़ुशी, सच्चाई, विश्वास ,भरोसा,आदर जैसे सात अटूट रंगों से रंगी है.
http://shaliniaggarwalshubhaarogyam.blogspot.in
Wednesday, September 15, 2010
SHALINIAGAM HINDI DIWAS ( क्योंकि हिंदी हूँ मैं)
क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं !
हिंद में पैदा हुए ,
हिंद की हवा में जिए,
हिंदी में ही खाया,
पहना ,बोला और चला ,
प़र जब इतराने की बारी आई,
तो कंधे चौड़े किये अंग्रेजी में ?
अगर रख सको तो अस्तित्व हूँ मैं,
छुपा दो तो एक निशानी हूँ मैं,
गलती से खो दिया..........
तो केवल एक कहानी हूँ मैं,
अंग्रेजी के पत्थर खाकर भी,
मुस्कुराने की आदत है मुझे ,
दुनिया की नज़र में कुछ चुभी सी,
मगर गर्व की दास्ताँ हूँ मैं,
मेरे अपने चाहें ना पहचाने अब मुझको,
प़र उनकी रग-रग में बसी ,
उनके गौरव की आग हूँ मैं ,
मेरे कर्णधारों कुछ तो सोचो ,
तुम्हारे बुजुर्गों का मन-प्राण हूँ मैं,
क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं
हिंद में पैदा हुए ,
हिंद की हवा में जिए,
हिंदी में ही खाया,
पहना ,बोला और चला ,
प़र जब इतराने की बारी आई,
तो कंधे चौड़े किये अंग्रेजी में ?
अगर रख सको तो अस्तित्व हूँ मैं,
छुपा दो तो एक निशानी हूँ मैं,
गलती से खो दिया..........
तो केवल एक कहानी हूँ मैं,
अंग्रेजी के पत्थर खाकर भी,
मुस्कुराने की आदत है मुझे ,
दुनिया की नज़र में कुछ चुभी सी,
मगर गर्व की दास्ताँ हूँ मैं,
मेरे अपने चाहें ना पहचाने अब मुझको,
प़र उनकी रग-रग में बसी ,
उनके गौरव की आग हूँ मैं ,
मेरे कर्णधारों कुछ तो सोचो ,
तुम्हारे बुजुर्गों का मन-प्राण हूँ मैं,
क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं
SHALINIAGAM HINDI DIWAS ( क्योंकि हिंदी हूँ मैं)
क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं !
हिंद में पैदा हुए ,
हिंद की हवा में जिए,
हिंदी में ही खाया,
पहना ,बोला और चला ,
प़र जब इतराने की बारी आई,
तो कंधे चौड़े किये अंग्रेजी में ?
अगर रख सको तो अस्तित्व हूँ मैं,
छुपा दो तो एक निशानी हूँ मैं,
गलती से खो दिया..........
तो केवल एक कहानी हूँ मैं,
अंग्रेजी के पत्थर खाकर भी,
मुस्कुराने की आदत है मुझे ,
दुनिया की नज़र में कुछ चुभी सी,
मगर गर्व की दास्ताँ हूँ मैं,
मेरे अपने चाहें ना पहचाने अब मुझको,
प़र उनकी रग-रग में बसी ,
उनके गौरव की आग हूँ मैं ,
मेरे कर्णधारों कुछ तो सोचो ,
तुम्हारे बुजुर्गों का मन-प्राण हूँ मैं,
क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं
हिंद में पैदा हुए ,
हिंद की हवा में जिए,
हिंदी में ही खाया,
पहना ,बोला और चला ,
प़र जब इतराने की बारी आई,
तो कंधे चौड़े किये अंग्रेजी में ?
अगर रख सको तो अस्तित्व हूँ मैं,
छुपा दो तो एक निशानी हूँ मैं,
गलती से खो दिया..........
तो केवल एक कहानी हूँ मैं,
अंग्रेजी के पत्थर खाकर भी,
मुस्कुराने की आदत है मुझे ,
दुनिया की नज़र में कुछ चुभी सी,
मगर गर्व की दास्ताँ हूँ मैं,
मेरे अपने चाहें ना पहचाने अब मुझको,
प़र उनकी रग-रग में बसी ,
उनके गौरव की आग हूँ मैं ,
मेरे कर्णधारों कुछ तो सोचो ,
तुम्हारे बुजुर्गों का मन-प्राण हूँ मैं,
क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं
Saturday, September 11, 2010
dr.shaliniagam (tip of the day)
ये ज़िन्दगी बेहद खूबसूरत है,
अगर हम चाहें तो और भी ख़ूबसूरत हो सकती है ,
क्योंकि हमारी ख्वाहिश ये सृष्टि मानती है और उसे उसे पूरा करती है.
ये अलौकिक शक्तियां मेरे लियें अलादीन का चिराग़ हैं जो मांगती हूँ मिलता है.......
.......पैसा, प्यार, शौहरत , स्वास्थ्य .
हर पल जो चाहतो हो मांगो सृष्टि से ,
विश्वास करो कि जो माँगा है ,बस पा ही लिया है,
महसूस करो कि जो माँगा, उसे पाने के बाद कितनी ख़ुशी मिल रही है,
में जो चाहती हूँ ,उस पर विचार करती हूँ, कागज पर लिखती हूँ,
फिर अटूट विश्वास करती हूँ,आशावादी सोच रखती हूँ ,
फिर मैं उसे पा लेती हूँ .
हम सबको अपने और सृष्टि के बीच ताल-मेल बिठाना आना चाहिए
जब भी हालत बदलने हों ,पहले विचार बदलो .
क्योंकि मैं प्रकृति का , सृष्टि का, धन्यवाद करती हूँ , ज्यादा पाना चाहती हूँ तो शुक्रिया करती हूँ
इच्छा -शक्ति से क्या नहीं हो सकता ,आप अपनी इच्छा-शक्ति और यकीन से आप क्या नहीं पा सकते.
अपनी उम्मीद से बड़ी कोई तस्वीर , कोई इच्छा देखो,सोचो, आँखे बंद करके महसूस करें कि वह मजिल मैंने पा ली है .
डॉ.शालिनीअगम
2010
अगर हम चाहें तो और भी ख़ूबसूरत हो सकती है ,
क्योंकि हमारी ख्वाहिश ये सृष्टि मानती है और उसे उसे पूरा करती है.
ये अलौकिक शक्तियां मेरे लियें अलादीन का चिराग़ हैं जो मांगती हूँ मिलता है.......
.......पैसा, प्यार, शौहरत , स्वास्थ्य .
हर पल जो चाहतो हो मांगो सृष्टि से ,
विश्वास करो कि जो माँगा है ,बस पा ही लिया है,
महसूस करो कि जो माँगा, उसे पाने के बाद कितनी ख़ुशी मिल रही है,
में जो चाहती हूँ ,उस पर विचार करती हूँ, कागज पर लिखती हूँ,
फिर अटूट विश्वास करती हूँ,आशावादी सोच रखती हूँ ,
फिर मैं उसे पा लेती हूँ .
हम सबको अपने और सृष्टि के बीच ताल-मेल बिठाना आना चाहिए
जब भी हालत बदलने हों ,पहले विचार बदलो .
क्योंकि मैं प्रकृति का , सृष्टि का, धन्यवाद करती हूँ , ज्यादा पाना चाहती हूँ तो शुक्रिया करती हूँ
इच्छा -शक्ति से क्या नहीं हो सकता ,आप अपनी इच्छा-शक्ति और यकीन से आप क्या नहीं पा सकते.
अपनी उम्मीद से बड़ी कोई तस्वीर , कोई इच्छा देखो,सोचो, आँखे बंद करके महसूस करें कि वह मजिल मैंने पा ली है .
डॉ.शालिनीअगम
2010
Wednesday, September 8, 2010
dr.shaliniagam (tip of the day)
Namaste India
१-चलो हम सब थोड़ी देर के लिए बिलकुल मासूम बन जाएँ , एक बच्चे कि तरह ,
२-जीवन कि उठा-पटक, competition, भाग-दौड़ सब-कुछ भूलकर,केवल अपने में खो जाएँ,
३- हमारा साथ देने के लिए केवल हमारा विश्वास, हमारी innocence ,और हमारी purity है,
४-हमारे चारों ओर केवल प्यार ही प्यार महसूस करें ,अपने दिल कि सुने ,जो करना चाहते है कर डाले ,
५-पूरी कायनात आज हमारे साथ है ,हम सृष्टि के संरक्षण में है ,हमारे साथ कुछ गलत हो ही नहीं सकता,
६-एकदम भोले बन जाओ, मासूम और भोले व्यक्ति का विश्वास अपार है, उसे कोई cheat नहीं कर सकता,
७-कभी-कभी लोग हमारी सादगी प़र हसेंगे,यंहा तक कि हम स्वयम को भी मूर्ख लग सकतें हैं ,प़र हमारी innocence
ही हमारी पहचान बनेगी.
८-हमारा निर्दोष -बच्चा मनऔर हमारा खुद प़र विश्वास ही हमारे guide बनेंगे .
डॉ.शालिनीअगम
०४/१६/१०
१-चलो हम सब थोड़ी देर के लिए बिलकुल मासूम बन जाएँ , एक बच्चे कि तरह ,
२-जीवन कि उठा-पटक, competition, भाग-दौड़ सब-कुछ भूलकर,केवल अपने में खो जाएँ,
३- हमारा साथ देने के लिए केवल हमारा विश्वास, हमारी innocence ,और हमारी purity है,
४-हमारे चारों ओर केवल प्यार ही प्यार महसूस करें ,अपने दिल कि सुने ,जो करना चाहते है कर डाले ,
५-पूरी कायनात आज हमारे साथ है ,हम सृष्टि के संरक्षण में है ,हमारे साथ कुछ गलत हो ही नहीं सकता,
६-एकदम भोले बन जाओ, मासूम और भोले व्यक्ति का विश्वास अपार है, उसे कोई cheat नहीं कर सकता,
७-कभी-कभी लोग हमारी सादगी प़र हसेंगे,यंहा तक कि हम स्वयम को भी मूर्ख लग सकतें हैं ,प़र हमारी innocence
ही हमारी पहचान बनेगी.
८-हमारा निर्दोष -बच्चा मनऔर हमारा खुद प़र विश्वास ही हमारे guide बनेंगे .
डॉ.शालिनीअगम
०४/१६/१०
Sunday, September 5, 2010
शालिनीअगम (कुछ शब्द मेरे आपने) काम-ऊर्र्जा उपचार
शालिनीअगम (कुछ शब्द मेरे आपने) काम-ऊर्र्जा उपचार
नमस्ते भारतवर्ष,
काम -ऊर्जा से उपचार
काम-ऊर्जा को यदि हम क्षणिक काम-सुख पाने के लिए न करके ,रोग मुक्ति के लिए करें तो ? आश्चर्य -चकित न हों ध्यान से पढ़ें ..........
हमारा मन बहुत तीव्र गति से कार्य करता है ,अपनी बौद्धिक -शक्ति से हम मन को इच्छानुसार गति देने में सक्षम हैं
काम-सुख में निमग्न होते समय हम रोग-ग्रस्त भाग प़र ध्यान केन्द्रित करें.काम-ऊर्जा और रोग-ग्रस्त स्थल के बीच संपर्क स्थापित करें।
काम-सुख के चरम बिंदु प़र पहुँचने के क्षण ही हम काम-उर्जा को रोग-स्थल प़र पहुंचा दें । न-न कोई मुश्किल कार्य नहीं है बस थोडा सा मन को साधना है। जिस क्षण काम-ऊर्जा अपनी चरम-स्तिथि में आये तब उसी क्षण अपना ध्यान रोग-स्थल प़र केन्द्रित कर दें.एक पंथ दो काज । दोनों ही कार्य सफलता-पूर्वक हो जायेंगे.कोई तनाव नहीं लायें ना पहले ना बाद में केवल यह ठीक उसी पल संभव है जब चरम-बिंदु प़र पहुँचाने के लिए काम-ऊर्जा संचित होती है.
शिव और शक्ति के मिलन को रोग - निवारण का स्रोत भी बनाया जा सकता है।
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Labels: ०५/१८/१०
Monday, May 10, 2010
tip of the day
Thinking positiv & living happily can revive your cells.
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+ कुछ शब्द मेरे अपने (स्व:)
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+ कुछ शब्द मेरे अपने.
+ कुछ शब्द मेरे अपने.
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+ Tip of the day
Saturday, September 4, 2010
Friday, September 3, 2010
Wednesday, September 1, 2010
SHALINIAGAM (SHUBH AAROGYAM) बालक के जन्मदिवस पर
बालक के जन्मदिवस पर
बालक है मेरे प्रेमपुष्प,
सींचती हूँ
मैं ममत्व जल से
बालक है मेरे सूर्य पुंज
किरणों को उनकी चमकाती हूँ
अपनी उर्जा से
बालक है मेरे रजत चन्द्र
दमकातीं हूँ अपनी चांदनी से,
आदित्य - शुभम है मेरे गर्व गौरव्
शक्तिमान,दैदीप्यमान है मेरी कामना से
बालक है मेरे मांगलिक दीप,
प्रज्ज्वलित है मेरे आशीर्वादों से,
हर माँ के समान ,मैने भी देखा है स्वप्न,
कुसुमित पल्लवित हो मेहकें जीवन क्यारी में,
संस्कारो की कड़ी धूप में निखरे कंचन से,
बडो का आदर,छोटो से प्यार करें दिल से,
नैतिकता व् राष्ट्रहित में लगे रहें मन से,
माँ पा के अनुशासन में, संरक्षण में,
आगे बढे जग से''........................
......................शालिनिअगम.
Saturday, August 21, 2010
shaliniagam (shubh aarogyam) rakhi par vishesh
बहना ने भाई की कलाई प़र प्यार बाँधा है,
प्यार के दो तार से संसार बाँधा है,
मेरे प्यारे राजा भैया ,
जुग-जुग जियो ,
फलो-फूलो ............
बहिन सजा कर थाल पूजा का
राखी लेकर आई ,
तिलक लगाकर राखी बांधी,
भैया की खिल उठी कलाई.........
...................तुम्हारी बहना शालू
डॉ.शालिनिअगम
मेरे राजा भैया जल्दी से अच्छे हो जाओ
प्यार के दो तार से संसार बाँधा है,
मेरे प्यारे राजा भैया ,
जुग-जुग जियो ,
फलो-फूलो ............
बहिन सजा कर थाल पूजा का
राखी लेकर आई ,
तिलक लगाकर राखी बांधी,
भैया की खिल उठी कलाई.........
...................तुम्हारी बहना शालू
डॉ.शालिनिअगम
मेरे राजा भैया जल्दी से अच्छे हो जाओ
Wednesday, August 18, 2010
dr.shaliniagam (shubh aarogyam)प्रसन्नता ही हमारी संजीवनी है .........
प्रसन्नता ही हमारी संजीवनी है .........
मेरी एक अन्तरंग सहेली जो अत्यंत दुखी ,निराश, अनिंद्रा और अपच का शिकार थी उसने निश्चय किया की वह अब मेरी तरह ही हँसेगी,हर हाल में खुश रहेगी . दिन में हर -पल बस वही बातें सोचेगी जिससे हसीं आये.
भले ही उसके पास हँसने का कोई उपयुक्त कारण हो न हो .
अपने आस-पास का माहौल खुशनुमा बनाये रखेगी. उसने मुझसे पूछा ,"डॉ.शालिनी अगर मैं मन से दुखी हूँ ,तो कोशिश करने प़र भी मुझे हंसी नहीं आती ,मैं क्या करूँ .." तब मैंने उसे निम्न बातें समझायीं ...........और परिणाम -स्वरुप वह धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी ,उसके परिवारजन उसमे आये बदलाव के कारण आश्चर्य में पड़ गए. पहले-पहल तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया पर धीरे -धीरे घर का माहौल बदलने लगा और सभी दिल खोलकर हँसने लगे .............. हर - पल दुखी दिखने वाला परिवार आज सबसे ज्यादा खुश दिखाई देता है .
अब आप पूछोगे की मैंने उसको क्या बताया........??????
१- हँसें .....रोग से मुक्ति मिलती है और रुग्ण व्यक्ति के शरीर में नई शक्ति का संचार होता है .
२- प्रसंन्न-चित्त व्यक्ति हमेशा तरोताजा रहता है.,हँसने से आयु बढती है. ,उत्साह में वृद्धि होती है ,कार्य-शक्ति बढती है .
३-प्रसन्नचित्त व्यक्ति को सभी लोग पसंद करतें है,क्योंकि उनके दिल में कपट,द्वेष, ईर्ष्या , और बैर-भाव समाप्त हो जाता है .क्योंकि जिसने अपने ह्रदय में बैर-भाव को स्थान दिया होता है, वह व्यक्ति ,खुलकर नहीं हँस सकता
४- मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी तार्किक प्रक्रिया की अपेक्षा खूब जोर से हँसना अधिक हितकारी होगा.
५-अत्यधिक शारीरिक श्रम,ठण्ड में रहना और पानी में भीगना,आलसी स्वाभाव और नशा यह सब मनुष्य के घोर शत्रु हैं किन्तु इससे भी बड़ा शत्रु है चिडचिडा स्वाभाव .वह व्यक्ति जिसे जरा -जरा सी बातों प़र क्रोध आया करता है, उसका जीवन दूभर हो जाता है वह अपने साथ अपने आस-पास वालों के लिए भी मुसीबत बन जाता है. वह न तो खुद सुख से रह पता है न किसी को रख पाता है.
६-रोते कुढ़ते व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता,हर नज़र को मुस्कराहट अच्छी लगती है.
७- हमेशा याद रखे की उन्मुक्त हँसीं हमारे और हमारे परिवार-जनों के लिए बेहद लाभ-कारी औषधि है.
८-प्रसन्नता संजीवनी है,हँसना परमात्मा प्रदत्त औषधि है,हँसने से दिल की धड़कन बढती है, फेफड़ों में स्वच्छ वायु जाती है,खूब जोर-जोर से हँसने से चेहरे और मस्तिष्क में रक्त-प्रवाह तेजी से होता है तथा चेहरे प़र लालिमा व् निखार आता है,बुद्धि तीव्र होती है .
९-उस दिन को बेकार समझो जिस दिन तुम खुलकर हँसें नहीं...........
शरीर-विज्ञानं का निष्कर्ष है की सभी संवेदन-शील नाड़ीयां आपस में जुडी रहतीं हैं और जब उनमें से कोई एक नाड़ी समूह मस्तिष्क की ओर कोई बुरा समाचार ले जाता है तो उससे आम नाड़ीयाँ भी प्रभावित होतीं है,विशेष कर उदर की ओर जाने वाला नाड़ी-समूह तो अत्यधिक प्रभावित होता है,परिणाम- स्वरुप इससे अपच हो जाता है. इसका प्रभाव मनुष्य के चेहरे प़र भी पड़ता है जिससे चेहरा निस्तेज हो जाता है,उत्साह मंद पद जाता है,और कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती.
१०-परफेक्ट लाइफ किसी की नहीं होती ,हर किसी के पास दुखी रहने की वज़ह हैं ....प़र उनसे निकलना ही बहादुरी है........
धन कमाने की हवास,दूसरों से होड़ करने की सोच , "हमेशा अपना काम और दूसरों का ज्यादा "देखने की प्रवत्ति ,दूसरों की उन्नति से जलना -कुढ़ना ,व्यर्थ की चिंताएं ,काल्पनिक दुर्घटनाओं से भयभीत रहना ,हमेशा अपने अंदर ही कमी निकलते रहना .........ये ऐसे विचार हैं जिससे मनुष्य हँसना -मुस्कुराना ही भूल गया है.
११- प्यारे मित्रों ! हँसीं जीवन का मुख्य अवयव है. जिसके जीवन में हँसीं नहीं ,वह मृत्यु-तुल्य है . हँसना जीवन का एक ऐसा संगीत है जिसके बिना जीवन एकदम नीरस है ,हँसना एक आनंद-दायी एहसास है .
मेरी एक अन्तरंग सहेली जो अत्यंत दुखी ,निराश, अनिंद्रा और अपच का शिकार थी उसने निश्चय किया की वह अब मेरी तरह ही हँसेगी,हर हाल में खुश रहेगी . दिन में हर -पल बस वही बातें सोचेगी जिससे हसीं आये.
भले ही उसके पास हँसने का कोई उपयुक्त कारण हो न हो .
अपने आस-पास का माहौल खुशनुमा बनाये रखेगी. उसने मुझसे पूछा ,"डॉ.शालिनी अगर मैं मन से दुखी हूँ ,तो कोशिश करने प़र भी मुझे हंसी नहीं आती ,मैं क्या करूँ .." तब मैंने उसे निम्न बातें समझायीं ...........और परिणाम -स्वरुप वह धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी ,उसके परिवारजन उसमे आये बदलाव के कारण आश्चर्य में पड़ गए. पहले-पहल तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया पर धीरे -धीरे घर का माहौल बदलने लगा और सभी दिल खोलकर हँसने लगे .............. हर - पल दुखी दिखने वाला परिवार आज सबसे ज्यादा खुश दिखाई देता है .
अब आप पूछोगे की मैंने उसको क्या बताया........??????
१- हँसें .....रोग से मुक्ति मिलती है और रुग्ण व्यक्ति के शरीर में नई शक्ति का संचार होता है .
२- प्रसंन्न-चित्त व्यक्ति हमेशा तरोताजा रहता है.,हँसने से आयु बढती है. ,उत्साह में वृद्धि होती है ,कार्य-शक्ति बढती है .
३-प्रसन्नचित्त व्यक्ति को सभी लोग पसंद करतें है,क्योंकि उनके दिल में कपट,द्वेष, ईर्ष्या , और बैर-भाव समाप्त हो जाता है .क्योंकि जिसने अपने ह्रदय में बैर-भाव को स्थान दिया होता है, वह व्यक्ति ,खुलकर नहीं हँस सकता
४- मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी तार्किक प्रक्रिया की अपेक्षा खूब जोर से हँसना अधिक हितकारी होगा.
५-अत्यधिक शारीरिक श्रम,ठण्ड में रहना और पानी में भीगना,आलसी स्वाभाव और नशा यह सब मनुष्य के घोर शत्रु हैं किन्तु इससे भी बड़ा शत्रु है चिडचिडा स्वाभाव .वह व्यक्ति जिसे जरा -जरा सी बातों प़र क्रोध आया करता है, उसका जीवन दूभर हो जाता है वह अपने साथ अपने आस-पास वालों के लिए भी मुसीबत बन जाता है. वह न तो खुद सुख से रह पता है न किसी को रख पाता है.
६-रोते कुढ़ते व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता,हर नज़र को मुस्कराहट अच्छी लगती है.
७- हमेशा याद रखे की उन्मुक्त हँसीं हमारे और हमारे परिवार-जनों के लिए बेहद लाभ-कारी औषधि है.
८-प्रसन्नता संजीवनी है,हँसना परमात्मा प्रदत्त औषधि है,हँसने से दिल की धड़कन बढती है, फेफड़ों में स्वच्छ वायु जाती है,खूब जोर-जोर से हँसने से चेहरे और मस्तिष्क में रक्त-प्रवाह तेजी से होता है तथा चेहरे प़र लालिमा व् निखार आता है,बुद्धि तीव्र होती है .
९-उस दिन को बेकार समझो जिस दिन तुम खुलकर हँसें नहीं...........
शरीर-विज्ञानं का निष्कर्ष है की सभी संवेदन-शील नाड़ीयां आपस में जुडी रहतीं हैं और जब उनमें से कोई एक नाड़ी समूह मस्तिष्क की ओर कोई बुरा समाचार ले जाता है तो उससे आम नाड़ीयाँ भी प्रभावित होतीं है,विशेष कर उदर की ओर जाने वाला नाड़ी-समूह तो अत्यधिक प्रभावित होता है,परिणाम- स्वरुप इससे अपच हो जाता है. इसका प्रभाव मनुष्य के चेहरे प़र भी पड़ता है जिससे चेहरा निस्तेज हो जाता है,उत्साह मंद पद जाता है,और कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती.
१०-परफेक्ट लाइफ किसी की नहीं होती ,हर किसी के पास दुखी रहने की वज़ह हैं ....प़र उनसे निकलना ही बहादुरी है........
धन कमाने की हवास,दूसरों से होड़ करने की सोच , "हमेशा अपना काम और दूसरों का ज्यादा "देखने की प्रवत्ति ,दूसरों की उन्नति से जलना -कुढ़ना ,व्यर्थ की चिंताएं ,काल्पनिक दुर्घटनाओं से भयभीत रहना ,हमेशा अपने अंदर ही कमी निकलते रहना .........ये ऐसे विचार हैं जिससे मनुष्य हँसना -मुस्कुराना ही भूल गया है.
११- प्यारे मित्रों ! हँसीं जीवन का मुख्य अवयव है. जिसके जीवन में हँसीं नहीं ,वह मृत्यु-तुल्य है . हँसना जीवन का एक ऐसा संगीत है जिसके बिना जीवन एकदम नीरस है ,हँसना एक आनंद-दायी एहसास है .
Friday, August 13, 2010
dr.shaliniagam(shubh aarogyam)VANDE MATRAM
NAMASTE INDIA
प्यारे भारतवर्ष,
आज घर की छत पर रंग -बिरंगी पतंगों को देख ,दिल उमंग और उल्लास से भर गया. तभी किसी ने एक पतंग की डोर मेरे हाथ में भी थमा दी, मन में बचपन और जवानी की कई मिलीजुली शरारतें चुहल करने लगीं ,पतंग के डोलने से जैसे मन भी डोल रहा था .......चली चली रे पतंग मेरी चली रे ..........चली बादलों के पार.......होके डोर पे सवार .......जिसे देख-देख दुनिया जली रे.... अरे आज १४ अगस्त है और कल १५ मेरे देश की आज़ादी की वर्षगांठ ..कैसा मनभावन एहसास है,कितना स्वतंत्र अवसर......तभी काटे की आवाज़ सुनाई दी और वो भी मेरी छत से न की पडौसी की छत से क्योंकि डोर मेरे हाथ है स्वतंत्रता की डोर ,मेरी मर्जी की डोर,मेरे अपने स्वाभिमान की पहचान,मेरे मान की पहचान. तो क्यों न झूमूँ, क्यों न इतराऊँ ,क्यों न बल खाऊँ .............:)
पतंग प्रतीक है मेरी आज़ादी की.और डोर प्रतीक है उन संस्कारों की,उन आदर्शों की,जो बचपन से हमारे मनों में कूट-कूट कर भरे गएँ है कि बेटा खूब उड़ो.प़र संस्कारों और आदर्शों की डोर में बंध कर ...........तरक्की के आसमान को छू लो प़र अपनी जड़ों से बंधकर और कोई अगर पेंच लड़ा भी ले तो थोड़ी ढील दो,फिर काट दो .............
वन्दे मातरम .......
डॉ.शालिनिअगम
9212704757
Monday, August 9, 2010
SHALINIAGAM {सूर्य ध्यान द्वारा रोग निवारण कैसे करें}
शालिनीअगम {सूर्य ध्यान द्वारा रोग निवारण कैसे करें}
सूर्य - किरण ध्यान
वेदों में कहा गया है कि "उदित होता हुआ सूर्य मृत्यु के सभी कारणों अथार्त सभी रोगों को नष्ट करता है." प्रात:-काल सूर्योदय के समय पूर्वाभिमुख होकर संध्योपासना और हवन करने का यही रहस्य है कि ऐसा करने से सूर्य कि अवरक्त {infrared} किरणे सीधे छाती प़र पड़तीं हैं उनके प्रभाव से व्यक्ति सदैव निरोगी रहतें हैंसूर्य -किरण- ध्यान-विधि प्रातः -काल में शांत-मन होकर आराम से बैठ जाइये.अपना सारा ध्यान सूर्य कि विशालता और व्यापकता प़र लगा दें।जीवन-शक्ति से भरपूर सूर्य से संबंद स्थापित करने का प्रयास करें। नीले आकाश के नीचे चमकती सूर्य-किरणों कि उर्जा को आत्मसात करने का सतत प्रयास करें और अपने आन्तरिक अस्तित्व को इस विशालता के साथ मिलकर उसका विस्तार करें..................प्रार्थना करें"हे सूर्य ! मैं तुम्हारी ओजस्विता,तुम्हारी इस विशाल उर्जा को प्रणाम करता हूँ .मेरे शारीर के त्रिदोष समाप्त कीजिए व् उन्हें संतुलित कीजिए,मुझे अपने समान तेजवान बनाईए .साहसी,निर्भय व् रोगमुक्त बनाईए .हे सूर्य देव!,जीवन शक्ति-देने वाले आपकी शक्ति को प्रणाम ,मुझे निरोगी होने का आशीर्वाद दीजिये ........................
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7 comments:
कुछ नई बात सीखने को मिली!
U R AMAZING SHALINIJI
Dr. Shalini,
we are taking wonderful knowladge from u.
God bless u
शालिनीजी,
ब्लॉग कि इस दुनिया का गौरव हो तुम,
ब्लॉग के असमान का सितारा हो तुम,
ब्लॉग के तख्तो-ताज की मल्लिका हो तुम,
डॉ. हुसैन
wwwwowwww shalini
bravo
OOOOOOOOOO WHAT A PERSONALTY
WHAT A STYLE..........
WHAT A ATTITUDE ...........
I LIKE U
आह !
कितने सुंदर और सुशील विचार है
आप प्रशंसा की पात्र हैं .
सुशील कुमार
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