शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने
नमस्ते भारतवर्ष
आजकल के तनाव-ग्रस्त वातावरण में मानसिक रोगी हो जाना कोई विस्मय की बात नहीं है.रोजाना के दैनिक क्रिया-कलापों में न जाने कितने दबाब हम-सब झेलतें हैं। जिसके कारण कुंठा,आवेश,झुंझलाहट ,क्रोध बढता जाता है,और न कितने कमजोर इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति जीवन को भर समझ वहन करतें चलतें हैं। इस दबाब को कैसे शिथिल किया जाय , इन तनावों से कैसे छुटकारा पाया जाय ----उत्तर केवल एक है
ध्यान'।
ध्यानपूर्ण -क्षणों में जाना होगा
२४ घंटों में से यदि कोई केवल एक घंटा ध्यान करे,तो मानसिक रोगी तो कभी नहीं होगा। उस एक घंटे के लिए व्यक्ति की चेतना में न कोई स्मृति ,न कोई कल्पना,न कोई विषय -सामग्री,न कोई विचार।फलस्वरूप उसे नयी ताजगी,नयी उर्जा, नया आनंद मिलेगा। और इसके लिए प्रथम और सरल उपाय है ......नृत्य और संगीत में रुचि जगाना।
जीवन एक गीत है जिसे गाना है,एक नृत्य है जिसे नाचना है।
नृत्य नर्तक के साथ -साथ पलता-बढ़ता है,उसी के साथ जीता और मरता है। नृत्य करते-करते नर्तक न जाने कंहा लुप्तप्राय : हो जाता है , दृश्य रहता है तो केवल नृत्य । पौराणिक काल से लेकर अब तक नृत्य को ध्यानपूर्ण मुद्रा माना गया है
इसे करतें है मेरे अगले ब्लॉग का इन्तजार कीजिये ।
डॉ शालिनीअगम
नमस्ते भारतवर्ष
आजकल के तनाव-ग्रस्त वातावरण में मानसिक रोगी हो जाना कोई विस्मय की बात नहीं है.रोजाना के दैनिक क्रिया-कलापों में न जाने कितने दबाब हम-सब झेलतें हैं। जिसके कारण कुंठा,आवेश,झुंझलाहट ,क्रोध बढता जाता है,और न कितने कमजोर इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति जीवन को भर समझ वहन करतें चलतें हैं। इस दबाब को कैसे शिथिल किया जाय , इन तनावों से कैसे छुटकारा पाया जाय ----उत्तर केवल एक है
ध्यान'।
ध्यानपूर्ण -क्षणों में जाना होगा
२४ घंटों में से यदि कोई केवल एक घंटा ध्यान करे,तो मानसिक रोगी तो कभी नहीं होगा। उस एक घंटे के लिए व्यक्ति की चेतना में न कोई स्मृति ,न कोई कल्पना,न कोई विषय -सामग्री,न कोई विचार।फलस्वरूप उसे नयी ताजगी,नयी उर्जा, नया आनंद मिलेगा। और इसके लिए प्रथम और सरल उपाय है ......नृत्य और संगीत में रुचि जगाना।
जीवन एक गीत है जिसे गाना है,एक नृत्य है जिसे नाचना है।
नृत्य नर्तक के साथ -साथ पलता-बढ़ता है,उसी के साथ जीता और मरता है। नृत्य करते-करते नर्तक न जाने कंहा लुप्तप्राय : हो जाता है , दृश्य रहता है तो केवल नृत्य । पौराणिक काल से लेकर अब तक नृत्य को ध्यानपूर्ण मुद्रा माना गया है
इसे करतें है मेरे अगले ब्लॉग का इन्तजार कीजिये ।
डॉ शालिनीअगम
शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने
व्यक्ति अपना रोष,अपना दुख,अपनी प्रसन्नता ,सभी कुछ संगीत के लय ताल द्वारा प्रकट कर तनाव रहित हो सकता है.
शंकर , मीरा,कबीर,चैतन्य महाप्रभु ,कृष्ण की बांसुरी की लय प़र सुध-बुद्ध खोती गोपियों का नर्तन, सूफी-संत आदि नृत्य द्वारा ध्यान में समाये रहते थे । नृत्य व् संगीत द्वारा व्यक्ति का तन-मन , सुध-बुद्ध खोकर आनंदित होकर झूमने लगता है तब सृष्टि भी अपने साथ नृत्य करती, झंकृत होती मालूम पड़ती है।
ओशो ने भी कहा है कि जब हम नृत्य में खो जातें हैं तब हम अपने अस्तित्व को भूल जातें हैं ....दिखाई देता है तो केवल नृत्य और उससे उपजता आनंद .........'नृत्य ही तुम्हारा परमात्मा तक जाने का रास्ता है '........और फिर हर ओर एक नई ताजगी, एक नई दिव्यता का अहसास होने लगता है।
तो उठो मेरे भारतवर्ष संगीत को अपनाओ हर उत्सव को नाच-गा कर और भी अधिक आनंद-दायक बना लो ,अरे रे रे ....शर्माना कैसा और किससे ,नहीं तो बंद कमरे से शुरुवात कैसी रहेगी ,मनपसंद लय-ताल चुनो फ़िल्मी संगीत चुनो,इंडियन क्लासिकल या पाश्चात्य संगीत चुनो ,प्ले का बटन दबाओ और शुरू हो जाओ .
meditation revive your cells which starts danc
MEDITATION MAKES YOU ACTIVE SO START DANCING
SO MY DEAR INDIA,'THE RESULT OF SIMPLE PROCESS OF FUN WITH DANCING IS OUT STANDING.........IT SYNCHRONIZES THE POSITIVE & NEGATIVE ENERGY INSIDE THE BODY......... THE MAN AND WOMAN ' THE YIN AND YANG', LIFE AND DEATH
CHEERSSSSSSS
DR. SHALINIAGAM
2010
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