भटकती ज़िन्दगानी की सही मंज़िल लगे मुझको
ठहर जाऊँ बना लूँ आशियाँ,वो दिल लगे मुझको
कई दामन कई हमदम मिलेंगे राह पर लेकिन
ज़माने में फकत तुम प्यार के क़ाबिल लगे मुझको
थी अनजानी सी सूरत वो मगर वो अजनबी ना थी
मेरे शेरों मेरी ग़ज़लों में हर,दाख़िल लगे मुझको
समंदर का सफ़र लेकिन बुझी ना प्यास लहरों की
लहर की जो बुझा दे प्यास वो साहिल लगे मुझको
समा जाएँ बदन दो एक मुट्ठी,और सो जाएँ
अगम की ख़्वाहिशों में बा-ख़ुशी शामिल लगे मुझको
ठहर जाऊँ बना लूँ आशियाँ,वो दिल लगे मुझको
कई दामन कई हमदम मिलेंगे राह पर लेकिन
ज़माने में फकत तुम प्यार के क़ाबिल लगे मुझको
थी अनजानी सी सूरत वो मगर वो अजनबी ना थी
मेरे शेरों मेरी ग़ज़लों में हर,दाख़िल लगे मुझको
समंदर का सफ़र लेकिन बुझी ना प्यास लहरों की
लहर की जो बुझा दे प्यास वो साहिल लगे मुझको
समा जाएँ बदन दो एक मुट्ठी,और सो जाएँ
अगम की ख़्वाहिशों में बा-ख़ुशी शामिल लगे मुझको
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