Tuesday, July 16, 2019

शायरी

मचल जाते हैं मेरे हाथ कुछ लिखने को तुम पर 
पिघलते जा रहे जज़्बात कुछ लिखने को तुम पर
लिखूँ काग़ज़ पे या शीशे के इस दिल में उतारूँ
बड़ी बेताब है ये रात कुछ लिखने को तुम पर



अब आये हैं महफ़िल तेरी कुछ
तो सुना कर जायेंगे
बेचैन दिल आवाज़ से अपना
बना कर जायेंगे

इक ज़ुल्फ़ भीगी सी महकती सी
बदन की ये नमी
अहसास अपनी तिश्नगी का हम
करा कर जायेंगे

ख़्वाबों मे आना और आकर यूँ
सताना रात-दिन
सपना नहीं इन ओज आँखों में
बुला कर जायेंगे

वो ओट में पलकों की छिप जाना
वो नजरों की हया
चिलमन सजा का आज हम दर से
हटा कर जायेंगे

वो मखमली बातें वो ख़्वाबों की
मुलाक़ातें अगम
है इश्क़ क्या ये रूबरू तुमको
दिखा कर जायेंगे

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