बे-मन से झुकजाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
सजदे को झुठलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
ज़िन्दादिली से ज़िन्दगी का तू
जिये जा हर लम्हा
घुट-घुट के मर जाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
खुद से मिला दूँ खुद को क्यूँ की
तुझसे कब तक और अब
तौहीन करवाने से भी होगा भला
क्या फ़ायदा
ऐ तंगदिल छलनी किया है रूह
को तूने मेरी
अब जिस्म सहलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
अपनों को जो अपना बना लेती
अगम तो बात थी
ग़ैरों को अपनाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
भला क्या फ़ायदा
सजदे को झुठलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
ज़िन्दादिली से ज़िन्दगी का तू
जिये जा हर लम्हा
घुट-घुट के मर जाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
खुद से मिला दूँ खुद को क्यूँ की
तुझसे कब तक और अब
तौहीन करवाने से भी होगा भला
क्या फ़ायदा
ऐ तंगदिल छलनी किया है रूह
को तूने मेरी
अब जिस्म सहलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
अपनों को जो अपना बना लेती
अगम तो बात थी
ग़ैरों को अपनाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
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