Saturday, July 27, 2019
Wednesday, July 24, 2019
Tuesday, July 16, 2019
For my bro Prashant Mohan
न कुछ चाहे ,न कुछ माँगे ,मगर खुश करने में आगे
है जिन्दा दिल बहुत कर्मठ ,सुबह वो सूर्य सा जागे
लड़ी उसने लड़ाई हर बडी ही शान से अपनी
दिखे तेवर जो हिम्मत के बुरी किस्मत भी डर भागे
बड़ा मासूम सा चहरा गुलाबोें सा भाई मेरे
दुआ मेरी किसी की भी , कभी भी ना नजर लागे
न कोई और तुझ सा है समंदर सी गहन आँ खें
कभी इक झील सी गहरी , रहें सपनों से भी आगे
मिलूँगी गर , कभी रब से , सवालों का , पिटारा है
कई उलझे सिरों में हैं गुथे खामोश से धागे
है जिन्दा दिल बहुत कर्मठ ,सुबह वो सूर्य सा जागे
लड़ी उसने लड़ाई हर बडी ही शान से अपनी
दिखे तेवर जो हिम्मत के बुरी किस्मत भी डर भागे
बड़ा मासूम सा चहरा गुलाबोें सा भाई मेरे
दुआ मेरी किसी की भी , कभी भी ना नजर लागे
न कोई और तुझ सा है समंदर सी गहन आँ खें
कभी इक झील सी गहरी , रहें सपनों से भी आगे
मिलूँगी गर , कभी रब से , सवालों का , पिटारा है
कई उलझे सिरों में हैं गुथे खामोश से धागे
Shayri
भटकती ज़िन्दगानी की सही मंज़िल लगे मुझको
ठहर जाऊँ बना लूँ आशियाँ,वो दिल लगे मुझको
कई दामन कई हमदम मिलेंगे राह पर लेकिन
ज़माने में फकत तुम प्यार के क़ाबिल लगे मुझको
थी अनजानी सी सूरत वो मगर वो अजनबी ना थी
मेरे शेरों मेरी ग़ज़लों में हर,दाख़िल लगे मुझको
समंदर का सफ़र लेकिन बुझी ना प्यास लहरों की
लहर की जो बुझा दे प्यास वो साहिल लगे मुझको
समा जाएँ बदन दो एक मुट्ठी,और सो जाएँ
अगम की ख़्वाहिशों में बा-ख़ुशी शामिल लगे मुझको
ठहर जाऊँ बना लूँ आशियाँ,वो दिल लगे मुझको
कई दामन कई हमदम मिलेंगे राह पर लेकिन
ज़माने में फकत तुम प्यार के क़ाबिल लगे मुझको
थी अनजानी सी सूरत वो मगर वो अजनबी ना थी
मेरे शेरों मेरी ग़ज़लों में हर,दाख़िल लगे मुझको
समंदर का सफ़र लेकिन बुझी ना प्यास लहरों की
लहर की जो बुझा दे प्यास वो साहिल लगे मुझको
समा जाएँ बदन दो एक मुट्ठी,और सो जाएँ
अगम की ख़्वाहिशों में बा-ख़ुशी शामिल लगे मुझको
जुस्तजू मिलने की है नूर-
ए-ज़माना
ऐ खुदा इस बार तो उनसे
मिलाना
वो निगाहें शोख़ वो अंदाज
उनका
उँगलियाँ धीरे से दातों मे
दबाना
वो लबों पर ही रुकी बेताब
बातें
वो दुपट्टे से लजा मुखड़ा
छिपाना
उफ़ ओ वल्लाह मार ना डाले
किसी दिन
कहना अपना फिर वो सीने
से लगाना
शायरी लिखता हूँ मैं तेरे लिए
बस
बन मेरी तक़दीर की ताबीर
जाना
हो मेरी तुम शालिनी मुझको
पता है
अब बिछड़ कर दूर इस दिल
से न जाना
ए-ज़माना
ऐ खुदा इस बार तो उनसे
मिलाना
वो निगाहें शोख़ वो अंदाज
उनका
उँगलियाँ धीरे से दातों मे
दबाना
वो लबों पर ही रुकी बेताब
बातें
वो दुपट्टे से लजा मुखड़ा
छिपाना
उफ़ ओ वल्लाह मार ना डाले
किसी दिन
कहना अपना फिर वो सीने
से लगाना
शायरी लिखता हूँ मैं तेरे लिए
बस
बन मेरी तक़दीर की ताबीर
जाना
हो मेरी तुम शालिनी मुझको
पता है
अब बिछड़ कर दूर इस दिल
से न जाना
शायरी
बे-मन से झुकजाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
सजदे को झुठलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
ज़िन्दादिली से ज़िन्दगी का तू
जिये जा हर लम्हा
घुट-घुट के मर जाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
खुद से मिला दूँ खुद को क्यूँ की
तुझसे कब तक और अब
तौहीन करवाने से भी होगा भला
क्या फ़ायदा
ऐ तंगदिल छलनी किया है रूह
को तूने मेरी
अब जिस्म सहलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
अपनों को जो अपना बना लेती
अगम तो बात थी
ग़ैरों को अपनाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
भला क्या फ़ायदा
सजदे को झुठलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
ज़िन्दादिली से ज़िन्दगी का तू
जिये जा हर लम्हा
घुट-घुट के मर जाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
खुद से मिला दूँ खुद को क्यूँ की
तुझसे कब तक और अब
तौहीन करवाने से भी होगा भला
क्या फ़ायदा
ऐ तंगदिल छलनी किया है रूह
को तूने मेरी
अब जिस्म सहलाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
अपनों को जो अपना बना लेती
अगम तो बात थी
ग़ैरों को अपनाने से भी होगा
भला क्या फ़ायदा
शायरी
मचल जाते हैं मेरे हाथ कुछ लिखने को तुम पर
पिघलते जा रहे जज़्बात कुछ लिखने को तुम परलिखूँ काग़ज़ पे या शीशे के इस दिल में उतारूँ
बड़ी बेताब है ये रात कुछ लिखने को तुम पर
अब आये हैं महफ़िल तेरी कुछ
तो सुना कर जायेंगे
बेचैन दिल आवाज़ से अपना
बना कर जायेंगे
इक ज़ुल्फ़ भीगी सी महकती सी
बदन की ये नमी
अहसास अपनी तिश्नगी का हम
करा कर जायेंगे
ख़्वाबों मे आना और आकर यूँ
सताना रात-दिन
सपना नहीं इन ओज आँखों में
बुला कर जायेंगे
वो ओट में पलकों की छिप जाना
वो नजरों की हया
चिलमन सजा का आज हम दर से
हटा कर जायेंगे
वो मखमली बातें वो ख़्वाबों की
मुलाक़ातें अगम
है इश्क़ क्या ये रूबरू तुमको
दिखा कर जायेंगे
शायरी by dr sweet angel
शायरी हूँ धड़कनों की आजमा कर देखिये
मैं ग़ज़ल इक मुख़्तसर सी गुनगुना कर देखिये
है शिकायत भी तुम्ही से और तुम ही हो दुआ में
इंतहा ये इश्क़ की अब आप आ कर देखिये
ख़ाब भी मेरे हो तुम ,हो इक हक़ीक़त भी तुम्हीं
ऐसे दीवाने से मिलकर दिल लगा कर दीखिये
प्यार तुम को गर नहीं तो नफ़रतें भी है ये क्यूँ
एक रिश्ता बेनाम सा ही अब बना कर दीखिये
ख़्वाहिशें ही दफ़्न कर , न चादरें ही अब बड़ी
ख़ूबसूरत सी तरह ये पल निभा कर देखिये
मुस्किलें मिट जायेगी उस दिन सभी ये ज़िन्दगी की
हाल पर अपने कभी तो मुस्कुरा कर देखिये
आतिशी ये रंग चहरे का तुम्हीं से है अगम
नूर मेरे इस वज़ू का पास आ कर देखिये
मैं ग़ज़ल इक मुख़्तसर सी गुनगुना कर देखिये
है शिकायत भी तुम्ही से और तुम ही हो दुआ में
इंतहा ये इश्क़ की अब आप आ कर देखिये
ख़ाब भी मेरे हो तुम ,हो इक हक़ीक़त भी तुम्हीं
ऐसे दीवाने से मिलकर दिल लगा कर दीखिये
प्यार तुम को गर नहीं तो नफ़रतें भी है ये क्यूँ
एक रिश्ता बेनाम सा ही अब बना कर दीखिये
ख़्वाहिशें ही दफ़्न कर , न चादरें ही अब बड़ी
ख़ूबसूरत सी तरह ये पल निभा कर देखिये
मुस्किलें मिट जायेगी उस दिन सभी ये ज़िन्दगी की
हाल पर अपने कभी तो मुस्कुरा कर देखिये
आतिशी ये रंग चहरे का तुम्हीं से है अगम
नूर मेरे इस वज़ू का पास आ कर देखिये
सिसकते दिल के कोनो में कहीं तनहाइयाँ रह जाएंगी
तेरे जाने से ये मदहोश सी गरमाईयां रह जाएंगी
कभी हम सोचते हैं कैद करलूँ क़ब्र में खुद को मगर
छुअन की आस में ज़िन्दा मेरी सिसकारियाँ रह जाएँगी
अभी भी वक़्त है ठहरो जरा सी गुफ़्तगू कर लो कभी
मलोगे हाथ वरना चीखती खामोशियाँ रह जाएंगी
मेरे हिस्से लिखा है,ख़्याल मैं तेरा रखूँ बेइंतहा
तेरे हिस्से में बस हँसती हुई लाचारियाँ रह जाएंगी
अगम ज़ाहिर करे गर ख्वाहिशों तुम से, तो है तौहीन ये
सको गर रूह पढ़ वरना फ़क़त मजबूरियाँ रह जाएंगी
तेरे जाने से ये मदहोश सी गरमाईयां रह जाएंगी
कभी हम सोचते हैं कैद करलूँ क़ब्र में खुद को मगर
छुअन की आस में ज़िन्दा मेरी सिसकारियाँ रह जाएँगी
अभी भी वक़्त है ठहरो जरा सी गुफ़्तगू कर लो कभी
मलोगे हाथ वरना चीखती खामोशियाँ रह जाएंगी
मेरे हिस्से लिखा है,ख़्याल मैं तेरा रखूँ बेइंतहा
तेरे हिस्से में बस हँसती हुई लाचारियाँ रह जाएंगी
अगम ज़ाहिर करे गर ख्वाहिशों तुम से, तो है तौहीन ये
सको गर रूह पढ़ वरना फ़क़त मजबूरियाँ रह जाएंगी
Dr.shalini Agam
काश ……………
मेरी याद-दाश्त खो जाये
काश
मैं भूल जाऊँ कि तू कौन है
काश
मैं फिर से खुद को अकेला समझ
सपने कुछ बुनूँ अपने प्यार के
काश
मैं सुन ही न पाऊँ अपने दर्द की कहानी
काश
जान ही न पाऊँ कि ये आँखें अचानक क्यों भर आयीं
काश
आसक्ति से विरक्ति की ओर कभी जा ही न पाऊँ
काश
तू मुझे मिले और मुझे पहचान ही न पाए
कि फिर से हम प्रेम भरे गीत गायें
काश
तू नए रूप -रंग में आकर
फिर से रंग दे अपने ही रंग में
काश
फिर जन्म ले कर तुझे फिर से पा जाऊँ
काश
की तुझे पाने की मेरी जिद ही
हमारे पुनर्मिलन का कारण बन जाये
Dr.sweet Angel
मेरी याद-दाश्त खो जाये
काश
मैं भूल जाऊँ कि तू कौन है
काश
मैं फिर से खुद को अकेला समझ
सपने कुछ बुनूँ अपने प्यार के
काश
मैं सुन ही न पाऊँ अपने दर्द की कहानी
काश
जान ही न पाऊँ कि ये आँखें अचानक क्यों भर आयीं
काश
आसक्ति से विरक्ति की ओर कभी जा ही न पाऊँ
काश
तू मुझे मिले और मुझे पहचान ही न पाए
कि फिर से हम प्रेम भरे गीत गायें
काश
तू नए रूप -रंग में आकर
फिर से रंग दे अपने ही रंग में
काश
फिर जन्म ले कर तुझे फिर से पा जाऊँ
काश
की तुझे पाने की मेरी जिद ही
हमारे पुनर्मिलन का कारण बन जाये
Dr.sweet Angel
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