प्रथम मिलन कि उस बेला प़र
अश्रु-विगलित नेत्रों से जब,
देखा उन्होंने पहली बार,
मन मैं कुछ हुआ था तब,
आशाएं थीं जागी हजार,
समर्पण कि इच्छा उठी,
न्योछावर की चाह नयी ,
जीवन-साथी बना लें मुझको,
वारू तन-मन क्षण-क्षण,
वारू तन-मन क्षण-क्षण,
मन के तारों की लय से,
उर तरंगित होने लगे,
मूक दृष्टि से में और वो,
प्रेम-गीत भी गाने लगे।
त्याग-जल के सिंचन से ,
प्रेम-बेल विकसित होगी,
एक-दूसरे के बनकर ही,
जीवन-समर में जय होगी।
जीवन-समर में जय होगी।
डॉ। शालिनीअगम
1989
5 comments:
oooooooooooooo WHAT A BEAUTY......
POEM AND AUOTHER both r beautiful.......
Prem
aapke vichaar bahut sunder hai.
congratulations.........
pradeep malik
HI SWEETY,
You are the answer to my lonely prayer
You are an angel from above
I was so lonely till you came to me
With the wonder of your love.
OOOOOOOOOO WHAT A PERSONALTY
WHAT A STYLE..........
WHAT A ATTITUDE ...........
I LIKE U
shaliniagam
I Can Sense Your Presence,
I Can Feel Your Fragrance,
You Are The Most Beautiful Happening Of My Life..
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