एक प्यारा सा रिश्ता है प्यार का
कहीं लिखा भी है कहीं पढ़ा भी है
कहीं देखा भी है ,कहीं सुना भी है ,
कभी जाना सा कभी अनजाना
फिर भी क्यों इतना अपना सा है
कुछ मासूम सा,कुछ अलबेला सा ,
कुछ अपना सा ,कुछ बेगाना सा ,
कुछ चंचल सा,कुछ शर्मीला सा
कुछ शोख सा,कुछ संजीदा सा
कुछ उलझा हुआ,कुछ सुलझा हुआ
कुछ मस्ती भरा ,कुछ खफा-खफा
कभी मान दिया .ऐतबार किया
सब कुछ एक-दूजे प़र वार दिया
कुछ तेरा है ,कुछ मेरा है,
ये प्यारा सा रिश्ता है प्यार का ..
डॉ. स्वीट एंजिल
—कहीं लिखा भी है कहीं पढ़ा भी है
कहीं देखा भी है ,कहीं सुना भी है ,
कभी जाना सा कभी अनजाना
फिर भी क्यों इतना अपना सा है
कुछ मासूम सा,कुछ अलबेला सा ,
कुछ अपना सा ,कुछ बेगाना सा ,
कुछ चंचल सा,कुछ शर्मीला सा
कुछ शोख सा,कुछ संजीदा सा
कुछ उलझा हुआ,कुछ सुलझा हुआ
कुछ मस्ती भरा ,कुछ खफा-खफा
कभी मान दिया .ऐतबार किया
सब कुछ एक-दूजे प़र वार दिया
कुछ तेरा है ,कुछ मेरा है,
ये प्यारा सा रिश्ता है प्यार का ..
डॉ. स्वीट एंजिल
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