Sunday, March 17, 2013

dr.shalini agam the poetess


एक प्यारा सा रिश्ता है प्यार का

कहीं लिखा भी है कहीं पढ़ा भी है

कहीं देखा भी है ,कहीं सुना भी है ,

कभी जाना सा कभी अनजाना

फिर भी क्यों इतना अपना सा है

कुछ मासूम सा,कुछ अलबेला सा ,

कुछ अपना सा ,कुछ बेगाना सा ,

कुछ चंचल सा,कुछ शर्मीला सा
कुछ शोख सा,कुछ संजीदा सा
कुछ उलझा हुआ,कुछ सुलझा हुआ
कुछ मस्ती भरा ,कुछ खफा-खफा
कभी मान दिया .ऐतबार किया
सब कुछ एक-दूजे प़र वार दिया
कुछ तेरा है ,कुछ मेरा है,
ये प्यारा सा रिश्ता है प्यार का ..

डॉ. स्वीट एंजिल
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