किसी भी पार्टी को वोट नहीं
पार्टी कोई भी जीते मासूम जनता का हाल तो सुधरने वाला नहीं
सिवाय सारे दल एक -दुसरे पर आरोप -प्रत्यारोप करते नजर आयेंगे
और अपने महल ही खड़े करेंगे ,बैंक -बैलेन्स बढ़ाएंगे , हमें क्या मिलना है "बाबाजी का ठुल्लु "??
क्या ये सब समस्याएं समाप्त हो सकेंगी ?
कुछ नहीं बदलना
स्तिथि वही रहेगी क्या ये सब बदलेगा ??
किसानो की दयनीय स्तिथि , अन्न-दाताओं की आत्महत्या
देश पर मर-मिटने वाले जवानो व् पुलिस के प्रति ध्यान
स्त्री शोषण, -यौन -उत्पीरण, स्त्री-सुरक्षा
महंगी -शिक्षा
केवल नेताओं व् घूस खोरों की जेब -गर्म
टूटी सड़कें ,महंगा खाना ,रिश्वत ,गंदगी ,अस्पतालों की कमी ,बिजली -पानी ,बुनियादी ज़रूरतें
अमीर और अमीर ,गरीब और गरीब
भरनी तो नेताओं कि जेबें ही हैं।
…फ़िर क्यों अपना कीमती समय बर्बाद करें मतदाताओं की लाइन में ,खड़े होकर ,वो समय अपने परिवार को दें
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