"नारी"
जंहा नारी का सम्मान होता है ,वंहा देवता भी निवास करतें हैं.
नारी वो दर्पण है , जिसमे हर व्यक्ति अपनी हैसियत नहीं देख सकता .
नारी तब तक ही कमजोर है,जब तक वह किसी बंधन में नहीं होती
नारी या तो प्रेम करती है या नफरत ,इसके बीच का रास्ता वो नहीं जानती.
नारी देवी स्वरूप है,पर अपमानित व् शोषित होने पर काली बन जाती है.
नारी का अस्तित्व ही सौन्दर्यशाली है , उसका होना ही आनंददायक है
द्वारा
डॉ. शालिनिअगम
4 comments:
BEAUTIFUL POST LIKE YOU DR.SWEET ANGEL
NICELY WRITTEN..........
Thanks for your kind words friends
मानव जीवन मूल्य जहाँ प्रतिमान बने वह नारी है ---सुंदर है ,वह जननी है जहं प्रेम खिले वह नारी है --हर स्थित में चट्टान बने जो डिगे नहीं वह नारी है --प्रेम -तपस्या त्याग मूर्ति ममता का आँचल नारी है ....शक्ति स्वरूपा धैर्य निधि सुंदर प्रेम निवेश ---प्रेरक -पूरक है बनी एक सुखद परिवेश .
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