Wednesday, May 12, 2010

Shaliniagam (Shubh Aarogyam)


रेकी सूत्र
रेकी के सूत्र में पिरो देने के बाद,
आज हैं रेकी चैनल , दुखों से विलग,
उपचार करें स्वम का ,अपने परिवार का
खुश रहें और बांटें ,सब ओर खुशियाँ
क्यों मुंह छिपा कर रोयें ,दुखी होवें हम
सारी दुनियां के गम और दुखों को समेटें हम ,
आओ अब तोड़ दें ,उदासी की लड़ियाँ
क्योंकि नाचने,गाने,हर्षोल्लास की आई घड़ियाँ ."
शालिनीअगम
2007

    • bahoot hi sunder dikh rahi hain 
      aap us pic main, aisa lag raha tha 

      jaise ki, khetoon main sarsoon 
      lagi hoo, or bole to, surajmuckhi 

      khila ho...

6 comments:

Sujata Mongia said...

well done
sujata

DHEERAJ said...

OOOOOOOOOO WHAT A PERSONALTY
WHAT A STYLE..........
WHAT A ATTITUDE ...........
I LIKE U

ADITYA RAJ said...

I LOVE YOUR WRITING
I LIKE YOUR STYLE
I ADORE YOUR BEAUTY
I AM PROUD OF YOU .......SHALINI

Anonymous said...

SUPERB

NITIN AHUJA said...

SHAAAAAAAAA
WONDERFUL

Dr. jha said...

प्रिय शालिनी
आप मुझे भा गयीं हैं.
आपका लेखन प्रभावशाली है
डॉ.झा