"न कटाक्ष ,न व्यंग्य ,न औपचारिकता ,न सम्मोहन . बस एक अदद ,अटूट सत्य. आप बधाई की पात्रा हैं डा शालिनी अगम जी तत्कालीन साहित्यिक जगत की पारदर्शिता का बखूबी आंकलन
सुन्दरतम रचना-सकलन सदैव की भाँति आदरणीया"
समृद्ध साहित्यकारों के इस प्रतिष्ठापूर्ण मंच "साहित्यकार मन्दिर " से प्राप्त यह सम्मान मेरे लिये एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है ।
माँ वाणी की कृपा और गुणीजनों के मार्गदर्शन का सुफल स्वीकारते हुए आदरणीय वरिशठ जनों और सभी प्रमुख भूमिका निभाने वाले और सहेलियों की हृदय से आभारी हूँ ।।........... प्रेरक-पूरक-उत्प्रेरक है सुखद एक परिवेश बनी--कोमल है दुर्गा भी है वो सरल बहुत है बहुत तनी.----------हर पल मंगलमय हो .
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