सत्यागृह का अमोघ अस्त्र
चुप्पी
सौ बातों का एक ही उत्तर
चुप्पी
दीर्घ ,अविचलित चुप्पी
विचलित कर देती है मुझको
उद्वेलित कर जाती दिल को
जब तक बोलती रहीं
ध्यान ही नहीं गया
तुम पर कभी
मैं बेखबर ,बेसबर
हर शब्द को करता रहा अनसुना
तुम्हारे शब्द कानो से टकरा कर
गिरते रहे ,खोते रहे
पर आज
तुम्हारी ये चुप
दिल में सीधे उतरती जा रही है
बैचैनी में तुमने जो भी कहा
सुना ही नहीं कभी मैंने
फिर आज तुम्हारे मौन से इतना
बेचैन क्यों हूँ ????
1 comment:
डॉ शालिनी अगम ये आपका स्नेह और अपनापन है ...
आपने जो हर पल हर पग पर मेरा उत्साहर्वद्धन किया है ...
ये परम सौभाग्य है मेरा .
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