डॉ शालिनी अगम की एक कविता
मेरी एक कविता ................या .......................कह लीजिये मेरे जीवन-साथी को समर्पित कुछ शब्द ..............आभार ............या धन्यवाद ............कि उन्होंने मुझे अपनी जीवन-संगिनी के रूप में स्वीकार कर मुझे धन्य किया .................कृतज्ञता के ये कुछ शब्द रुपी पुष्प उन्हें समर्पित ...........................
सौंदर्य का सार
सौंदर्य.......................
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भला लगता है नेत्रों को,
सुखद लगता है स्पर्श से,
संपूर्ण विश्वा एक अथाह सागर, जिसमे भरा है सौंदर्य अपार,
हर चार -अचर हर प्राणी, सौन्दर्य को पूजता है बार-बार;
सौन्दर्य का भण्डार है देव -लोक,
सौंदर्य का कोष है पृथ्वी -लोक ,
प्रत्येक पूजित अपूजित व्यक्ति,
कल्पना करता है तो केवल,
सौंदर्य को पाने की;
परंतु....................................
एसे कितने मिलते है यहाँ ,
जो रूपता कुरूपता को,
समान पलडे पर तोलते है; जो चाहते है मानव -मात्र को,
मानते है दोनों को समान ,
शायद कुछ-एक-ही
कहीं ये एक समझोता तो नहीं?
नहीं;.................................
यह कठोर सत्य है,
वे वस्तुतः; प्रेमी है,
मन की सुन्दरता के;
शारीरिक सौंदर्य जिन्हें,
भटकाता नहीं है ,
वास्तविक जिंदगी से दूर............
उन्हें ले जाता नहीं है!
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