बालक के जन्मदिवस पर
बालक है मेरे प्रेमपुष्प,
सींचती हूँ
मैं ममत्व जल से
बालक है मेरे सूर्य पुंज
किरणों को उनकी चमकाती हूँ
अपनी उर्जा से
बालक है मेरे रजत चन्द्र
दमकाती हूँ अपनी चांदनी से,
सींचती हूँ
मैं ममत्व जल से
बालक है मेरे सूर्य पुंज
किरणों को उनकी चमकाती हूँ
अपनी उर्जा से
बालक है मेरे रजत चन्द्र
दमकाती हूँ अपनी चांदनी से,
आदित्य शुभम हैं मेरे गर्व गौरव्
शक्तिमान,दैदीप्यमान हैं मेरी कामना से
बालक है मेरे मांगलिक दीप,
प्रज्ज्वलित है मेरे आशीर्वादों से,
हर माँ के समान ,मैने भी देखा है स्वप्न,
कुसुमित पल्लवित हो महकें जीवन क्यारी में,
संस्कारो की कड़ी धूप में निखरे कंचन से,
बडो का आदर,छोटो से प्यार करें दिल से,
नैतिकता व् राष्ट्रहित में लगे रहें मन से,
माँ पा के अनुशासन में, संरक्षण में,
आगे बढे जग से''........................
......................डॉ स्वीट एंजिल
शक्तिमान,दैदीप्यमान हैं मेरी कामना से
बालक है मेरे मांगलिक दीप,
प्रज्ज्वलित है मेरे आशीर्वादों से,
हर माँ के समान ,मैने भी देखा है स्वप्न,
कुसुमित पल्लवित हो महकें जीवन क्यारी में,
संस्कारो की कड़ी धूप में निखरे कंचन से,
बडो का आदर,छोटो से प्यार करें दिल से,
नैतिकता व् राष्ट्रहित में लगे रहें मन से,
माँ पा के अनुशासन में, संरक्षण में,
आगे बढे जग से''........................
......................डॉ स्वीट एंजिल
9 comments:
बहुत ही खूबसूरती से एक माँ का ममत्व झलकाया है आपने डॉ.शालिनीजी
बधाई हो
very nice lines.....love you mom
अति सुंदर डॉ. साहिबा
Too often we underestimate the power of a touch, a smile, a kind word, a listening ear, an honest compliment, or the smallest act of caring, all of which have the potential to turn a life around
__/!\__
namaste dr.
very beautifully said.......
माँ दुर्गा आपको अपनी नौ भुजाओ से :
1. बल
2. बुद्धि
3. ऐश्वर्य
4. सुख
5. स्वस्थ्य
6. दौलत
7. अभिजीत
8. निर्भीकता
9. सम्पन्नता
प्रदान करे
जय माता जी की .,.
आप की रचनाएं बहुत बेहतरीन है .... पढ़ना अच्छा लगा .. ऎसे ही रचते रहें .
स्वागत
BEAUTIFUL.........LIKE YOU DEAR
डॉ शालिनी अगमजी ,शब्दों को पंक्तियों की माला में पिरोकर सार्थक सृजन कर एक विचार एवं चिंतन प्रदान करने वाली शब्द साधिका एंजलजी आप स्वयं ही स्व-प्रेरणा से साहित्य की आराधना में जुटे हैं और इस साहित्य पथ पर अविरल धारा की मानिंद चल पड़े हैं शब्द शिल्पी, सृजन और रचनाधर्मिता की पर्याय एंजलजी नव सृजन में व्यस्त हैं।आभासी दुनिया की इस चौपाल पर एक रचनाधर्मी व्यक्तित्व जब मौजूद होता है तो उसके ज्ञान और मनन-चिंतन का लाभ हम जैसे मित्रों को भी मिलता है।एंजलजी, इस आभासी दुनिया में मित्रों की जमात तो लंबी-चौड़ी हो जाती है, लेकिन सुधी-संगत वाले कम ही मिल पाते हैं। आप जैसे विद्वजनों का सान्निध्य मुझे ज्ञान की अभिवृद्धि करने और शुद्ध साहित्यिक रचनाओं को पढ़ने और समझने का अवसर प्रदान करता है।मेरी ओर से आपको अग्रिम शुभकामनाएं, आप साहित्य जगत की सशक्त हस्ताक्षर हैं और आप साहित्य को जीने, उसका नव सृजन करने और साहित्य की आराधना का जो जज्बा है, वह आपको माँ वीणावादिनी की वरद् पुत्री निरूपित करता है। आपके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है।
.......................................एक प्रशंसक,एक विचारक,एक मित्र ........
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