नमस्ते भारतवर्ष
पिछले दिनों में एक महिला से मिली .........अपनी किट्टी पार्टी प़र ..........मेरी ही एक सहेली की नई पड़ोसन ....हमारी किट्टी की नई मेम्बर .
हँसी-ख़ुशी का माहौल था सब सखियाँ एक दूसरे प़र टीका-टिप्पणी कर हँसी-मज़ाक कर रहीं थी ,तम्बोला खेलने का आनंद ले रहीं थीं,खाने -पीने का लुफ्त उठा रहीं थी ......वहां बात-बात प़र केवल खिलखिलाहटें ही सुनाई दें रहीं थी ..कहने का मतलब है कि सब खूब एन्जॉय कर रहे थे ...........प़र उस नई मेम्बर का चेहरा लटका हुआ था ,आँखे सूनी-सूनी ,जबरन जैसे कभी-कभी मुस्कुरा भर देती .पूरा प्रयास करने प़र भी वह उस माहौल में अपने मन की उदासी नहीं छिपा पा रही थी .मैंने एक -दो बार उसकी ओर देखा तो सिवाय मायूसी के और कुछ ना दिखा चेहरे प़र ..........मुझे उसके प्रति सहानुभूति हुई कि पूछूं कि उसकी परेशानी कि वज़ह क्या है ..........? प़र पहली बार मिली थी इसलिए हिम्मत नहीं हुई ..............इक्तेफाक से अगले दिन उसका फ़ोन ही आ गया मेरे पास कि वो मुझसे मिलना चाहती है ..............कुछ ज़रूरी बात करनी है .........
नियत समय प़र वो मुझसे मिली और जो कुछ मैंने उसके मुहँ से सुना वो मुझे कुछ भी नया नहीं लगा .....................ऐसा लगा कि शायद रोज ही इस तरह की परेशानी किसी ना किसी की व्यक्ति सुनने में आ जाती है .......................
'मेरे पति को हर चीज से लगाव है ............................. अपने घर से , घर की हर बेजान चीज ,गाड़ी से, क्यारी में लगे हर पौधे से , अपने कुत्ते से ,अपने काम से..............अगर नहीं है तो बस मुझसे ...............कहकर फफक पड़ी .....कितना अकेला महसूस करती हूँ हल पल किसके लिए जियूँ.................किसके लिए सजूँ.............कैसे अपना समय काटूँ ......कही अच्छा नहीं लगता ...........कोई अच्छा नहीं लगता ........वो नहीं तो कुछ नहीं है मेरे जीवन में .
यहाँ ऐसे कितने ही लोग हैं जो अपने कुत्तों को प्यार कर सकतें हैं .अपने बगीचों को प्रेम कर सकतें हैं ,अपनी गाड़ी से प्रेंम कर सकतें हैं .......वो दुनिया में अपने परिवार के अतिरिक्त हर किसी से प्रेम कर सकतें हैं ..................यहाँ तक कि गर्ल -फ्रेंड से भी ( लेकिन तब तक जब तक वो केवल हाँ ही करती रहे और आपका प्रतिकार ना करे )
दुनियां में आदमी के अलावा हर चीज से प्रेम कर सकतें हैं ..क्यों ....?
क्योंकि व्यक्ति का मतलब है तुम अकेले नहीं हो,दूसरा भी वहां है ,निर्जीव वस्तुएं या पालतू जानवर संवाद नहीं करते ,आपकी बात का प्रतिउत्तर नहीं देते जैसे कि प्राय : मियां-बीबी में होता है ...............एक शिल्पकार मूर्तियाँ बनाता है उन्हें सजाता है................ उनसे बातें करता है ...........उनसे प्रेम करता है प़र वो मूर्तियाँ मृत होतीं हैं ...वह कलाकार उन मूर्तियों से सम्बंधित नहीं हो सकता क्योंकि वह जीवन्त है .......जीवन और मृतु के बीच संवाद संभव नहीं है ..........संवाद नहीं तो कोई मतभेद भी नहीं .........कोई कलह भी नहीं.......
मूर्ति या अपनी किसी भी प्रिय वस्तु के साथ जो तुम करते हो ,वह एकालाप है ........क्योंकि वह वस्तुएं कुछ भी पलटकर कहने वाली नहीं हैं वह तुम्हारी आलोचना करने वाली नहीं हैं ...............तुम्हारे ऊपर आधिपत्य ज़माने वाली नहीं हैं .उन चीजों को जैसे चाहे उपयोग करो या दुरूपयोग करो वह कुछ कहने वाली नहीं है तुम उनपर पूरा आधिपत्य रखते हो,,,,,,,,,,,,प़र तुम मनुष्य के साथ ऐसा नहीं कर सकते.....अपने परिवार के सदस्यों,मित्रों परिचितों के साथ ऐसा नहीं कर सकते ........
जब दो जीवन्त चेतनाएं मिलतीं हैं तो एक दूसरे प़र अधिकार नहीं जमा सकते .सबके अपने -अपने स्वतंत्र विचार हैं ,आचरण है .इसलिए मतभेद भी संभव हैं ......मनुष्य के साथ प्रेम होना आसान बात नहीं है.दुनिया में प्रेम सम्बन्ध सबसे कठिन है.इसका कारण ही यही है कि दो चेतनाएं ,दो जीवंत मनुष्य .किसी भी प्रकार कि गुलामी सहन नहीं कर सकते.
जब तुम वस्तुओं के उपर ,चीजों के उपर कार्य कर रहे होते हो तो वो हाँ या ना कुछ नहीं कह सकती .जो कुछ भी तुम उनके साथ करना चाहते हो तुम कर सकते हो ......
आज जब परिवार एकाकी हो रहें हैं सब से ज्यादा वैचारिक मतभेद पति-पत्नी के बीच होता है ,बच्चे भी तभी तक बचे रहतें है जब तक माँ-बाप कि हाँ में हाँ मिलाते रहतें हैं .......अभी तक हमारी समझ इतनी परिपक्व नहीं हुई है कि हम समझ पायें कि मनुष्य के साथ,यदि तुम प्रेमपूर्ण रिश्ता चाहते हो अपने अधिकार कि शक्ति की राजनीति को भूल जाना चाहिए ,तुम बस मित्र हो सकते हो ......ना तो दूसरे प़र प्रभुत्व ज़माने की कोशिश कर सकते हो ...ना दूसरों को अपने ऊपर प्रभुत्व ज़माने देना चाहते हो .
मनुष्य को प्रेम करना दुनिया में बहुत कठिन कार्य है ,क्योंकि जिस क्षण तुम अपना प्रेम जाहिर करते हो दूसरा शक्ति कि कामना करने लगेगा वह जानता है या जानती है कि तुम उसपर आश्रित हो ...और इस तरह सारे रिश्ते गुलामी में बदल जातें हैं और कोई भी रिश्ता गुलामी नहीं चाहता .
मूर्ति शिल्पकार को गुलाम नहीं बनाएगी........................ .. अपना कहना नहीं मनवाएगी............जानवर भी प्रेम नहीं करते केवल प्रजनन करते हैं ,मानव चेतना के साथ प्रेम सृजन होता है एक दूसरे को पाने की ललक पैदा होती है ,जहाँ भी मन माफिक ना मिले टकराव शुरू होने लागतें हैं ............ऐसा लगता है ज़बरदस्ती हो रही है ........प्रेम बंधन लगने लगता है ..................कभी लगता है आज़ादी छीन रहा है सबसे अपना .........जिसे प्रेम करते हो उसे सम्मान व् सुरक्षा के साथ-साथ आज़ादी भी देनी होगी....................उसके विचारों को आज़ादी............घर में छोटी-छोटी खुशियाँ जो वो चाहे उसकी आज़ादी ............हम प्रेम बांटते नहीं अपितु कई बार झपटते हैं............ये मेरा पति है .....किसी से बात कैसे की.............हर वक़्त की शिकायतें............आज ये नहीं लाये ...........आज वो नहीं लाये...........मुझे टाइम नहीं दिया...........जितना में चाहती थी वैसा कुछ नहीं मिला .................परिणाम .............सामने वाला स्वं को हल पल उस रिश्ते में खुद को जकड़ा हुआ महसूस करता है ...............छोड़ दो उसे खुला.......करने दो जो वो करना चाहता है...............अगर आपके प्यार में शक्ति है तो कही भी जाये वापिस आपके पास ही आएगा ............नहीं तो जकड कर बैठोगे तो बंधन तोड़ कर चला जायेगा प्रेम ज़बरदस्ती थोपा नहीं जा सकता ...................तुम भी मौन हो जाओ.....जड़ हो जाओ ना...............ना कोई प्रतिकार...............ना कोई उलाहना .......ना कोई इच्छा .......ना कोई ज़रुरत ...........तब देखो वो भी तुम्हे अपने आस-पास ही महसूस करेगा ............आज़ाद मन पूरी तरह तुम्हे प्रेम करेगा.......
डॉ. स्वीट एंजिल
16 comments:
हर बार की तरह फिर से आपके शब्दों का जादू...........अद्भुत.......
विरासत..........इक रंगमंच.......
कई पात्र .....उनका सजीव अभिनय..........
हर प्रस्तुति की छाप जीवंत...........
प्रभु की लेखनी को जीवनी में ढालने का नाम है विरासत.........
इस जीवनी में संजीवनी डाल कर अगली पीढी ....
को सौपने का काम है विरासत............
हर बार की तरह फिर से आपके शब्दों का जादू...........अद्भुत.......
विरासत..........इक रंगमंच.......
कई पात्र .....उनका सजीव अभिनय..........
हर प्रस्तुति की छाप जीवंत...........
प्रभु की लेखनी को जीवनी में ढालने का नाम है विरासत.........
इस जीवनी में संजीवनी डाल कर अगली पीढी ....
को सौपने का काम है विरासत............
very nice lines...........dr.shalini
love you
"कभी समस्या पंख पसारे, कभी सफलता की किलकारी!
कभी किनारा मिलता है तो, कभी डूबती नाव हमारी!
किन्तु संघर्षों की युक्ति, कभी नहीं तुम धूमिल करना,
साहस होगा मन चिंतन में, खंडित किस्मत बने हमारी!"
अतिशय आभारी हू शालिनी जी आपके स्नेह हेतु!
beautiful shalini................like you
,आपके ये अनमोल शब्द और अनुभव, हमारे लिए प्रेरणा का कार्य करते है, सदैव इसी तरह प्रेरित करते रहिएगा,हार्दिक धन्यवाद.
bahut khoob......
bholapan hai apke chehre main, apki baaton main....<3
bahoot hi sunder dikh rahi hain aap us pic main, aisa lag raha tha jaise ki, khetoon main sarsoon lagi hoo, or bole to, surajmuckhi khila ho...
to ab aap sochiye sabko kitna nirmal anand pradaan karti hain aap, aap ki yeh chanchal muskurahat............
ek saral sachi sadagi si hai aapki muskurahat main
jo humne bachpan me hindi kahaniyo me ....pariyo....ke baare me read kiya ....aap wahi ho na
aap to sach me .....pariyo...ki tarah nazuk ho
बहुत खूसूरत ...मीठी सी ..आशा भरा सन्देश देती आपकी रचना ...आपका हर दिन और हर रात मंगलमय हो
(¯`•♥•´¯)☆ ♥ ☜❤☞~ this om is speechless ...
*`•.¸(¯`•♥•´¯)¸.•♥♥...☆ º
♥♥♥♥♥`•.¸. (¯`♥´¯) .♥.•*¨`*♫.• ♥ ♥ ♥♥♥♥♥
♥♥♥♥♥♥♥♥♥´*.¸.•´ ♥♥♥♥♥ ~☜❤☞~ thank you i am Speechless on your love
looking like Ajanta ki murat...............true beautiful dear
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