अनिद्रा भौतिकवाद की देन है। लाखों लोग हैं जो किसी न किसी कारण से रात में ठीक से सो नहीं पाते। यदि किसी एक रात व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता, तो वह अस्वाभाविक नहीं है लेकिन यदि यह क्रम लगातार चलता रहे और आपकी दिनचर्या को प्रभावित करने लगे। तो
आपको सचेत हो जाना चाहिए। इसकी उपेक्षा करने की कोशिश भूलकर भी न करें। शुरुआती दौर में ही यदि इस पर नियंत्रण पा लिया जाय तो बहुत अच्छा, नहीं तो समस्या बहुत विकट रूप धारण कर लेती है और तब उस पर नियंत्रण पाना बहुत कठिन हो जाता है। इसको अगर और स्पष्ट करके कहें तो अनिद्रा के रोगी की स्थिति बहुत त्रासद हो जाती है। इतनी कि जो इस रोग का मरीज नहीं है वह इसकी कल्पना भी न कर सकता। उस समय उसको कुछ सुझाई नहीं देता। धर्म, आध्यात्म, आशा-दिलाशा योग जैसे सभी शब्द बेमानी लगते हैं। पूरी दुनिया नींद के आगोश में डूबी होती और वह.......
नींद न आने का कोई निश्चित कारण बता पाना संभव नहीं है। हर व्यक्ति के लिए इसका अलग कारण हो सकता है। इसके ऊपर किए गए शोध तथा सर्वेक्षण के आधार पर चिकित्सकों का मानना है कि नींद न आने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है आपकी जीवन पद्धति। अगर जीवन पद्धति में परिवर्तन किया जाय तो संभवतः नींद लाने के लिए नींद की गोलियों की जरूरत ही न पड़े।
एक बात पर तो दुनिया के सभी चिकित्सक एकमत हैं कि तनाव नींद न आने का सबसे बड़ा कारण है। और उससे भी महत्वपूर्ण है तनाव से निपटने का तरीका। पुराना पर कामयाब तरीका है सोने से पहले एक गिलास गरम दूध पीना, दिल को सुकून देना वाला संगीत सुनना इससे आपको शांति महसूस होती है। तनाव घटता है और नींद अच्छी आती है। इसके अलावा सोने से पहले नहाना तथा सिर में गुनगुने तेल की मालिश भी नींद लाने में सहायक सिद्ध होती है।
दोस्तों, हकीकत तो यही है कि नींद लाने के ये जो उपाय है इनके परिणाम बहुत जल्दी नहीं आते। वक्त लगता है और इससे कई बार मन में निराशा उत्पन्न होती हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सोच को सकारात्मक रखने की कोशिश करिए। हमारे और आपके स्वास्थ्य के लिए यही उचित होगा। क्योंकि नकारात्मकता से निराशा पनपती है निराशा से तनाव से अनिद्रा, अनिद्रा से उच्च रक्तचाप। यानी ये सभी चीजें एक चक्र में जुड़ी हुई हैं और हमें उसी चक्र को तोड़ना है। अपने मनोबल से।
-प्रतिभा वाजपेयी.
आपको सचेत हो जाना चाहिए। इसकी उपेक्षा करने की कोशिश भूलकर भी न करें। शुरुआती दौर में ही यदि इस पर नियंत्रण पा लिया जाय तो बहुत अच्छा, नहीं तो समस्या बहुत विकट रूप धारण कर लेती है और तब उस पर नियंत्रण पाना बहुत कठिन हो जाता है। इसको अगर और स्पष्ट करके कहें तो अनिद्रा के रोगी की स्थिति बहुत त्रासद हो जाती है। इतनी कि जो इस रोग का मरीज नहीं है वह इसकी कल्पना भी न कर सकता। उस समय उसको कुछ सुझाई नहीं देता। धर्म, आध्यात्म, आशा-दिलाशा योग जैसे सभी शब्द बेमानी लगते हैं। पूरी दुनिया नींद के आगोश में डूबी होती और वह.......
नींद न आने का कोई निश्चित कारण बता पाना संभव नहीं है। हर व्यक्ति के लिए इसका अलग कारण हो सकता है। इसके ऊपर किए गए शोध तथा सर्वेक्षण के आधार पर चिकित्सकों का मानना है कि नींद न आने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है आपकी जीवन पद्धति। अगर जीवन पद्धति में परिवर्तन किया जाय तो संभवतः नींद लाने के लिए नींद की गोलियों की जरूरत ही न पड़े।
- अपने स्लीपिंग पैटर्न को सकारात्मक ढंग से बदलने की कोशिश करिए। कोशिश करिए कि आपके बेडरूम में कहीं से भी रोशनी न आए। रोशनी आने वाली हर उस जगह को बंद कर दीजिए।
- जो लोग रात की शिफ्ट में काम करते हैं और दिन में सोते हैं उनकी भी नींद पूरी नहीं हो पाती तथा वे लोग भी जो प्रायः दिन में सोने के आदी होते हैं उन्हें अक्सर रात में सोने में परेशानी होती हैं।
- सोने के कमरे में हल्की सी ठंडक होने चाहिए। गर्मी भी कई बार नींद में बाधक होती है।
एक बात पर तो दुनिया के सभी चिकित्सक एकमत हैं कि तनाव नींद न आने का सबसे बड़ा कारण है। और उससे भी महत्वपूर्ण है तनाव से निपटने का तरीका। पुराना पर कामयाब तरीका है सोने से पहले एक गिलास गरम दूध पीना, दिल को सुकून देना वाला संगीत सुनना इससे आपको शांति महसूस होती है। तनाव घटता है और नींद अच्छी आती है। इसके अलावा सोने से पहले नहाना तथा सिर में गुनगुने तेल की मालिश भी नींद लाने में सहायक सिद्ध होती है।
दोस्तों, हकीकत तो यही है कि नींद लाने के ये जो उपाय है इनके परिणाम बहुत जल्दी नहीं आते। वक्त लगता है और इससे कई बार मन में निराशा उत्पन्न होती हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सोच को सकारात्मक रखने की कोशिश करिए। हमारे और आपके स्वास्थ्य के लिए यही उचित होगा। क्योंकि नकारात्मकता से निराशा पनपती है निराशा से तनाव से अनिद्रा, अनिद्रा से उच्च रक्तचाप। यानी ये सभी चीजें एक चक्र में जुड़ी हुई हैं और हमें उसी चक्र को तोड़ना है। अपने मनोबल से।
-प्रतिभा वाजपेयी.
6 comments:
पर्याप्त नींद भी वैसे ही जरूरी है जैसे साँस लेना पानी पीना.., इसकी लगातार अनदेखी शरीर के लिए भयावह है
very nice tips...........
wellsaid..
dr.shalini
आगमन कर्मों का रुके , मिट जाएगा आवागमन
कैवल्य रवि का उदय करता,द्रष्टि का निज में रमण
स्वागतम निज में है तुम्हारा , मुक्ति का यह द्वार है
निज छोड़ पर को ताकना , भ्रमण है संसार है
this song just seems like has been made for u..!!TERE CHERE MAIN WO JADU HAI..........
so u believe in spiritual power..or just faith in it
prayer is the best healer f done by a pure heart..and u have a pure heart..it is for sure..
as far as spirituality is concerened..i have to no longer believe in it..I KNOW the spirituality..actually stands for
do u believe or do u know..does it make any difference in ur mind..!!
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