Wednesday, September 15, 2010

SHALINIAGAM HINDI DIWAS ( क्योंकि हिंदी हूँ मैं)

क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं !

हिंद में पैदा हुए ,
हिंद की हवा में जिए,
हिंदी में ही खाया,
पहना ,बोला और चला ,
प़र जब इतराने की बारी आई,
तो कंधे चौड़े किये अंग्रेजी में ?
अगर रख सको तो अस्तित्व हूँ मैं,
छुपा दो तो एक निशानी हूँ मैं,
गलती से खो दिया..........
तो केवल एक कहानी हूँ मैं,
अंग्रेजी के पत्थर खाकर भी,
मुस्कुराने की आदत है मुझे ,
दुनिया की नज़र में कुछ चुभी सी,
मगर गर्व की दास्ताँ हूँ मैं,
मेरे अपने चाहें ना पहचाने अब मुझको,
प़र उनकी रग-रग में बसी ,
उनके गौरव की आग हूँ मैं ,
मेरे कर्णधारों कुछ तो सोचो ,
तुम्हारे बुजुर्गों का मन-प्राण हूँ मैं,
क्योंकि हिंदी हूँ मैं ,हिंदी हूँ मैं

4 comments:

JEEva said...

sundar and pyaar bhara man hai tumhara

K. MURTI said...

my god what a feelings , its really superb thoughts........
:)

K.RANAVAT said...

I am proud to be an INDIAN.My motherland gave me identity.I wish to be a proud INDIAN .
K.RANAVAT

Y.PANDAY said...

अति सुंदर अति उत्तम,
बहुत खूब............

बहुत बहुत शुक्रिया