Friday, August 13, 2010

dr.shaliniagam(shubh aarogyam)VANDE MATRAM



NAMASTE INDIA

प्यारे भारतवर्ष,
आज घर की छत पर रंग -बिरंगी पतंगों को देख ,दिल उमंग और उल्लास से भर गया. तभी किसी ने एक पतंग की डोर मेरे हाथ में भी थमा दी, मन में बचपन और जवानी की कई मिलीजुली शरारतें चुहल करने लगीं ,पतंग के डोलने से जैसे मन भी डोल रहा था .......चली चली रे पतंग मेरी चली रे ..........चली बादलों के पार.......होके डोर पे सवार .......जिसे देख-देख दुनिया जली रे.... अरे आज १४ अगस्त है और कल १५ मेरे देश की आज़ादी की वर्षगांठ ..कैसा मनभावन एहसास है,कितना स्वतंत्र अवसर......तभी काटे की आवाज़ सुनाई दी और वो भी मेरी छत से न की पडौसी की छत से क्योंकि डोर मेरे हाथ है स्वतंत्रता की डोर ,मेरी मर्जी की डोर,मेरे अपने स्वाभिमान की पहचान,मेरे मान की पहचान. तो क्यों न झूमूँ, क्यों न इतराऊँ ,क्यों न बल खाऊँ .............:)
पतंग प्रतीक है मेरी आज़ादी की.और डोर प्रतीक है उन संस्कारों की,उन आदर्शों की,जो बचपन से हमारे मनों में कूट-कूट कर भरे गएँ है कि बेटा खूब उड़ो.प़र संस्कारों और आदर्शों की डोर में बंध कर ...........तरक्की के आसमान को छू लो प़र अपनी जड़ों से बंधकर और कोई अगर पेंच लड़ा भी ले तो थोड़ी ढील दो,फिर काट दो .............
वन्दे मातरम .......
डॉ.शालिनिअगम
9212704757

3 comments:

PRAVEEN RATAN said...

GOOD GOING DR.SHALINI

pradeep lal said...

bahut sunder

Anonymous said...

Great Indian Woman