Tuesday, June 8, 2010

शालिनीअगम (शुभ आरोग्यं) ध्यान की सरलतम विधियाँ

नमस्ते भारतवर्ष


अपनी श्वांसों के आवागमन को केवल साक्षी भव से देंखें ............साँसे रहीं हें ...............साँसे जा

रहीं हेंइस क्रिया को आनंद के साथ सिर्फ अनुभव करेंधीरे-धीरे साँसों की गति कोधीमा करतें जाएँ

मन इधर-उधार भटकता है ,भटकने दो,.............. इधर -उधार भागता है , भागने दो...........

जब साँसों की गति धीमी होने लगेगी ,तो मन का भटकना भी कम होता जाएगा

से १० तक की गिनती तक सांसों को भरें और फिर छोड़ें

अब आत्म-स्थिर होने का प्रयत्न करेंअकर्ता भाव से शरीर से अलग होकर ,शरीर में होने वाली हर क्रिया को बस अवलोकन करतें रहें.जैसे आप चित्र-पट प़र कोई चल-चित्र देख रहें हों.अब आप अलग है और शरीर अलगशरीर में अनेको घटनाएँ घट रहीं हें,मन उछल -कूद कर रहा हैकहीं दर्द हो रहा है तो कहीं खुजली हो रही है,कहीं आराम रहा है कहीं बेचैनी है ,कहीं हल्का है तो कहीं भारी है

आप बस केवल उसे चुप-चाप महसूस करतें रहें, निहारतें रहें ................ कोई क्रिया - प्रतिक्रिया

२४ घंटे बस साक्षी-भाव से अपने आपको साधतें रहें तो मन से भय,क्रोध,घृणा,चिंता,निराशा सभी कुछ निकलता चला जायेगा और फिर धीरे-धीरे आप पाएंगे कि आप ध्यान-पूर्ण होते जा रहें हैं ......



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