यह बहुत ही ध्यान देने वाली और आश्चर्य जनक बात है कि हमारी 50% बीमारियों के कारण पूर्णतया मनोवैज्ञानिक होतें हैं.प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे रोगों की वजह हमारे बीमार -विचार हीं हैं.जब हम अपने मन के विज्ञानं को जानने कि चेष्टा करतें है ,अपने आहार-विहार प़र ध्यान देतें हैं,मानसिक क्लेशों का कारण जानने की कोशिश करतें हैं तो स्वत: ही हमें अपनी बीमारी की वजह समझ आने लगती है.तब हमें ज्ञात होता है कि रोगों की जड़े तो हमारे मनोवेगों में हैं ।
मेडिकल साइंस में शायद इस बात का जिक्र नहीं है कि हम अपने विचारों और दिमाग को शारीर से अलग नहीं कर सकतें है । नई खोज तो यंहा तक बताती है कि जींस भी विचारों से बदलने की क्षमता रखतें हैं .अगर हम गौर करें तो पाएंगे कि संकल्प की शक्ति ही हमें अनेक बीमारीओं से दूर ले जा सकती है .कहा भी गया है 'मन के हारे हार है-मन के जीते जीत ' ।
जब हम हँसतें हैं ,और प्रसन्न रहतें हैं तब शरीर का हर एक अंग हमारे साथ हँसता है और जीवन -वृद्धि का सन्देश हमारी कोशिकाओं तक पहुंचता है । वैज्ञानिक सिद्ध कर चुकें हैं कि एक प्रसन्न-चित्त व्यक्ति में neuropeptide hormon अलग होतें हैं जो स्फूर्ति से भरे अंग-प्रत्यंग,चमकदार सुन्दर त्वचा ,स्वस्थ शरीर प्रदान करतें हैं इसके ठीक विपरीत जो व्यक्ति क्रोधित,उदास और निराशा से भरें रहतें है उन्हें मिलता है समय से पहले बुढ़ापा ,बीमारियाँ और रोगी काया. neuropeptide hormon ही ऐसा हारमोन है जो पूरे शारीर में संचरित होते हुए हर कोशिका को मस्तिष्क से सम्बंधित करता है । बोध और चेतना अंतत:कोशिकाओं कि झिल्ली प़र स्तिथ होतीं हैं ।
औषधि-शास्त्र,दवा आदमी की ऊपरकी बीमारियों पकड़ता है प़र प्रसन्नता और सकारत्मक सोच का शास्त्र आदमी को भीतर से पकड़ता है।
डॉ.शालिनीअगम
2010
4 comments:
hello shalini,
Thank you so much! You are an inspiration for humanity - Changed my life!!!" -Andrew Klaassen
hi dr........
Very gentle and it did help me tremendously!! Thank you kindly!♥ ♥ ♥
SSSSSSSSUUUUUUU
DR. SHALINI- LAUGH, GIGGLE AND SMILE...SPREAD THE JOY, THE LOVE YOU ARE
GOD BLESS U
आह !
कितने सुंदर और सुशील विचार है
आप प्रशंसा की पात्र हैं .
सुशील कुमार
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