मैं तड़प रही मीन संमान,
जल से बाहर फेंक दी गयी,
सब कहें अंह,सूरज-चाँद -सितारे,
फूल- फल सब तेरे पास,
फिर कहे तू हो गयी उदास,
जीवन के अनगिनत रूप यंहा,
जल के भीतर ये सम्पदा कंहा,
भौतिक जगत के आनंद सभी ,
पर .........
तू घुटकर मरने को तैयार अभी,
न रस, न सुगंध,न रूप,से सरोकार,
मुझे तो बस जाना है जल के उस पार,
मैं जल क़ी रानी , जल मेरा प्रियतम,
जल मैं ही रानी मेरा निवास,
वो है अब समीप मेरे,
बाकी न बची अब कोई आस:
शालिनिअगम
1989
5 comments:
what wounderful poems
i appriciate u...........
keep it up
Shalinij
its the search of a love so pure ..,
SHAAAA
It's not how much you accomplish in life
that really counts,
but how much you give to other.
GREAT POETESS
HI SHALINI
Believe in the impossible,
hold tight to the incredible,
and live each day to its fullest potential.
$$$$$$
SHALU DEAR.......
You
can
make
a difference
in
your
world
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